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    आपसी सद्भाव की प्रेरणा देती है राज्य की गंगा-जमुनी संस्कृति

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    Updated: Sun, 10 Nov 2019 08:01 AM (IST)

    धर्मगुरुओं ने न्यायालय के फैसले को ऐतिहासिक और समाज को जोड़ने वाला बताया। उनका कहना था कि उत्तराखंड की गंगा-जमुनी संस्कृति हमें आपसी सद्भाव के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।

    आपसी सद्भाव की प्रेरणा देती है राज्य की गंगा-जमुनी संस्कृति

    देहरादून, राज्य ब्यूरो। अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद शनिवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने धर्मगुरुओं व उनके प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। इस दौरान धर्मगुरुओं ने न्यायालय के फैसले को ऐतिहासिक और समाज को जोड़ने वाला बताया। उनका कहना था कि उत्तराखंड की गंगा-जमुनी संस्कृति हमें आपसी सद्भाव के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। साधु-संतों, सूफियों की इस धरती ने हमेशा खुशहाली का संदेश दिया है। सबका विकास आपसी एकता और भाईचारे में ही निहित है।

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    इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि धर्मगुरु हमारे पथ प्रदर्शक हैं। देवभूमि की परंपरा के अनुरूप आपसी सद्भाव, भाईचारा हमारी पहचान है। आगे भी प्रदेश के धर्मगुरुओं और धर्माचार्यों से मुलाकात का क्रम जारी रखा जाएगा। उन्होंने अयोध्या मामले में न्यायालय के निर्णय को धर्मगुरुओं द्वारा सराहनीय और समाजहित में हुई पहल बताए जाने को सुखद करार दिया।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सुखद संयोग है कि राज्य स्थापना दिवस पर पर यह ऐतिहासिक फैसला आया है। इसका सभी ने सकारात्मक सोच के साथ स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में कई बार नामसझी या जानबूझकर कोई समाज विरोधी हरकत न कर सके, इसके लिए व्यापक ऐहतियात जरूरी है और सतर्कता बरती जा रही है। पुलिस-प्रशासन को ऐहतियात बरतने के निर्देश दिए गए हैं।

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    इस मौके पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद, महंत ललितानंद व महेशपुरी, भारत माता मंदिर के आइडी शास्त्री, महंत प्रेम गिरी व रोहित गिरी, काजी इरशाद मसूद, मौलाना अल्ताफ हुसैन, राव इरशाद, मौलाना शहंशाह, मुफ्ती वासिल कासमी, मौलाना अरशद, फादर जेपी सिंह आदि मौजूद थे।

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