दून शहर को बना डाला ट्रैफिक की प्रयोगशाला, लोगों की परेशानी बढ़ी Dehradun News
ट्रैफिक को लेकर अपनाया जा रहा एसएसपी साहब का यह प्लान जनता को जरा भी रास नहीं आ रहा। इससे राहत की जगह सिर्फ लोगों की परेशानी ही बढ़ती दिख रही हैं।
देहरादून, जेएनएन। पुलिस के जिस ट्रैफिक प्लान ने बुधवार शाम को तीन घंटे तक लोगों के पसीने छुड़ाकर रख दिए थे, गुरुवार सुबह अप्रत्याशित रूप से उसे फिर लागू कर दिया। वह भी आठ बजे से 11 बजे के ऐसे समय के बीच, जब स्कूल जाने का समय होता है, लोग ऑफिस और अपने कारोबार के लिए निकलते हैं। लिहाजा, आप समझ सकते हैं कि लोगों पर क्या बीती होगी। जाम से जूझते शहर का कोर एरिया और इधर-उधर बेबस झुंझलाते लोग। घंटाघर से दर्शनलाल चौक की जिस दूरी को लोग एक मिनट में तय कर रहे थे, उन्होंने अटपटे प्लान के चलते पहले लैंसडौन चौक तक का लंबा फेरा लगाया, फिर बुद्धा चौक होते हुए दर्शन लाल चौक पहुंचे। यदि आपस इन मार्गों से रोज गुजर रहे हैं तो आपकी आंखों के सामने घंटाघर से सीधे दर्शनलाल चौक या घंटाघर से लैंसडौन चौक-बुद्धा चौक और फिर दर्शनलाल चौक की दूरी के अंतर व अटपटेपन का अक्स साफ हो गया होगा।
बेशक नए पुलिस कप्तान अरुण मोहन जोशी ने तैनाती के चंद समय में ही कई बेहतर काम किए और पुलिस सड़क पर नजर आने लगी है। पुलिसिंग को लेकर उनका अनुभव जरूर शहर के काम आता दिख रहा है, मगर ट्रैफिक को लेकर अपनाया जा रहा उनका यह प्लान जनता को जरा भी रास नहीं आ रहा। इससे राहत की जगह सिर्फ लोगों की परेशानी ही बढ़ती दिख रही हैं।
घंटाघर से दर्शनलाल चौक की दूरी में यह रहा अंतर
पहले, 400 मीटर
अब, 1.5 किलोमीटर।
दून अस्पताल की तरफ एकतरफा भार
इस प्लान का सबसे अधिक प्रभाव दून अस्पताल क्षेत्र पर पड़ा। लैंसडौन चौक से दून अस्पताल तक जाने वाली सड़कें जाम से इतनी भर गईं कि जैसे सड़क पार्किंग करा दी गई हो। वाहन एक-दूसरे लगभग सटकर रेंगने लगे। क्योंकि सड़क पर नया ट्रैफिक प्लान इस तरह लागू हुआ कि सुभाष रोड व नगर निगम की तरफ से बुद्धा चौक होकर लैंसडौन जाने वाले वाहन सीधे बुद्धा चौक जाने की जगह पहले दर्शनलाल चौक जा रहे थे और फिर उन्हें दर्शनलाल चौक पहुंचना पड़ा। दूसरी तरफ जिन वाहनों को तहसील चौक से दून अस्पताल तक की 50 मीटर की दूरी तय करनी थी, वह दर्शनलाल चौक गए, फिर उन्हें लैंसडौन चौक व बुद्धा चौक की तरफ से गुजारा गया। ऐसे में बुद्धा चौक से लेकर दून अस्पताल तक सबसे अधिक जाम नजर आया।
दूरी में यह रहा अंतर
पहले, दोनों सड़क पर 50 मीटर से 350 मीटर।
अब, 01 किलोमीटर से 01 किलोमीटर।
घंटाघर पर भी बढ़ा अतिरिक्त भार
