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23 लाख खर्च और चकराता रोड रिडेवलपमेंट प्‍लान डंप, पढ़िए पूरी खबर

वर्ष 2013 में शुरू की गई चकराता रोड रिडेवलपमेंट प्लान की कवायद अब बंद कर दी गई है। वह भी ऐसी सड़क पर जिससे लाखों लोग गुजरते हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 09 Aug 2019 12:23 PM (IST)Updated: Fri, 09 Aug 2019 09:01 PM (IST)
23 लाख खर्च और चकराता रोड रिडेवलपमेंट प्‍लान डंप, पढ़िए पूरी खबर
23 लाख खर्च और चकराता रोड रिडेवलपमेंट प्‍लान डंप, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, सुमन सेमवाल। अब यह मान लिया जाए कि वर्ष 2013 में शुरू की गई चकराता रोड रिडेवलपमेंट प्लान की कवायद अब बंद कर दी गई है। यदि ऐसा है तो फिर चकराता रोड के चौड़ीकरण में जिन भवनों के अवशेष शेष रह गए हैं, उनके गिरासू भवनों की श्रेणी में आ जाने के बाद क्या होगा? वह भी ऐसी सड़क पर जिससे लाखों लोग गुजरते हैं। फिलहाल इसका जवाब किसी के भी पास नहीं है, मगर सूचना आयोग में हुई एक अपील की सुनवाई में यह बात सामने आई है कि प्लान पर कोई काम नहीं किया जा रहा है।

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चकराता रोड रिडेवलपमेंट प्लान को लेकर वसंत विहार निवासी अंशुल सिंह ने मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) से विभिन्न बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी। उन्हें सिर्फ इतना ही जवाब दिया गया कि चकराता रोड रिडेवलपमेंट प्लान की कंसल्टेंसी इनोवेस्ट एडवाइजरी सर्विसेज ने की थी। जिसके एवज में कंपनी को जनता की गाढ़ी कमाई के 23 लाख 33 हजार रुपये का भुगतान कर दिया गया है।

आरटीआइ में यह भी बताया कि चकराता रोड चौड़ीकरण के बाद जिन भवनों का आंशिक हिस्सा शेष रह गया था, वह खतरे की स्थिति में आ गए थे। लिहाजा, नगर निगम, आपदा प्रबंधन एवं न्यूनीकरण केंद्र (डीएमएमसी) की संयुक्त रिपोर्ट में इन भवनों को गिराने की संस्तुति की गई थी। इसी आधार पर रिडेवलपमेंट का प्लान तैयार किया गया था और भवनों के अधिग्रहण का प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया था। इसके अलावा प्लान की भविष्य की योजना, उसकी लागत को लेकर किसी भी तरह की जानकारी न होने की बात कही गई।  इससे असंतुष्ट होकर अपीलार्थी ने सूचना आयोग में अपील की और बताया कि उन्हें प्लान के अभिलेखों का निरीक्षण भी नहीं कराया जा रहा है।

सूचना आयोग में अपील की सुनवाई में यह बात भी सामने आई कि एक अन्य आरटीआइ (जगपाल सिंह) में एमडीडीए ने बताया है कि ऐसा कोई प्लान नहीं लाया जा रहा है। प्रकरण का निस्तारण करते हुए मुख्य सूचना आयुक्त शत्रुघ्न सिंह ने एमडीडीए के लोक सूचनाधिकारी को आदेश दिए हैं कि वह अपीलार्थी को प्लान से संबंधित सभी आवश्यक दस्तावेजों का निरीक्षण भी करवा दें।

घंटाघर से प्रभात सिनेमा तक दोनों तरफ हैं भवन जर्जर

चकराता रोड का चौड़ीकरण घंटाघर से लेकर प्रभात सिनेमा और दूसरी तरफ कृष्णा पैलेस से घंटाघर तक किया गया था। चौड़ीकरण में तमाम भवनों का काफी हिस्सा ध्वस्त हो गया है और शेष भाग कभी भी ढह सकता है। इतना सब कुछ होने के बाद भी ऐसे भवनों में लोग रह रहे हैं और दुकानों का संचालन भी किया जा रहा है। ऐसे राह चलते लोगों पर कभी कोई भवन भरभराकर गिर पड़े तो उसकी जवाबदेही किसकी होगी।

कोर्ट में प्रकरण लंबित होने और विरोध के बाद से लटका मामला

वर्ष 2013 में जब एमडीडीए ने चकराता रोड रिडेवलपमेंट प्लान पर कार्रवाई शुरू की थी तो उसका व्यापारियों ने पुरजोर विरोध शुरू कर दिया था। हालांकि, इसे दरकिनार करते हुए कार्रवाई को जब जारी रखा गया तो कारोबारियों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी थी। कोर्ट ने यहां अधिग्रहण की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। हालांकि, इसके बाद जब इन भवनों के सर्वे के लिए अधिकारियों की टीम पहुंची तो कारोबारियों ने बैरंग लौटा दिया था। तब कारोबारियों ने यह भी कहा था कि वह एमडीडीए को अपना प्लान बनाकर देंगे, उसी पर कार्रवाई की जानी चाहिए। इसके बाद किसी भी प्लान पर कोई कवायद नहीं की गई।

रिडेवलपमेंट प्लान पर एक नजर

  • 05 जून 2013 को प्लान शासन को भेजा गया था।
  • इसके बाद 13 जुलाई 2013 को इसकी नीति बनाकर भी शासन को भेजी गई।
  • 21 अक्टूबर को फिर संशोधित नीति भेजी गई।
  • प्लान पर काम करने के लिए हडको से ऋण प्राप्त करने का आवेदन भी किया गया।
  • प्लान के तहत नौ मंजिला भवन का निर्माण प्रस्तावित किया गया।
  • तय किया गया कि सड़क के दोनों तरफ छह-छह मीटर की सर्विस लेन बनेगी।
  • पहली तीन मंजिल स्थानीय कारोबारियों को आवंटित किए जाएंगे।
  • चौथी मंजिल डेवलपर के लिए आरक्षित रहेगी
  • पांचवीं व छठी मंजिल पार्किंग के लिए रहेगी।
  • सातवीं मंजिल पर स्थानीय लोगों के लिए आवासीय फ्लैट बनेंगे।
  • आठवीं मंजिल पर कारोबारियों व डेवलपर को दी जाएगी।
  • नवीं मंजिल डेवलपर के लिए आरक्षित रहेगी।

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