देहरादून रेलवे स्टेशन की सुरक्षा भगवान भरोसे, 14 में 10 सीसीटीवी कैमरे लगे बेतरतीब ढंग से
दून रेलवे स्टेशन की सुरक्षा भगवान भरोसे है। रेलवे स्टेशन परिसर को सीसीटीवी कैमरों से लैस को कर दिया गया लेकिन अब भी यहां तीसरी आंख से निगरानी नहीं हो पा रही है।
देहरादून, गौरव ममगाईं। देश के टॉप इंपू्रवमेंट श्रेणी में शामिल और प्रदेश का सबसे संवदेनशील दून रेलवे स्टेशन की सुरक्षा भगवान भरोसे है। रेलवे स्टेशन परिसर को सीसीटीवी कैमरों से लैस को कर दिया गया, लेकिन अब भी यहां तीसरी आंख से निगरानी नहीं हो पा रही है। स्टेशन परिसर में जो 14 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, उनमें से दस कैमरे बेतरतीब ढंग से लगाए गए हैं। यह हम ही नहीं कह रहे, बल्कि रेलवे पुलिस फोर्स भी इस पर सवाल उठा रही है। आरपीएफ के अनुसार, कैमरों के गलत एंगल के कारण इसका फायदा नहीं मिल पा रहा है, लेकिन जिम्मेदारों ने सीसीटीवी कैमरे लगाकर अपनी जिम्मेदारी से इतिश्री करा दी।
16 दिसंबर 2018 को दून स्टेशन में निर्भया फंड के तहत 14 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए। आरपीएफ के अनुसार अधिकांश कैमरों को गलत एंगल से लगाया गया है। परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों का आलम यह है, किसी का फेस बेहद नीचे झुका हुआ है, जो केवल नीचे फर्श दिखा रहा है तो किसी कैमरे का मुंह आसमान की ओर कर दिया गया है। ऐसे में वांछित फुटेज नहीं मिल पा रही है और ये कैमरे अनुपयोगी साबित हो रहे हैं। यह रेलवे स्टेशन की सुरक्षा के लिए भी खतरा साबित हो सकता है। इसको लेकर आरपीएफ ने चिंता जाहिर की है।
वहीं, कैमरे लगाने वाली कंपनी ने इसे आरपीएफ को हैंडओवर करना था, लेकिन यह प्रक्रिया अधर में है। आलम यह है कि सीसीटीवी कंट्रोल रूम भगवान भरोसे चल रहा है। फिलहाल सीसीटीवी कैमरों के संचालन की जिम्मेदारी संभाल रही कंपनी से जब इस संबंध में बात करने का प्रयास किया गया तो न कंट्रोल रूम में कोई मिला और न ही पूरे स्टेशन में। इसके अलावा स्टेशन अधीक्षक ने भी इस मामले में कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया।
चमचमाता फर्श दिखाता है यह कैमरा'
स्टेशन परिसर में एस्केलेटर के समीप बनी सीमेंटेड सीढ़ियों के ऊपरी छोर पर लगे सीसीटीवी कैमरे का फेस बिल्कुल नीचे की ओर है। आरपीएफ के अनुसार, यह कैमरा फर्श के अलावा कुछ नहीं दिखाता। इससे महज एक मीटर तक एरिया कवर हो रहा है। जबकि, यदि कैमरे का फेस थोड़ा ऊपर की ओर होता तो इससे प्लेटफॉर्म का अधिक एरिया कवर होता।
खतरा पास में, निगरानी दूर की
स्टेशन के फुट ओवर ब्रिज के दोनों तरफ रेलवे लाइन को कवर करने के लिए कई सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इन सभी कैमरों का फेस बिल्कुल सीधा है, जिससे ये कैमरे आसपास क्षेत्र नहीं, बल्कि स्टेशन के बाहर का क्षेत्र कवर कर रहे हैं।
कंट्रोल रूम में बैठने का इंतजाम नहीं
कहने को सीसीटीवी की फुटेज की निगरानी के लिए कंट्रोल रूम तो बना दिया गया, लेकिन इसमें बैठने के लिए इंतजाम तक नहीं है। आलम यह है कि कंट्रोल रूम हर समय खाली पड़ा रहता है।
प्रताप सिंह नेगी (इंस्पेक्टर, आरपीएफ दून स्टेशन) का कहना है कि स्टेशन परिसर में लगाए गए सीसीटीवी कैमरों को सही एंगल पर नहीं लगाया गया है। कैमरों से अवांछित एरिया कवर होने के कारण सुरक्षा में इनका लाभ नहीं मिल पा रहा है और स्टेशन की कड़ी निगरानी संभव नहीं है। वहीं, अभी तक इन कैमरों के कंट्रोल को आरपीएफ के हैंडओवर नहीं किया गया है।
एक माह में ही फूला स्वचालित सीढ़ी का दम
दून रेलवे स्टेशन में लगी स्वचालित सीढ़ी का एम माह में ही दम फूल गया। यह सीढ़ी पिछले दो दिन से खराब पड़ी है और यात्री पैदल ही दौड़ लगाने को मजबूर हैं। बुजुर्ग यात्रियों को इससे खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, शुभारंभ के एक माह के भीतर ही खराब होने से स्वचालित सीढ़ी की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं।
दून स्टेशन के मुख्यद्वार पर लगी स्वचालित सीढ़ी (एस्केलेटर) का शुभारंभ सात मार्च 2019 को सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह ने किया था। शुरू में इस सेवा का यात्रियों ने खूब लाभ लिया, लेकिन पिछले कुछ दिनों से इसमें खराबी आने लगी। छोटी-मोटी खराबी को कुछ घंटे के भीतर दुरुस्त तो कर दिया गया, लेकिन अब दो दिन पहले खराब हुई स्वचालित सीढ़ी ठीक नहीं हो पाई। रविवार को भी ऊपरी फ्लोर से नीचे की ओर आने वाले यात्री सीढिय़ां नापते रहे। वहीं स्टेशन प्रशासन का कहना है कि सीढ़ी में कुछ तकनीकी खराबी आई है, जिसे शीघ्र सही करा दिया जाएगा।
कूड़ादान बन रही वाटर बैंक मशीन
प्लेटफार्म नंबर तीन पर लगी वाटर बैंक मशीन महीनों से शोपीस बनी हुई है। इस मशीन में पैसे डालने पर निर्धारित मात्रा में मिनरल वाटर निकलता है, जिसे बोतल में भरा जा सकता है। लेकिन, मशीन के खराब होने के कारण लोग इसमें कूड़ा डालने लगे हैं। मशीन की सुध लेने वाला भी कोई नहीं है।
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