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    उत्तराखंड में बदलेगी खेती-किसानी की तस्वीर, केंद्र से मिलेंगे 3800 करोड़

    Updated: Tue, 08 Jul 2025 01:48 PM (IST)

    उत्तराखंड में कृषि-बागवानी को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने 3800 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ हुई बैठक में इस सहयोग पर सहमति जताई। इस राशि का उपयोग कृषि विकास योजनाओं वन्यजीवों से फसल सुरक्षा मोटे अनाज और फल उत्पादन को बढ़ावा देने नवाचार और जैविक खेती को प्रोत्साहित करने में किया जाएगा।

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    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की

    राज्य ब्यूरो, देहरादून: विषम भूगोल वाले उत्तराखंड में अब खेती किसानी की तस्वीर बदलने जा रही है। राज्य में कृषि, बागवानी के दृष्टिगत विभिन्न योजनाओं के लिए केंद्र से 3800 करोड़ की राशि मिलेगी। केंद्रीय कृषि एवं ग्राम्य विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को नई दिल्ली में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ हुई बैठक में इसकी सैद्धांतिक सहमति प्रदान कर दी।

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    मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री का आभार जताते हुए कहा कि यह सहयोग राज्य के कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर और आधुनिक बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा।

    मुख्यमंत्री धामी ने केंद्रीय मंत्री चौहान को अवगत कराया कि राज्य में कृषि एवं बागवानी क्षेत्र के समग्र विकास व किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से नवाचार, यंत्रीकरण, तकनीकी व पारंपरिक कृषि जैसे विविध पहलुओं का समावेश करते हुए 3800 करोड़ की योजनाएं तैयार की गई हैं।

    उन्होंने कहा कि राज्य में विशेषकर पर्वतीय क्षेत्रों में वन्यजीवों से फसल सुरक्षा के दृष्टिगत खेतों में घेरबाड़ के लिए 1052,80 करोड़ की आवश्यकता है। इसी तरह फार्मर्स मशीनरी बैंंक के लिए 400 करोड़ की योजना प्रस्तावित है। मोटे अनाज की फसलों को बढ़ावा देने को स्टेट मिलेट मिशन में 134.89 करोड़ का प्रविधान किया गया है।

    उन्होंने कहा कि सेब उत्पादन को प्रोत्साहन, भंडारण व विपणन तंत्र को सुदृढ़ बनाने को 1150 करोड़ की योजना है। कीवी फल समेत अन्य नकदी फसलों के संवर्द्धन और वन्यजीवों से खेती को संरक्षित करने को 894 करोड़ रुपये की जरूरत है।

    कृषि-बागवानी के क्षेत्र में नवाचार और स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए 885.10 करोड़ का निवेश प्रस्तावित है। ड्रैगन फ्रूट जैसी कम जोखिम वाली फसलों के प्रोत्साहन को 42 करोड़ की योजना बनाई गई है।

    जैविक खेती को बढ़ावा देने को विश्लेषण प्रयोगशालाओं के लिए 36.50 करोड़ रुपये की जरूरत है। भूमि अभिलेखों के आधुनिकीकरण व डिजिटल सर्वे के लिए 378 करोड़ की योजना है। उन्होंने अन्य योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी।

    इसके अलावा मुख्यमंत्री ने सेब उत्पादन के दृष्टिगत उच्च गुणवत्ता की नर्सरी, कोल्ड स्टोरेज, सार्टिंग-ग्रेडिंग यूनिट स्थापना, कीवी-ड्रैगन फ्रूट मिशन को बढ़ावा, सुपर फूडस के लिए उत्कृष्टता केंद्र, पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय में एग्रो टूरिज्म स्कूल के लिए भी केंद्रीय सहायता का केंद्रीय मंत्री से अनुरोध किया।

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