Move to Jagran APP

देवभूमि में अब शुरू होगा गोत्र पर्यटन, मिलेगी पूर्वजों की जानकारी

प्रदेश में पर्यटन विभाग अब गोत्र पर्यटन को बढ़ावा देने की तैयारी कर रहा है। इसके फोकस में प्रदेश के चारों धाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री के साथ ही हरिद्वार भी रहेगा।

By Edited By: Published: Wed, 28 Nov 2018 03:01 AM (IST)Updated: Wed, 28 Nov 2018 08:35 PM (IST)
देवभूमि में अब शुरू होगा गोत्र पर्यटन, मिलेगी पूर्वजों की जानकारी
देवभूमि में अब शुरू होगा गोत्र पर्यटन, मिलेगी पूर्वजों की जानकारी

देहरादून, [विकास गुसाई]: प्रदेश में पर्यटन विभाग अब गोत्र पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में कदम बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। इसके फोकस में प्रदेश के चारों धाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री के साथ ही हरिद्वार भी रहेगा। इन स्थानों पर कई दशकों से आने वाले श्रद्धालुओं की जानकारी पोथियों में संजो कर रखी गई है। 

loksabha election banner

इन जगहों पर आने वाले पर्यटक यह जान सकेंगे कि उनके कौन-कौन पूर्वज इन स्थानों पर भ्रमण करने आ चुके हैं। इसके अलावा पर्यटकों को उनके गोत्र के विषय में विस्तृत जानकारी देने की भी योजना बनाई जा रही है।

उत्तराखंड को देव भूमि व ऋषि मुनियों की तपस्थली के रूप में जाना जाता है। यही कारण है कि सदियों से श्रद्धालु इस देवभूमि में स्थित चारधाम के साथ ही हरिद्वार व ऋषिकेश जैसे धार्मिक स्थलों पर दर्शन को आते हैं। इन स्थानों पर पहले से ही आने वाले लोगों का हिसाब पोथियों में संजो कर रखा जाता है। 

हालांकि, बहुत कम श्रद्धालुओं को ही इसकी जानकारी है। अगर वह इन स्थानों पर थोड़ी खोजबीन करें तो वह देवभूमि के इन स्थानों पर आ चुके अपने पुरखों के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसमें पर्यटन विभाग ऐसी पोथियों का संकलन करने वालों तक पर्यटकों को पहुंचाएगा।

शास्त्रों में वर्णित है कि हर गोत्र किसी न किसी ऋषि के नाम पर ही आगे बढ़ता है। बावजूद इसके बहुत कम लोग अपने गोत्र के विषय में पूरी जानकारी रख पाते हैं। उनके गोत्र का नाम जिस ऋषि के नाम पर रखा गया है उनका महात्म्य क्या था, क्यों उन्हें ऋषियों की श्रेणी में इतना ऊंचा स्थान दिया गया। 

उत्तराखंड से उनका क्या लगाव था, यह बहुत कम लोगों को पता है। ऐसे में पर्यटन विभाग श्रद्धालुओं को यह जानकारी भी उपलब्ध कराने की तैयारी कर रहा है। मकसद यह कि गोत्र पर्यटन के लिए उत्तराखंड आने वाला पर्यटक अपने गोत्र के बारे में पूरी जानकारी हासिल करने के साथ ही यह जान सकें कि उनके पूर्वज कब इन धार्मिक स्थानों पर आए थे। सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने कहा कि इससे पर्यटकों को अपने गोत्र के साथ ही अपने पूर्वजों के संबंध में जानकारी मिल सकेगी। 

प्रदेश में पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा 

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुताबिक उत्तराखंड देवभूमि और ऋषि-मुनियों की तपस्थली रही है। देश-विदेश से लोग धार्मिक पर्यटन के लिए यहां आते हैं। यहां आने वाले पर्यटकों को अपने पूर्वज और अपने गोत्र के विषय जानकारी उपलब्ध हो, इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। निश्चित रूप से इससे प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

पर्यटन विभाग बनाएगा विशिष्ट गोत्र चिह्न 

पर्यटन विभाग सभी प्रचलित गोत्रों के विशिष्ट चिह्न बनाएगा। गोत्र से संबंधित ऋषियों के तप स्थल, ईष्टदेव व उनके आश्रमों के संबंध में ग्रंथों में वर्णित स्थानों का चिह्नीकरण किया जाएगा। इसके आधार पर पर्यटक अपने गोत्र के अनुसार भ्रमण पर जा सकेंगे।

यह भी पढ़ें: उत्तरकाशी शहर की बदरंग दीवारों को सुंदर बना रहे हैं ये युवा

यह भी पढ़ें: सुनने में असमर्थ रुचा ने पेंटिंग कर सजाई शहर की दीवारें, लोगों ने सराहा

यह भी पढ़ें: यहां इस तरह से स्वच्छ भारत की मुहिम को गति दे रहे स्वच्छता के प्रहरी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.