किटी-कमेटी में मुनाफे की एवज में मिल रहा धोखा, 10 माह में सामने आए 31 मामले
किटी-कमेटी संचालक लोगों चंद महीनों में मोटा मुनाफा कमाने का लालच देकर उन्हें ठगने में लगे हैं। विगत दस महीनों में 31 मामले सामने आए हैं।
देहरादून, जेएनएन। छोटी बचत कर अपने सपनों को साकार करना मध्यमवर्गीय परिवार का सबसे बड़ा उद्देश्य होता है। इसके लिए वह अपनी रोजमर्रा की जरूरतों में कटौती कर पाई-पाई जोड़ते हैं। किटी-कमेटी संचालक लोगों के इसी सपने को साकार करने का सब्जबाग दिखा चंद महीनों में मोटा मुनाफा कमाने का लालच देकर उन्हें ठगने में लगे हैं। विगत दस महीनों में आए किटी-कमेटी ठगी के 31 मामले इस बात की गवाही देने को काफी हैं कि देहरादून में हालात कितने गंभीर हैं।
किटी-कमेटी संचालक लोगों को झांसे में लेने के लिए कई तरह के तरीके अपनाते हैं। पहला तो उन्हें चंद महीने में अच्छी खासी रकम मिल जाने का प्रलोभन देते हैं, इससे भी कोई तैयार नहीं हुआ तो लकी ड्रॉ के जरिये किश्तों के कम होने की चाल चलते हैं। इस सबके लिए संचालक महंगे होटल और रेस्टोरेंट में कमेटी के सदस्यों की पार्टी भी कराते हैं, जिसमें खाना-पीना होने की बात कही जाती है। संचालक कुछ इस तरह लोगों को फांसते हैं कि सब कुछ जानते हुए भी वह उनके बिछाए जाल में उलझ जाते हैं।
यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि एक बार किश्त देने के बाद जमा पूंजी बचाए रखने के लिए किश्तें जमा करने लगते हैं और जब कमेटी में मोटी रकम जमा हो जाती है तो वह विवश हो जाते हैं कि कमेटी में पैसे लगाते रहें। हाल में सामने आए मामलों में पीडि़त महिलाओं और पुरुषों का कहना था कि शुरुआत में उन्होंने संचालक की बातों पर विश्वास करते हुए किश्तें जमा करनी शुरू की, लेकिन सच्चाई तब सामने आई जब उन्होंने कमेटी के पूरा होने के बाद रकम वापस मांगी। तब उन्हें विश्वास के बदले धोखा और धमकी मिली। साथ ही मुनाफा मिलने की जगह जीवन भर की कमाई डूब गई।
प्रकरण एक
कैंट कोतवाली क्षेत्र में जुलाई महीने में किटी के नाम तीन करोड़ रुपये की ठगी का मामला सामने आया। शिकायतकर्ताओं का आरोप था कि वह दो साल से संचालक को 21 हजार रुपये प्रतिमाह की किश्त दे रहे थे। जुलाई में जब किटी की अवधि पूरी हो गई तो संचालक पैसे लौटाने में आनाकानी करने लगा। तब इसकी शिकायत एसपी सिटी से की गई थी, जिसके बाद मामले में मुकदमा पंजीकृत हुआ, लेकिन लोगों की रकम अभी भी फंसी हुई है।
प्रकरण दो
जून में त्यागी रोड पर रहने वाले कमेटी संचालक दो दर्जन से अधिक महिलाओं के 36 लाख रुपये से अधिक की रकम लेकर फरार हो गए। महिलाएं अपनी जमा पंूजी पाने के लिए कई दिन तक संचालक के घर से लेकर पुलिस कार्यालय के चक्कर काटती रहीं। जब कहीं से उन्हें रकम वापस होने की उम्मीद नहीं दिखी तो वह एसएसपी से मिलने पहुंची। मामले में शहर कोतवाली पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ मुकदमा तो दर्ज कर लिया, लेकिन महिलाओं को अभी तक पैसे वापस नहीं मिले हैं। मामला अब कोर्ट में विचाराधीन है।
प्रकरण तीन
बीते सितंबर महीने में डालनवाला कोतवाली क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक महिलाओं के किटी के पैसे संचालिका ने लौटाने से मना कर दिया। जिन लोगों के पैसे डूबे थे, वह पुलिस के पास पहुंचीं। जांच में पता चला कि महिला ने लोगों के 19 लाख रुपये डकार रखे हैं। मामले में डालनवाला कोतवाली में आरोपित महिला के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। इस मामले में पुलिस की विवेचना अभी जारी है। इस दौरान पता चला कि ठगी के शिकार लोगों की संख्या पचास से ऊपर है।
कई ज्वेलर्स भी चलाते हैं किटी का धंधा