घंटाघर पर चकराता रोड के वाहनों का भार पहले से रहता है। अब नए प्लान के बाद जिन लोगों को तहसील चौक से सीधे लैंसडौन चौक जाना था, उन्हें अनावश्यक रूप से घंटाघर जाना पड़ा और यूटर्न लेकर दर्शनलाल चौक से लैंसडौन चौक जाना पड़े। गति का सामान्य नियम बताता है कि सीधी दूरी में समय कम लगता है और मोड़ की दशा में औसत समय बढ़ जाता है। दूसरी तरफ इस अनावश्यक वाहन दबाव के चलते घंटाघर पर जाम बेकाबू हो गया।
दूरी में यह रहा अंतर
पहले, 700 मीटर।
अब, 01 किलोमीटर।
बढ़ी दूरी, ध्वनि-वायु प्रदूषण भी बढ़ा
नए ट्रैफिक प्लान से चंद मिनटों की दूरी आधे घंटे तक में तब्दील हो गई। इससे सड़कों पर अतिरिक्त समय तक वाहन अनावश्यक रूप से रेंगते रहे। दूसरी तरफ कार में 40 रुपये तक अतिरिक्त पेट्रोल/डीजल लग गया तो दुपहिया में यह लागत कम से कम 20 रुपये अधिक हो गई। सिर्फ यही नहीं इससे वातावरण में अनावश्यक ध्वनि प्रदूषण व वायु प्रदूषण का ग्राफ भी निश्चित तौर पर बढ़ा। खासकर दून अस्पताल व दून महिला अस्पताल जैसे संवेदनशील क्षेत्र में यह स्थिति और भी खतरनाक है।
वाहन का दबाव वही तो प्लान कैसे काम करता
सीधी बात यह कि जिस समय यह प्लान लागू किया गया, उस समय किसी भी दिशा में वाहन का दबाव पहले जैसा था। जिन्हें जहां जाना था, उन्हें वहां तक पहुंचना ही था। फिर चाहे वाहनों को सीधे गुजार दिया जाता या लंबा फेरा लगाकर। फिर ऐसा प्लान भी लागू नहीं किया जा सकता कि पहले किसी भी हिस्से में एक तरफ का ट्रैफिक गुजरेगा और उसके बाद दूसरी दिशा का। क्योंकि लंबा फेरा लगाने के बाद भी लोग लैंसडौन चौक, बुद्धा चौक व दून अस्पताल की तरफ आमने-सामने होते ही रहे। इससे जाम तो पहले की अपेक्षा बढ़ ही गया, लोगों को अनावश्यक रूप से लंबा सफर भी तय करना पड़ा। साफ है कि दून के कोर एरिया कि चंद सड़कों पर अलग-अलग तरह से प्लान लागू कर बात बनने वाली नहीं है। इस तरह की कवायद में शहर की ट्रैफिक की प्रयोगशाला बनकर रह जाएगा।
स्कूलों की छुट्टी के समय भी किया जाएगा ट्रायल
नए ट्रैफिक प्लान लागू करने से पहले पुलिस नफा-नुकसान का आकलन करेगी। इसके लिए दर्शनलाल चौक के अलावा शहर के दूसरे जाम वाले चौक-चौराहों पर भी जल्द ट्रायल किया जाएगा। इसके बाद विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपी जाएगी। प्लान लागू करने पर सरकार अंतिम निर्णय लेगी। इसके पीछे पुलिस का मकसद शहर को जाम मुक्त करना है।
एसएसपी अरुण मोहन जोशी ने गुरुवार को साफ कहा कि नया ट्रैफिक प्लान सिर्फ ट्रायल है। इसको प्रयोग से पहले जनता के हितों को देखा जाएगा। इसके लिए विस्तृत अध्ययन रिपोर्ट तैयार की जाएगी। खासकर पूर्व में ट्रैफिक सुधार के प्रयोगों की रिपोर्टों, वाहनों की संख्या, जाम लगने के कारणों को भी इसमें शामिल किया गया है। ट्रैफिक सुधार को लेकर दून में काम करने वाली एजेंसियों को भी इसमें शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि नए प्रयोग के दौरान जाम लगने के कारण, नए रूट पर तय होने वाली दूरी, वाहनों की आवाजाही में लगने वाले समय का भी अध्ययन किया जा रहा है। इसके अलावा संकरी सड़क, चौराहे, तिराहे, नाली और फुटपाथ को भी शामिल किया गया है। एसएसपी ने साफ कहा कि पूरा अध्ययन होने के बाद पूरी रिपोर्ट पुलिस महानिदेशक के मार्फत मुख्यमंत्री को भेजी जाएगी। इस पर अंतिम निर्णय सरकार को लेना है।
