UKSSSC पेपर लीक प्रकरण, सीबीआइ ने प्रो. सुमन से दो दिन तक की कड़ी पूछताछ; अब चार्जशीट होगी दाखिल
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) पेपर लीक मामले में सीबीआइ ने निलंबित असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन को गिरफ्तार कर पूछताछ की। उनसे पेपर लीक के ...और पढ़ें

सीबीआइ की ओर से गिरफ्तार असिस्टेंट प्रोफेसर (निलंबित) सुमन।
जागरण संवाददाता, देहरादून: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) के स्नातक स्तरीय परीक्षा का पर्चा लीक करने के मामले में सीबीआइ की ओर से गिरफ्तार असिस्टेंट प्रोफेसर (निलंबित) सुमन को दो दिन के कस्टडी रिमांड पर लिया गया।
इस दौरान सीबीआइ ने उनसे कई सवाल पूछे और पेपर लीक के मास्टर माइंड खालिद के साथ वाट्सएप पर हुई चेटिंग को डिलीट करने का कारण पूछा। सीबीआइ की ओर से डिलीट किए डाटा को मेटा से रिकवर करवाने के बाद सुमन से पूछताछ की। सुमन इन सवालों का कोई जवाब नहीं दे पाई।
पेपर लीक प्रकरण में सुमन ने पुलिस को बयान दिए थे कि उसे परीक्षा के बारे में जानकारी नहीं थी। वाट्सएप पर आए पेपर में 12 सवालों के जवाब उसने दिए, लेकिन उसने बाद में पेपर के पहले पन्ने में ओएमआर लिखा देखा, जिसके बाद उसे शक हुआ।
मामला सीबीआइ के पास जाने के बाद सीबीआइ ने बीते 28 नवंबर को सुमन को गिरफ्तार किया था, जिसके बाद पूछताछ के लिए चार व पांच नवंबर का कस्टडी रिमांड लिया गया।
चार नवंबर को सीबीआइ की टीम उसे जेल से बाहर लेकर आई और डेटा डिलीट करने से लेकर 10 मिनट में ही 12 सवालों का जवाब वाट्सएप पर देने का कारण पूछा।
सीबीआइ ने यह भी पूछा कि जब खालिद ने सुबह 7:55 मिनट पर बहन साबिया का पेपर होने की बात कही तो पढ़ी लिखी होने के बावजूद उन्हें क्यों एहसास नहीं हुआ कि साबिया तो परीक्षा केंद्र में बैठी होगी तो 11:35 पर किस तरह से उसे परीक्षा केंद्र से प्रश्नपत्र भेज सकती है।
इसके अलावा सीबीआइ ने सुमन से यह भी पूछा कि जांच में पाया गया है कि मामला बढ़ने के बाद उसने साबिया से बातचीत की व उसके बाद प्रश्नपत्रों के उत्तराें के मैसेज को अपने फोन से डिलीट करने के क्या कारण रहे।
अब तक तीन की हो चुकी है गिरफ्तारी
21 सितंबर को यूकेएसएसएससी की ओर से स्नातक स्तरीय प्रतियोगी परीक्षा आयोजित की गई थी। अभ्यर्थी खालिद ने हरिद्वार के बहादुरपुर जट स्थित आदर्श बाल सदन इंटर कालेज से पेपर के तीन फोटो आउट किए, जोकि कुछ देर बाद इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हो गए।
इस मामले में पुलिस अधीक्षक ग्रामीण (ऋषिकेश) जया बलूनी की अध्यक्षता में एसआइटी का गठन किया। एसआइटी की ओर से इंटरनेट मीडिया पर आउट हुए फोटो के सोर्स की जानकारी करने पर जनपद टिहरी में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत महिला सुमन के पास प्रश्नों के फोटोग्राफ्स भेजे जाने की जानकारी मिली।
इस पर सुमन को पूछताछ के लिए लाया गया। इस मामले में एसआइटी मुख्य आरोपित खालिद व उसकी बहन साबिया को पूर्व में ही गिरफ्तार कर चुकी है।
प्रकरण में अन्य लोगों के शामिल होने की भी आशंका
सीबीआइ को नकल प्रकरण में अन्य लोगों के शामिल होने का अंदेशा है। अभी यह पता नहीं लग पाया है कि नकल केवल आरोपित खालिद को लाभ पहुंचाने के लिए या अवैध लाभ प्राप्त करने के लिए इसमें अन्य अभ्यर्थियों को भी नकल कराने की मंशा शामिल थी। सीबीआइ प्रकरण से जुड़े सभी कड़ियों को जोड़कर आगे बढ़ रही है।
यह भी बता दें कि 27 अक्टूबर को यह केस नागरिक पुलिस से सीबीआइ को ट्रांसफर होने के बाद शुरू से ही सुमन सीबीआइ की रडार पर थी। 11 नवंबर से सीबीआइ लगातार सुमन को पूछताछ के लिए बुला रही और साक्ष्य मिलने के बाद 28 नवंबर को उसे गिरफ्तार कर लिया।
उसने अपने अधिवक्ता के माध्यम से विशेष न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण में जमानत प्रार्थनापत्र दाखिल किया, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया। ऐसे में फिलहाल उसे जेल में ही रहना पड़ेगा।
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