देहरादून शहर के कई ज्वेलर्स ऐसे हैं जो किटी-कमेटी चलाते हैं। दरअसल लोगों को विश्वास होता है कि यह तो ज्वेलर्स हैं और कारोबार छोड़ कर कहां भागेंगे। यही नहीं ज्वेलर्स रकम के बदले ज्वेलरी लेने का भी विकल्प देते हैं। इस विश्वास में आकर लोग रकम लगा देते हैं। मगर हाल ही में प्रेमनगर में बालाजी ज्वेलर्स के दर्जनों लोगों के लाखों रुपये लेकर फरार होने का मामला इस बात की पुष्टि करने को काफी है। यही नहीं इससे पहले पटेलनगर थाना क्षेत्र में भी एक ज्वेलर्स के दर्जनों के लोगों के लाखों रुपये डकार कर फरार होने का मामला सामने आया था।
चिट फंड एक्ट से पुलिस ने कसा शिकंजा
पिछले साल तक किटी-कमेटी धोखाधड़ी के मामले आइपीसी की धारा 420 के तहत दर्ज किए जाते थे। इसमें संचालकों को आसानी से जमानत मिल जाती थी और महीनों केस न्यायालय में विचाराधीन रहता था। चूंकि शातिर संचालक रकम जमा कराने के लिए दस्तावेजी साक्ष्य कम ही देते थे, लिहाजा वह आसानी से बच निकलते थे। मगर अब पुलिस ने इन धोखेबाजों पर इनामी चिट फंड और धन परिचालन स्कीम (पाबंदी) अधिनियम 1978 के तहत मुकदमा दर्ज करना शुरू किया है, जिससे किटी संचालकों के बीच अब भय का माहौल बनने लगा है।
शहर में तेजी से फलफूल रहा धंधा
विगत दस महीने में सामने आए किटी के सभी 31 मामले शहर क्षेत्र के हैं। इसमें भी शहर कोतवाली क्षेत्र सबसे संवेदनशील है, जहां अब तक 11 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। इसे देखते हुए एसएसपी अरुण मोहन जोशी ने एसपी सिटी श्वेता चौबे को निर्देशित किया है कि वह लोगों को किटी कमेटी के प्रति जागरूक करने की दिशा में कदम उठाएं और किटी-कमेटी संचालकों को चिह्नित कर उनके खिलाफ कार्रवाई करें।
आंकड़ों में किटी के मामले
- थाना----------------मुकदमा---आरोपित-----गिरफ्तार
- कोतवाली------------11---------32------------18
- प्रेमनगर--------------3----------11------------3
- डालनवाला-----------3-----------7-------------7
- नेहरू कॉलोनी--------2---------10----------00
- रायपुर-----------------1----------3----------00
- पटेलनगर-------------6----------27---------00
- कैंट-------------------4---------10----------00
- राजपुर----------------1----------4------------2
- योग------------------31--------104---------30
सरकार को है कानून बनाने का अधिकार
इनामी चिट फंड और धन परिचालन स्कीम (पाबंदी) अधिनियम 1978 के तहत राज्य सरकार को गैर कानूनी तरीके से चलने वाले इस धंधे पर अंकुश लगाने के लिए कानून बनाने का अधिकार है। जबकि स्थिति यह है कि अभी तक राज्य सरकार की ओर से किटी-कमेटी पर अंकुश लगाने के लिए कोई कानून नहीं बनाया गया है।
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बैंक-डाकखानों में भी छोटी बचत का विकल्प
जिस तरह किटी-कमेटी में लोग हर महीने हजार रुपये से लेकर मोटी रकम जमा करते हैं, ठीक उसी तरह बैंकों और डाकखानों में भी रकम जमा करने का विकल्प है। यहां एक से लेकर पांच साल तक सावधि जमा कर उस पर अच्छा खासा ब्याज तो पाया ही जा सकता है और रकम के डूबने का भी खतरा न के बराबर होता है। बैंकों में चल रही छोटी बचत की योजनाओं के प्रचार-प्रसार के लिए पुलिस अधिकारी बैंकों के साथ मिलकर जागरूकता अभियान चलाने की दिशा में कार्ययोजना तैयार कर रहे हैं।
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बोले एसएसपी
एसएसपी अरुण मोहन जोशी का कहना है कि किटी-कमेटी का संचालन पूरी तरह गैरकानूनी है। हाल के दिनों में जितने भी मामले आए, उनमें मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारियां की गईं। साथ ही लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है कि वह किटी-कमेटी में पैसा लगाने से बचें और यदि उनके आसपास कोई यह धंधा चला रहा है तो उसकी सूचना पुलिस को दें। उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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