जनता पर नहीं थोपा जाएगा प्लान
एसएसपी जोशी ने बताया कि नए ट्रैफिक प्रयोग का ट्रायल पीक आवर शाम और सुबह तीन-तीन घंटे कर लिया है। अब दोपहर को स्कूलों की छुट्टी के दौरान भी इसे लागू किया जाएगा। ताकि स्कूल की छुट्टी के दौरान लगने वाले जाम और उससे निजात पाने के कारण तलाशे जा सके। उन्होंने स्पष्ट कहा कि किसी भी सूरत में प्लान को थोपा नहीं जाएगा।
पुलिस! पहले ये करके दिखाओ
यातायात सुधार का मतलब यह कतई नहीं है कि नागरिकों को सिर्फ यहां-वहां हांका जाए। यातायात का कोई भी प्लान लागू करने से पहले उन ज्वलंत समस्याओं का हल निकालना होगा, जिनसे सड़कें बॉटलनेक बन रही हैं। पुलिस का काम विशेषज्ञ बनकर ट्रैफिक प्लान तैयार करना नहीं, बल्कि विशेषज्ञों ने जो व्यवस्थाएं सड़क के लिए बनाई हैं, उन्हें सुचारू रूप से चलाना है। यह देखना है कि सड़कें किन कारणों से बाधित हो रही हैं। पार्किंग व्यवस्थित रूप से हो रही हैं या नहीं। फुटपाथ कहां पर अतिक्रमण का शिकार हैं और सड़कों के किन हिस्सों पर बाजार सजे हैं। यदि पुलिस इन व्यवस्थाओं को लागू करवा पाती है तो यातायात की आधी समस्या खुद ही दूर हो जाएगी। इसके बाद विशेषज्ञ एजेंसियों से सड़कवार यातायात घनत्व (ट्रैफिक डेंसिटी) के हिसाब से प्लान तैयार कराया जा सकता है। पुलिस के लिए यातायात व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए इंफोर्समेंट (प्रवर्तन) के ऐसे और भी कई काम हैं, जिन पर अमल करना जरूरी है। क्योंकि तभी सही मायने में दून के लिए आदर्श ट्रैफिक प्लान लागू किया जा सकता है। इसके बिना जगह-जगह कट बंद करने से, लोगों को जब-तब इधर-उधर ठेलते रहने से शहर का सिर्फ मर्ज ही बढ़ेगा।
1. अस्थायी अतिक्रमण पर नियमित कार्रवाई जरूरी
किसी भी मुख्य सड़क पर नजर दौड़ा लीजिए, उन पर अस्थायी अतिक्रमण भी भरमार दिख जाएगी। दुकानों का सामान सड़कों पर पसरा मिल जाएगा। कभी-कभार जब पुलिस अभियान चलाती है तो कुछ घंटों के लिए व्यवस्था सुधर जाती है और फिर हालात पहले जैसे हो जाते हैं। ऐसी स्थिति पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस को नियमित रूप से अभियान चलाने की जरूरत है।
2. चौराहों के 50 मीटर के दायरे में वाहनों को रुकने की अनुमति न हो
