Move to Jagran APP

जीएसटी में लगातार बढ़ रही है राजस्व संग्रह की चुनौती

जीएसटी लागू होने के बाद प्रदेश को सर्वाधिक राजस्व देने वाले वाणिज्य कर विभाग का न सिर्फ नाम बदला, बल्कि राजस्व का पूरा हिसाब-किताब भी बदल गया।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 31 Dec 2018 11:44 AM (IST)Updated: Mon, 31 Dec 2018 11:46 AM (IST)
जीएसटी में लगातार बढ़ रही है राजस्व संग्रह की चुनौती
जीएसटी में लगातार बढ़ रही है राजस्व संग्रह की चुनौती

देहरादून, जेएनएन। जीएसटी लागू होने के बाद प्रदेश को सर्वाधिक राजस्व देने वाले वाणिज्य कर विभाग का न सिर्फ नाम बदला (अब राज्य माल और सेवा कर विभाग), बल्कि राजस्व का पूरा हिसाब-किताब भी बदल गया। वर्ष 2018 उत्तराखंड के राजस्व के लिहाज से बेहद चुनौतीभरा रहा और नए साल पर भी यह चुनौतियां बरकरार रहने का अंदेशा है। ऐसा नहीं है कि उत्तराखंड में कारोबार नहीं हो रहा, बल्कि आंकड़े तो यह बता रहे हैं कि जुलाई 2017 से जून 2018 के बीच उत्तराखंड से राजस्व में पहले के मुकाबले 167.28 फीसद का उछाल आया है। साल के अंत तक भी केंद्रीय जीएसटी और राज्य जीएसटी संग्रह की यही स्थिति रही।

loksabha election banner

यह बात और है कि राज्य के भीतर हुए कारोबार का आधा हिस्सा सीधे केंद्र सरकार की झोली में चला गया। जबकि राज्य के बाहर किए गए कारोबार का आधा-आधा हिस्सा केंद्र व संबंधित राज्य के बीच बंट गया। इस तरह उत्तराखंड ने वैट में वर्ष 2016-17 व 2017-18 के 12 माह में जितना राजस्व अर्जित किया था, उसका 54.94 फीसद ही हासिल हो पाया है।

वर्तमान में अभी पेट्रोलियम व शराब कारोबार को जीएसटी से बाहर रखा गया है। साथ ही वर्ष 2021-22 तक केंद्र से राजस्व की क्षतिपूर्ति भी मिलती रहेगा। लेकिन, जब इन दोनों मोर्चों पर राज्य को सीधी कारोबारी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा, तब राजस्व का ग्राफ और नीचे जा सकता है। जीएसटी में राजस्व की गणित माल की खपत पर टिकी है। क्योंकि राज्य में निर्मित माल की बाहरी राज्यों में हो रही खपत पर आइजीएसटी (इंटीग्रेटेड जीएसटी) के आंकड़े बताते हैं कि इस श्रेणी में सबसे अधिक नौ हजार 441 करोड़ रुपये का राजस्व से बाहर चला गया। इसका आधा करें तो दूसरे राज्यों को मिली चार हजार 720 करोड़ की राशि राज्य के हिस्से आए राजस्व से भी 33.46 फीसद अधिक है।

केंद्र का हिस्सा 217 फीसद बढ़ा

सेंट्रल एक्साइज व सर्विस टैक्स की गणना में शामिल किए गए वर्ष 2016-17 व 2017-18 के 12 माह में केंद्र को 2928 करोड़ रुपये का राजस्व मिला था, जबकि अब यह आंकड़ा बढ़कर (आइजीएसटी की हिस्सेदारी मिलाकर) 6375.5 करोड़ रुपये हो गया है। इस तरह केंद्र के राजस्व में 217 फीसद का इजाफा हुआ है।

इस तरह के प्रयास हों तो बढ़ेगा राजस्व

कुछ समय पहले दिए गए वित्त मंत्री प्रकाश पंत के बयान से उम्मीद है कि वर्ष 2019 में राजस्व बढ़ोतरी को लेकर ठोस प्रयास हो पाएंगे। उन्होंने कहा है कि सरकार इस तरह की पॉलिसी लाने पर विचार कर रही है, जिससे राज्य में औद्योगिकीकरण को बढ़ावा मिल सके। ऐसे उद्योग यदि राज्य के उपभोक्ताओं के लिए माल की आपूर्ति करते हैं तो आइटीसी काटने के बाद उन्हें एसजीएसटी में 50 फीसद तक की छूट दी जाएगी। यदि नए साल पर ऐसा हो पाया तो शायद प्रदेश की आर्थिक स्थिति को संबल मिल सकेगा।

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड: जवानी की दहलीज पर जोश और जुनून का साथ

यह भी पढ़ें: हर साल उत्‍तराखंड में 3500 उद्योगों का हो रहा इजाफा

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड: जवानी की दहलीज पर जोश और जुनून का साथ


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.