देहरादून : चीड़बाग स्थित युद्ध स्मारक की शान बढ़ाएगा 'विजयंत', सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने दी सहमति
पूर्व राज्य सभा सदस्य तरुण विजय ने बताया कि कुछ दिन पहले उनकी चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान से मुलाकात हुई थी। पूर्व सैनिक काफी समय से यह मांग कर रहे थे कि युद्ध स्मारक पर एक टैंक स्थापित किया जाए।

जागरण संवाददाता, देहरादून : भारतीय सेना के शौर्य का प्रतीक विजयंत टैंक अब गढ़ी कैंट के चीड़बाग स्थित युद्ध स्मारक (शौर्य स्थल) की शान बढ़ाएगा। युवा पीढ़ी को फौज के प्रति आकर्षित करने के उद्देश्य से टैंक यहां लाया जा रहा है। शौर्य स्थल पर लड़ाकू विमान मिग-21 व नौसेना के युद्धपोत की प्रतिकृति पहले ही स्थापित है।
ट्रस्ट के माध्यम से भी जुटाई तमाम सुविधाएं
देश के सैन्य इतिहास में देवभूमि के रणबांकुरों के शौर्य के असंख्य किस्से दर्ज हैं। उनके इस अदम्य साहस और बलिदान के प्रतीक के रूप में पूर्व राज्य सभा सदस्य तरुण विजय की पहल पर युद्ध स्मारक की नींव रखी गई थी। उन्होंने अपनी निधि से इस काम के लिए दो करोड़ रुपये की मदद दी थी। यही नहीं उनकी अध्यक्षता में गणित उत्तराखंड वार मेमोरियल ट्रस्ट के माध्यम से भी तमाम सुविधाएं यहां जुटाई गई।
वीरभूमि उत्तराखंड के सैनिकों के नाम यहां दर्ज
देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीरभूमि उत्तराखंड के सैनिकों के नाम यहां दर्ज हैं। वहीं, वीर जवान की मुख्य मूर्ति के आधार के लिए बदरीनाथ क्षेत्र से छह फीट की करीब साढ़े नौ टन वजनी विशेष आधार शिला भी लाई गई। अब भारत-पाक युद्ध में सक्रिय भूमिका निभाने वाला विजयंत टैंक यहां लाया जा रहा है। पूर्व राज्य सभा सदस्य तरुण विजय ने बताया कि कुछ दिन पहले उनकी चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान से मुलाकात हुई थी।
टिहरी सांसद ने सांसद निधि से 50 लाख रुपये की दी मदद
पूर्व सैनिक काफी समय से यह मांग कर रहे थे कि युद्ध स्मारक पर एक टैंक स्थापित किया जाए। उन्होंने सीडीएस से इस बाबत अनुरोध किया। उन्होंने तुरंत ही इस पर सहमति दे दी। बताया कि टिहरी सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह ने भी अपनी सांसद निधि से 50 लाख रुपये की मदद दी है। इस रकम को युद्ध स्मारक पर अन्य संसाधन जुटाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। वहीं, एक भव्य प्रवेश द्वार का भी निर्माण यहां किया जाएगा।
भारत-पाक युद्ध का हीरो है 'विजयंत'
विजयंत टैंक 1971 में भारत-पाक युद्ध का हीरो रहा है। 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाले इस टैंक की आपरेशनल रेंज 530 किलोमीटर थी। इसमें चार क्रू-मेंबर बैठते थे। वजन 39 हजार टन, लंबाई 9.788 मीटर, चौड़ाई 3.168 मीटर और ऊंचाई 2.711 मीटर है। विजयंत टैंक अब सेवा में नहीं है, लेकिन यह देश के युवाओं को आज भी प्रेरित कर रहा है।
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