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    Uttarakhand News: जातीय जनगणना से बदलेंगे उत्तराखंड के सामाजिक-राजनीतिक समीकरण

    Updated: Thu, 01 May 2025 11:04 AM (IST)

    पृथक उत्तराखंड राज्य के गठन के बाद पहली बार ओबीसी आरक्षण नगर निकाय चुनाव में लागू किया गया है। ओबीसी आरक्षण के लिए प्रदेश सरकार ने एकल सदस्यीय आयोग गठित किया। आयोग ने सर्वे कराया था। अब आगे त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव होने हैं। बता दें कि उत्तराखंड की जनसंख्या लगभग सवा करोड़ है। प्रदेश में विधानसभा की कुल 70 सीट हैं।

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    जातीय जनगणना से बदलेंगे उत्तराखंड के समीकरण।

    रविंद्र बड़थ्वाल, जागरण, देहरादून। पूरे देश में जातीय जनगणना होने से मध्य हिमालयी राज्य उत्तराखंड में सामाजिक और राजनीतिक समीकरण में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। केंद्र की मोदी सरकार के अगली जनगणना में जातीय जनगणना सम्मिलित करने के निर्णय से प्रदेश की राजनीति में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की मजबूत उपस्थिति सामने आ सकेगी।

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    उत्तरकाशी जिले में जहां अधिकतर जनसंख्या ओबीसी है तो हरिद्वार जिले में लगभग 56 प्रतिशत और ऊधम सिंह नगर जिले में लगभग 45 प्रतिशत की हिस्सेदारी इसी वर्ग की मानी जाती है। ऐसे में प्रदेश में विधानसभा चुनाव के साथ नगर निकायों एवं त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनावों को लेकर राजनीतिक दलों को भी नई रणनीति के साथ खम ठोकने को मजबूर होना पड़ेगा।

    उत्तराखंड की जनसंख्या लगभग सवा करोड़ है। कुल आबादी में अनुसूचित जाति की 19 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति की तीन प्रतिशत भागीदारी है। शेष 78 प्रतिशत में ओबीसी एवं सामान्य वर्ग सम्मिलित है। प्रदेश में विधानसभा की कुल 70 सीट हैं। इनमें से 12 सीट अनुसूचित जाति और दो सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। यद्यपि, वर्ष 2011 के बाद जनगणना नहीं हुई है।

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    पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री।


    नई जनगणना के बाद जनसंख्या की अद्यतन स्थिति सामने आ सकेगी। केंद्र सरकार के अगली जनगणना के साथ ही जातीय जनगणना कराने के निर्णय को सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

    प्रदेश में अभी तक विधानसभा चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए एक भी सीट आरक्षित नहीं हैं। ओबीसी आरक्षण पंचायत चुनाव के लिए भी लागू होगा। इस बीच जातीय जनगणना कराने के केंद्रीय कैबिनेट के निर्णय से आने वाले समय में चुनाव के साथ ही राजनीतिक दलों के भीतर भी ओबीसी की हैसियत मजबूत होना तय है। ओबीसी जनसंख्या का सर्वाधिक प्रभाव हरिद्वार, ऊधम सिंह नगर और देहरादून जिलों में देखने को मिलेगा।

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    हरिद्वार में अभी विधानसभा की सर्वाधिक 11 सीट, ऊधम सिंह नगर जिले में नौ और देहरादून में 10 सीट हैं। देहरादून में ओबीसी की आबादी 34 प्रतिशत के आसपास मानी जाती है। उत्तरकाशी प्रदेश का एकमात्र ऐसा जिला है, जहां ओबीसी आबादी हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर जिलों से भी काफी अधिक है। नैनीताल जिले में लगभग छह प्रतिशत और शेष पर्वतीय जिलों में यह पांच प्रतिशत से कम ही है।

    ‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी और समावेशी नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल का जनगणना के साथ जातीय जनगणना को स्वीकृति देना ऐतिहासिक और दूरगामी सोच का परिचायक है। यह निर्णय न केवल सामजािक न्याय की भावना को बल देगा, बल्कि देश की विविधतापूर्ण संरचना को समझने और सभी वर्गों के संतुलित विकास को ठोस नीति निर्माण में भी सहायक सिद्ध होगा। प्रधानमंत्री की यह पहल सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास की भावना को अधिक मजबूती प्रदान करती है।’ -पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री।