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    एनआरएचएम घोटालाः आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति को सीबीआइ ने भेजा रिमाइंडर

    By BhanuEdited By:
    Updated: Mon, 28 Oct 2019 08:28 PM (IST)

    नेशनल रूरल हेल्थ मिशन (एनआरएचएम) अब नेशनल हेल्थ मिशन में हुए दवा वितरण घोटाले में सीबीआइ ने शासन से आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति के संबंध में ...और पढ़ें

    एनआरएचएम घोटालाः आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति को सीबीआइ ने भेजा रिमाइंडर

    देहरादून, जेएनएन। नेशनल रूरल हेल्थ मिशन (एनआरएचएम) अब नेशनल हेल्थ मिशन में हुए दवा वितरण घोटाले में सीबीआइ ने शासन से आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति के संबंध में रिमाइंडर भेजा है। सीबीआइ को इस मामले में शासन से अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है। सीबीआइ ने इस मामले में शासन से फैसला करने को कहा है। गौरतलब है कि इस मामले में एक पूर्व सीएमओ समेत स्वास्थ्य विभाग के सात कार्मिकों के खिलाफ सीबीआइ ने जांच की अनुमति मांगी है। 

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    उत्तराखंड में एनआरएचम घोटाला लंबे समय से गूंज रहा है। यह मामला सबसे पहले तब सामने आया था जब वर्ष 2010 में रुड़की के एक नाले में बड़ी संख्या में दवाइयां मिली थीं। इस पर विभागीय स्तर से जांच की गई लेकिन यह जांच किसी ठोस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई। यह मामला धीरे-धीरे चलता रहा। 

    सूचना के अधिकार के तहत यह मामला सूचना आयोग में पहुंचा। आयोग के निर्देश पर शासन स्तर से मामले की जांच कराई गई। इस दौरान हंगामा तब हुआ तब निवर्तमान जांच अधिकारी द्वारा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर सहयोग न देने का आरोप लगाया। 

    इस पर सूचना आयोग ने इसकी जांच सीबीआइ से कराने की संस्तुति कर दी थी। साथ ही इस मामले में विभिन्न स्तरों पर की गई जांच की प्रतियां मुख्य सचिव को उपलब्ध कराते हुए सीबीआइ को भेजने को कहा था। वर्ष 2014 में शासन ने मामले की जांच के लिए सीबीआइ को पत्र लिखा। 

    सीबीआइ ने इस मामले में लंबा समय लिया। बीते माह सितंबर में सीबीआइ ने अचानक ही इस मामले की जांच को अपने हाथ में ले लिया। सीबीआइ ने शासन को एक पूर्व सीएमओ समेत सात लोगों के नामों की सूची देते हुए इन पर कार्रवाई करने की अनुमति मांगी। 

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    इस कवायद को तकरीबन एक माह से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन शासन ने सीबीआइ को कोई जवाब नहीं दिया है। सूत्रों की मानें तो इस पर सीबीआइ ने फिर से शासन को पत्र भेजकर अनुमति देने को कहा है। अब संबंधित पत्रावली मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजी जा रही है ताकि इस पर निर्णय लिया जा सके। 

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