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    पर्युषण पर्व पर घर-घर चल रहा जप और तप

    By Sumit KumarEdited By:
    Updated: Thu, 20 Aug 2020 07:10 PM (IST)

    कोरोना संक्रमण के कारण श्वेतांबर जैन समाज का पर्युषण पर्व सादगी के साथ मनाया जा रहा है। लोग घर में ही तप धर्म-ध्यान और स्वाध्याय कर रहे हैं।

    पर्युषण पर्व पर घर-घर चल रहा जप और तप

    देहरादून, जेएनएन। कोरोना संक्रमण के कारण श्वेतांबर जैन समाज का पर्युषण पर्व सादगी के साथ मनाया जा रहा है। लोग घर में ही तप, धर्म-ध्यान और स्वाध्याय कर रहे हैं।  श्वेतांबर जैन समाज का पर्युषण पर्व 15 अगस्त को शुरू हुआ था। आठ दिवसीय यह पर्व 22 अगस्त को क्षमावाणी के साथ संपन्न होगा। इसके अगले दिन यानी 23 अगस्त से दिगंबर जैन समाज का 10 दिवसीय पर्युषण पर्व शुरू हो जाएगा। कोरोना के चलते इस बार प्रवचन के लिए जैन मुनि, छुल्लक महाराज आदि दून नहीं आए हैं। ऐसे में अनुयायी प्रवचन का श्रवण नहीं कर पा रहे हैं।

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    श्री श्वेतांबर स्थानकवासी जैन सभा के अध्यक्ष अनिल कुमार जैन ने बताया कि श्वेतांबर जैन समाज के लोग पर्युषण पर्व पर आठ दिन तक सिर्फ शाम के वक्त सरासू पानी (राख मिश्रित पानी) पीते हैं। ये आठ दिन तप के होते हैं। इन दिनों में हर परिवार के लोग बारी-बारी से जप करते हैं। 22 अगस्त को व्रत या अठाई करने वाले लोग जरूरतमंदों को भोजन कराएंगे। इस दिन तिलक रोड स्थित श्री जैन स्थानक में शारीरिक दूरी के पालन के साथ पोषद व क्षमावाणी कार्यक्रम होगा। जिसमें लोग सालभर हुई गलतियों के लिए जप करेंगे।   

    बूचडख़ाने बंद करने की मांग

    श्री श्वेतांबर स्थानकवासी जैन सभा के अध्यक्ष अनिल कुमार जैन ने कहा कि केंद्र सरकार ने पर्युषण पर्व को लेकर 15 से 24 अगस्त तक पशुवध, अवैध बूचडख़ाने और मांस की बिक्री बंद करने के आदेश दिए हैं, लेकिन राज्य में इसका पालन नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में जल्द ही प्रशासन को पत्र भेजा जाएगा। 

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    कटु शब्द न बोलें

    दिगंबर जैन समाज के मुनि समर्पण सागर महाराज ने बताया कि पर्युषण का अर्थ है उपासना, जो विभिन्न गुणों से अपने स्वभाव को पहचानने और शोधन से पूर्ण होती है। इन दिनों जो व्रत करते हैं, वो कटु शब्द नहीं बोलते। भारतीय जैन मिलन के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन नरेश चंद जैन ने बताया कि पर्युषण पर्व के दौरान मंदिरों में विशेष पूजन भी किए जा रहे हैं। मंदिरों में सुबह पांच बजे से अभिषेक, शांतिधारा और दशलक्षण पर्व विधान होते हैं। कोरोना के मद्देनजर सभी मंदिरों ने अलग-अलग व्यवस्था की है। कोरोनाकाल के चलते शोभायात्रा व अन्य भव्य कार्यक्रम स्थगित किए जा चुके हैं।

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