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    Chhath Evening Rishikesh: अस्तांचलगामी भगवान भास्कर को चढ़ाया आस्था का अर्घ्य, देखें तस्‍वीरों में

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Wed, 10 Nov 2021 06:49 PM (IST)

    Chhath Puja 2021 तीर्थनगरी ऋषिकेश में लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा को लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखा गया। आज बुधवार को छठ के पारंपरिक लोक गीतों ...और पढ़ें

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    पूर्वांचल के नागरिकों की लोक आस्था व सूर्य उपासना के महापर्व छठ पूजा को लेकर श्रद्धालुओं में जोरदार उत्साह रहा।

    जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। Chhath Puja 2021: पूर्वांचल के नागरिकों की लोक आस्था व सूर्य उपासना के महापर्व छठ पूजा को लेकर तीर्थनगरी में श्रद्धालुओं में जोरदार उत्साह रहा।

    बुधवार को छठ के पारंपरिक लोक गीतों हमहूं अरघिया देबे हे छठी मइया.., हम्मे तो ने जैबे कोने घाट.., हे छठी मइया.., शोभे ला घाट छठी माई के.., छठी माइ के लागल दरबार.. के साथ व्रती महिलाओं ने तीर्थनगरी के गंगा घाटों पर अस्तांचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य चढ़ाया। गुरुवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर व्रती अन्न जल ग्रहण कर महाव्रत का पारण करेंगी।

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    सूर्योपासना का यह छठ पर्व कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से शुरू होकर सप्तमी तिथि को प्रात: सूर्योदय के साथ संपन्न होता है। बिहार, झारखंड व पूर्वी उत्तर प्रदेश का यह पारंपरिक महापर्व छठ पूजा तीर्थनगरी ऋषिकेश व आसपास क्षेत्र में भी धूमधाम से मनाया जाता है।

    चार दिनों तक चलने वाले छठ पूजा के तीसरे दिन बुधवार को व्रती महिलाएं अपने घरों में प्रसाद बनाने की तैयारी में जुटी रही। पूजा के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य चढ़ाया जाता है।

    बुधवार को पूरी तीर्थनगरी छठ पूजा के रंग में रंगी नजर आई। छठ पूजा के महत्वपूर्ण पूजा स्थल त्रिवेणी घाट व मुनिकीरेती के शीशमझाड़ी स्थित छठ पूजा घाट को शानदार ढंग से सजाया गया था। यहां पूजा के लिए श्रद्धालुओं ने वेदियां तैयार की, जिन पर केले के थंभ से तोरणद्वार बनाए गए।

    गुरुवार को सुबह से ही गंगा तटों पर पूजा-अर्चना का सिलसिला शुरू हो गया था, जबकि दोपहर बाद इन घाटों पर श्रद्धालुओं के आने का क्रम शुरू हुआ तो गंगा के सभी घाट श्रद्धालुओं से खचाखच भर गए।

    व्रतियों ने बांस से बने सूप और दउरा (टोकरी) को ठेकुआ और शरद ऋतु फलों को सजाया। त्रिवेणी घाट गंगा तट पर शाम चार बजे से ही व्रती महिलाओं का पहुंचना शुरू हो गया था।

     महिलाएं सिर में प्रसाद की टोकरी लेकर बैंड बाजों के साथ छठ के पारंपरिक लोकगीत कांच रे बांस के बहंगिया, बहंगिया लचकत जाय...., अमर सुहाग होला, दुख जाला तार हो...., निर्धन जानेला, धनवान जानेला महिमा छठी मइया के पार इ जहान जानेला... भी गाते हुए चल रही थीं। अर्घ्य चढ़ाने से पहले व्रती महिलाओं ने गंगा घाट पर विधिवत पूजा-अर्चना की।

    तत्पश्चात अस्तांचल को गमन करते दीनानाथ को अर्घ्य चढ़ाया गया। इस दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। छठ पूजा को देखते हुए त्रिवेणी घाट पर सुरक्षा की दृष्टि से भारी पुलिस फोर्स तैनात किया गया था। गुरुवार को प्रात:काल में उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य दिया जाएगा। छठ व्रती महिलाएं अर्घ्य देने के बाद प्रसाद ग्रहण कर अपना व्रत खोलेंगी।

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