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विजय दिवस पर सेना के साहस व पराक्रम को किया याद, राज्यपाल सिंह और सीएम धामी ने शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि

वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय सशस्त्र सेनाओं की ऐतिहासिक जीत के पचास साल पूरे हो गए हैं। स्वर्णिम विजय दिवस पर देश-प्रदेश में इस युद्ध के वीर सैनिकों के शौर्य पराक्रम व बलिदान को याद किया गया। उत्तराखंड में भी अलग-अलग स्थान पर कार्यक्रम आयोजित हुए।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 16 Dec 2021 12:07 PM (IST)Updated: Thu, 16 Dec 2021 10:41 PM (IST)
विजय दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शहीदों को श्रद्धांंजलि दी।

जागरण संवाददाता, देहरादून: वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय सशस्त्र सेनाओं की ऐतिहासिक जीत के पचास साल पूरे हो गए हैं। स्वर्णिम विजय दिवस पर देश-प्रदेश में इस युद्ध के वीर सैनिकों के शौर्य, पराक्रम व बलिदान को याद किया गया। उत्तराखंड में भी अलग-अलग स्थान पर कार्यक्रम आयोजित हुए। जिसमें सैनिकों की शहादत को नमन किया गया। वहीं राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने भारतीय सैन्य अकादमी स्थित युद्ध स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित कर शहीदों को नमन किया।

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गांधी पार्क स्थित कारगिल वार मेमोरियल पर पुष्प चक्र अर्पित कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि भारत के सैन्य इतिहास में 16 दिसंबर का दिन वीरता व पराक्रम का एतिहासिक दिन है। देश की एकता व अखंडता के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले जवानों को नमन करते सीएम ने कहा कि इनकी वजह से ही देश का हर नागरिक चैन की नींद सोता है। देवभूमि उत्तराखंड की सदैव देशभक्ति व राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हमेशा ही देश के सैनिकों का मनोबल बढ़ाने का कार्य किया है। इस अवसर पर सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी, राजपुर रोड विधायक खजानदास, जिलाधिकारी आर राजेश कुमार, पूर्व सैनिक, एनसीसी कैडेट आदि भी मौजूद रहे।

लाल गेट वार मेमोरियल पर दी शहीदों को श्रद्धांजलि

विजय दिवस के अवसर पर उत्तराखंड सब एरिया मुख्यालय की ओर से गढ़ी कैंट स्थित लाल गेट वार मेमोरियल पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। सेना के सेवारत व सेवानिवृत्त अधिकारियों ने वार मेमोरियल पर पुष्पचक्र अर्पित कर वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि तेरह दिन तक चले इस युद्ध में भारतीय सशस्त्र सेनाओं के सामने दुश्मन घुटने टेकने को मजबूर हुआ था। पाकिस्तान के 90 हजार से अधिक सैनिक ने अपने कमांडर ले. जनरल नियाजी के नेतृत्व में भारतीय सेना के समक्ष समर्पण किया था। इस युद्ध का परिणाम यह भी रहा कि विश्व के मानचित्र पर बांग्लादेश का नए स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में उदय हुआ। कहा कि वीर सैनिकों के सर्वोच्च बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। श्रद्धांजलि देने वालों में सब एरिया मुख्यालय के जीओसी मेजर जनरल संजीव खत्री, डिप्टी जीओसी ब्रिगेडियर अनिर्बन दत्ता, 42 इंफेंट्री बटालियन के कमांडर ब्रिगेडियर गुरबीर सिंह के अलावा रिटायर ले. जनरल शक्ति गुरुंग, ब्रिगेडियर एएस सिन्हा आदि शामिल रहे।

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