Chardham Yatra शुरू होने में एक माह से भी कम समय, रुद्रप्रयाग में मिला तेजी से फैलने वाला वायरस; सरकार सतर्क
Chardham Yatra 2025 30 अप्रैल से चारधाम यात्रा शुरू होनी है। अब यात्रा शुरू होने में एक माह से भी कम समय है। ऐसे में रुद्रप्रयाग जिले में वायरस मिलने की पुष्टि हुई है। पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने मंगलवार को सचिवालय में स्थिति की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए हैं। आइए खबर के बारे में विस्तार से जानते हैं।

राज्य ब्यूरो, जागरण देहरादून। Chardham Yatra 2025: रुद्रप्रयाग जिले के वीरोन व बस्ती गांव में 18 घोड़े-खच्चरों में संक्रामक रोग एक्वाइन इन्फ्लुएंजा की पुष्टि के बाद सरकार सतर्क हो गई है।
पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने मंगलवार को सचिवालय में स्थिति की समीक्षा करते हुए कहा कि 30 अप्रैल से चारधाम यात्रा शुरू होनी है। इसे देखते हुए अश्व वंशीय पशुओं की स्क्रीनिंग को प्राथमिकता में रखा जाए, ताकि कोई भी रोगग्रस्त पशु यात्रा में सम्मिलित न हो सके।
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उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि अन्य राज्यों से चारधाम के आने वाले अश्व वंशीय पशुओं के लिए अपने जिलों से स्वास्थ्य परीक्षण प्रमाणपत्र के साथ ही एक्वाइन इन्फ्लुएंजा की निगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य कर इसके बाद ही प्रवेश की अनुमति दी जाए।
पशुओं में तेजी से फैलने वाला रोग
- एक्वाइन इन्फ्लुएंजा पशुओं में तेजी से फैलने वाला रोग है।
- इसकी प्रसार की दर 80 से 90 प्रतिशत तक है।
- टीकाकरण ही इससे बचाव का एकमात्र उपाय है।
- वर्ष 2009 में चारधाम यात्रा में संचालित होने वाले लगभग 175 घोड़े-खच्चरों की मौत इस बीमारी से हो गई थी।
घोड़े-खच्चरों के संचालन को लेकर सतर्क सरकार
चारधाम यात्रा में सरकार इस बार भी घोड़े-खच्चरों के संचालन को लेकर सतर्क है। इसी कड़ी में हाल में ही रुद्रप्रयाग, चमोली, टिहरी, उत्तरकाशी व बागेश्वर जिलों में 422 घोड़े-खच्चरों के नमूने लिए गए थे। इनमें से रुद्रप्रयाग जिले में 18 में एक्वाइन इन्फ्लुएंजा की पुष्टि हुई। इसके बाद चारधाम यात्रा के लिए घोड़े-खच्चरों के पंजीकरण रोक दिए गए। साथ ही इस रोग से पीडि़त घोड़े-खच्चरों को क्वारंटीन किया गया है।

पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा। जागरण आर्काइव
पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने सचिवालय में विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक में इस स्थिति की समीक्षा की। बताया गया कि रुद्रप्रयाग, टिहरी, उत्तरकाशी, बागेश्वर व चमोली जिलों के गांवों में घोड़े-खच्चर की संख्या 23,120 है। इनमें से ही चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण किया जाता है। इसके अलावा कुछ घोड़े-खच्चर उत्तर प्रदेश समेत अन्य सीमावर्ती राज्यों से भी आते हैं।
सुनिश्चित की जाए 23,120 घोड़े-खच्चरों की जांच
पशुपालन मंत्री ने निर्देश दिए कि सभी 23,120 घोड़े-खच्चरों की स्वास्थ्य जांच सुनिश्चित की जाए। जिलों के साथ ही राज्य की सीमाओं पर स्थापित पशु रोग नियंत्रण चौकियों में भी यह कार्य प्राथमिकता से होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों से चारधाम यात्रा के लिए आने वाले अश्व वंशीय पशुओं को उनके स्वास्थ्य प्रमाणपत्र और एक्वाइन इन्फ्लुएंजा की निगेटिव रिपोर्ट के बाद ही अनुमति दी जाए।
बैठक में विभागीय सचिव डा बीवीआरसी पुरुषोत्तम के अलावा राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान हिसार व आइवीआरआइ मुक्तेश्वर के निदेशक, रुद्रप्रयाग के डीएम समेत अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

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