अक्सर देखा जाता है कि चौराहों व तिराहों के इर्द-गिर्द भी वाहन रोक दिए जाते हैं। यह जगह वाहनों के मुडऩे की होती हैं और इन्हीं स्थानों पर वाहन रुकने लगते हैं तो अन्य वाहनों को सुगमता से मुडऩे में परेशानी होती है। इससे अनावश्यक रूप से जाम लग जाता है। लिहाजा, चौराहों के 50 मीटर के दायरे किसी भी तरह के वाहनों को रुकने न दिया जाए।
3. बेढंगे फुटपाथ को सड़क के स्तर तक लाया जाए
शहर के फुटपाथों का अधिकांश हिस्सा कब्जे की जद में रहता है। ऐसे में सड़क के दोनों तरफ करीब 15-20 फीट हिस्सा सड़क के उपयोग में नहीं आ पाता। दुकानों का सामान यहां तक कि कुर्सी आदि भी फुटपाथ पर ही लगी रहती हैं। इसके बाद जब ग्राहक आते हैं तो उनके वाहन इसके बाहर सड़क पर खड़े किए जाते हैं। यदि फुटपाथ को सड़क के स्तर पर लाया जाए तो कम से कम दुकानों के कब्जे से उसे मुक्त कर सड़क के काम में लाया जा सकता है।
4. मुख्य मार्गों पर ई-रिक्शा संचालन न कराएं
यह सर्व-विदित है कि ई-रिक्शा यातायात गति के सामान्य नियम (जरूरत के मुताबिक त्वरित प्रतिक्रिया) के अनुरूप नहीं हैं। ऐसे में मुख्य मार्गों पर ई-रिक्शा के संचालन का पूरे यातायात पर विपरीत असर डालता है। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ई-रिक्शा का संचालन सिर्फ लिंक मार्गों पर हो। क्योंकि मुख्य मार्गों पर ई-रिक्शा अन्य वाहनों को ओवरटेक करते हैं तो इनकी सीमित तकनीकी क्षमता के चलते दुर्घटनाएं होने की आशंका भी बढ़ जाती है।
5. बंद पड़ी ट्रैफिक लाइट चालू कराएं
शहर के तमाम चौराहों व तिराहों पर लंबे समय से ट्रैफिक लाइटें बंद पड़ी हैं। ऐसे में यदि पुलिस खड़ी भी है तो वह वाहनों को एकदम करीब आने पर दिखती है और वाहन बीच चौराहे तक खड़े हो जाते हैं। इससे दूसरे तरफ से गुजरने वाले वाहन जाम की स्थिति में रहते हैं। ट्रैफिक लाइटों को नियमित रूप से चालू अवस्था में रखा जाए और रेड लाइट होने पर वाहनों को जेब्रा क्रॉसिंग से पहले ही खड़ा कराया जाए।
6. स्कूल बसों की अनिवार्यता जरूरी
स्कूलों के लिए यह व्यवस्था की जाए कि वह बच्चों को लाने-ले जाने के लिए अपने स्तर पर वाहनों की व्यवस्था करें। क्योंकि अभिभावकों के निजी वाहनों के प्रयोग से स्कूलों के इर्द-गिर्द की सड़कों पर स्कूल खुलने व छुट्टी के समय बेतहाशा जाम की स्थिति पैदा हो जाती है। यह प्रवृत्ति इसलिए भी आपत्तिजनक है कि एक बच्चे के लिए भी अलग से एक वाहन संचालित हो रहा है। दूसरी तरफ स्कूल प्रशासन अभिभावकों को परिसर में पार्क करने की अनुमति नहीं देते हैं और वाहन सड़क पर ही खड़े रहते हैं।
7. शोभायात्रा के लिए सशर्त अनुमति और जुलूस-प्रदर्शन पर रोक
शहर के मुख्य मार्गों पर शोभायात्राओं को सर्शत अनुमति दी जाए और यह भी सुनिश्चत कराया जाए कि उसका अनुपालन हो रहा है या नहीं। इसके अलावा मुख्य मार्गों पर अन्य किसी जुलूस-प्रदर्शन को अनुमति न दी जाए। विवाह-समारोह के लिए भी एडवाइजरी जारी की जाए।
8. फड़-ठेली का दायरा तय करना जरूरी
फड़-ठेली के लाइसेंस निर्धारित स्थानों के लिए होते हैं, जबकि ये शहरभर में न सिर्फ घूमते रहते हैं, बल्कि जहां-तहां इन्हें स्थापित भी कर दिया जाता है। पुलिस तब तो इन पर झटपट कार्रवाई करती है, जब सड़क से कोई वीआइपी काफिला गुजर रहा हो, मगर आमतौर पर इन्हें नियंत्रित नहीं किया जाता। लिहाजा, वेंडिंग जोन में ही फड़-ठेली लगाए जाने की कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
9. बस-बिक्रम स्टॉपेज पर ही रुकें
शहर के बस स्टॉपेज सिर्फ नाम के रह गए हैं। सिटी बस चालक व बिक्रम चालकों का जहां मन करता है, वहां वाहन खड़े कर सवारियों को उतारा व चढ़ाया जाता है। इस दशा में बिना बात जाम लगता रहता है। ऐसे में पुलिस को यह सुनिश्चित कराना चाहिए कि सवारी वाहन सिर्फ निर्धारित स्टॉपेज कर ही सवारी चढ़ाने व उतारने का काम करें।
10 . चौराहों पर सक्रिय रहें पुलिसकर्मी
पुलिस कर्मियों की सक्रिय तैनाती प्रमुख चौराहों व तिराहों पर सुनिश्चित की जाए। समय-समय पर थानाध्यक्ष, कोतवाल व सीओ स्तर के अधिकारी भी व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए राउंड पर रहें। पुलिस की सक्रियता से सड़कों व फुटपाथों पर अस्थाई अतिक्रमण नहीं हो पाएंगे और नागरिक भी अनुशासन में रहेंगे।
एंबुलेंस जाम में न फंसे, थानेदार संभालें जिम्मेदारी
एसएसपी अरुण मोहन जोशी ने कहा कि शहर में एंबुलेंस जाम में न फंसे, इसका ख्याल भी थानेदारों को रखना होगा। ओवरलोडिंग करने वाली सिटी बसों, विक्रम और ऑटो पर सीधी सीज की कार्रवाई करें। इस व्यवस्था पर सभी थानाध्यक्ष और चौकी इंचार्ज अभी से काम शुरू कर दें। इसमें लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
शहर की सड़कों पर मनमाफिक दौड़ते विक्रम, ऑटो और सिटी बसें दुर्घटना को न्योता दे रहे हैं। इनमें अधिकांश ओवरलोडिंग या फिर नियम विरुद्ध संचालित हो रहे हैं। इसके लिए जरूरी है कि चेकिंग अभियान चलाकर इन पर नजर रखी जाए। एसएसपी अरुण मोहन जोशी ने सभी थाना प्रभारियों को निर्देश दिए कि सड़क पर जाम लगने के पीछे सिटी बसें और विक्रम-ऑटो भी प्रमुख कारण हैं। इनमें भी ओवरलोडिंग करने वालों की संख्या ज्यादा है। ज्यादा सवारियां भरने से दुर्घटना की संभावना अधिक रहती है। ऐसा करने वाले वाहन चालकों के खिलाफ मोटर वाहन अधिनियम के तहत सख्त कार्रवाई की जाए।
थानेदारों के लिए समय निर्धारित
एसएसपी ने शहर में जाम और व्यवस्था सुधारने के लिए थानेदारों के लिए समय निर्धारित कर दिया है। एसएसपी ने सभी थानेदारों को नगर क्षेत्र में सुबह नौ से 11 बजे, दोपहर एक से ढाई बजे तथा शाम को पांच से आठ बजे तक सड़कों पर रहने के निर्देश दिए हैं। इस दौरान थाने में सिर्फ दिवस अधिकारी और कुछ सिपाही को छोड़कर पूरा फोर्स भी सड़कों पर उतारेगा। फोर्स को शहर के भीड़ वाले इलाकों, चौराहों और तिराहों पर तैनात करने को कहा गया है।
हर फरियाद पर कार्रवाई के दिए निर्देश
एसएसपी अरुण मोहन जोशी ने फरियादियों के प्रार्थनापत्र रिसीव न करने की शिकायत पर गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने सभी थानेदारों, सर्किल अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रार्थनापत्र प्राप्त करने के बाद जीडी में दर्ज करें। साथ ही कार्रवाई से पीडि़त को भी अवगत कराएं।
10 स्कूली वाहन सीज, 70 चालान
शहर में बच्चों की परिवहन सेवा पर केवल स्कूल प्रबंधन ही नहीं बल्कि बड़े शैक्षिक संस्थान भी सुधरने को राजी नहीं हैं। स्कूली वाहनों के साथ उच्च शैक्षिक संस्थानों की बसों में भी चालक बिना लाइसेंस वाहन चलाने हुए पकड़ में आ रहे। यही नहीं, इनकी बसें भी बिना फिटनेस व बिना टैक्स दिए सड़क पर दौड़ रही हैं। गुरूवार को परिवहन विभाग ने अभियान चलाकर ऐसे दस वाहन सीज कर दिए जबकि 70 का चालान किया गया।
टिहरी में हुए स्कूली वाहन के हादसे के बाद परिवहन विभाग शहर में स्कूली वाहनों की जांच का अभियान चला रहा। गुरूवार को भी एआरटीओ प्रशासन अरविंद पांडे के निर्देशन में विभाग की चार टीमों ने शहर में स्कूल व उच्च शैक्षिक संस्थानों की बसों व अन्य वाहनों की चेकिंग की। स्थिति ये थी कि बड़े संस्थानों की बसें ओवरलोड मिलीं और इनमें तीन की सीट पर चार-चार छात्रों को बैठाया गया था। कुछ बसों में भीड़ की वजह से छात्राएं पायदान के पास खड़े होने को मजबूर मिलीं। ऐसी 18 बसों के विरुद्ध चालान की कार्रवाई की गई। इसके अलावा स्कूली वाहन चालकों के पास लाइसेंस भी नहीं मिले। कई निजी वैन भी बच्चों को ले जाती हुई पकड़ी गई। एआरटीओ ने बताया कि दो बसों, पांच वैन समेत दस वाहन को सीज किया गया।
पीएमओ के आदेश भी हुए हवा
देहरादून सिटी बस महासंघ के अध्यक्ष विजय वर्धन डंडरियाल ने परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर प्रधानमंत्री कार्यालय से आए आदेश पर भी कार्रवाई न होने का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि विक्रमों को सेवन प्लस वन में गुपचुप ढंग से बदलकर मैक्सी कैब का परमिट दे दिया गया, जबकि एआरआइ पुणे की रिपोर्ट की मानें तो विक्रम ऑटो-रिक्शा श्रेणी में आते हैं। इस मामले में 19 नवंबर 2018 को पीएमओ से जांच का आदेश उत्तराखंड को भेजा गया था। इसी तरह टाटा मैजिक को गलत तरीके से परमिट देने पर पीएमओ ने 22 मार्च 2017 जबकि पुलिस द्वारा सिटी बस मालिक का उत्पीडऩ करने के मामले में पीएमओ ने 15 जनवरी 2018 को जांच के आदेश दिए गए थे। डंडरियाल ने आरोप लगाया कि तीनों मामलों में कोई जांच नहीं हुई और पत्र गायब कर दिए गए।
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