पहाड़ में खेतों तक पानी पहुंचाने की मुहिम, साढ़े चार साल में बनी लिफ्ट सिंचाई योजनाओं पर डालें एक नजर
उत्तराखंड में किसानों की आय दोगुना करने की कोशिशों में जुटी प्रदेश सरकार ने खेतों तक सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता पर खास फोकस किया है। इसमें भी पर्वतीय क्षेत्रों को विशेष तवज्जो दी जा रही है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। विषम भूगोल वाले मध्य हिमालयी राज्य उत्तराखंड में किसानों की आय दोगुना करने की कोशिशों में जुटी प्रदेश सरकार ने खेतों तक सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता पर खास फोकस किया है। इसमें भी पर्वतीय क्षेत्रों को विशेष तवज्जो दी जा रही है। पिछले साढ़े चार साल के वक्फे में ही पर्वतीय जिलों में बनाई गईं 46 लिफ्ट सिंचाई योजनाएं इसकी बानगी हैं। सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज के अनुसार पहाड़ के लिए अन्य लिफ्ट योजनाओं को लेकर भी कसरत चल रही है। इस बारे में विभाग से प्रस्ताव मांगे गए हैं।
खेती से अधिक फसलोत्पादन लेने के लिए सिंचाई सुविधा आवश्यक है। इस लिहाज से देखें तो प्रदेश में 322973 हेक्टेयर में ही सिंचाई की सुविधा है। इसमें पर्वतीय क्षेत्र की हिस्सेदारी महज 45 हजार हेक्टेयर में ही है। जाहिर है कि पहाड़ में सिंचाई सुविधाओं के विस्तार की ज्यादा जरूरत है, लेकिन ऊंचाई पर स्थित क्षेत्रों के लिए यह किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।
इस सबको देखते हुए लिफ्ट सिंचाई योजनाओं पर फोकस किया गया है, ताकि नदी अथवा निचले स्तर पर स्थित स्रोत से पहाड़ पर सिंचाई के लिए पानी पहुंचाया जा सके। सिंचाई मंत्री ने बताया कि लिफ्ट सिंचाई योजनाओं की नियमित रूप से देखरेख के लिए भी व्यवस्था की गई है। टपक सिंचाई पर भी जोर दिया जा रहा है। इसके अलावा अन्य कई विकल्पों पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है।
साढ़े चार साल में बनी लिफ्ट सिंचाई योजनाएं
जिला, संख्या
अल्मोड़ा, 08
रुद्रप्रयाग, 07
चमोली, 06
पिथौरागढ़, 06
उत्तरकाशी, 05
नैनीताल, 04
बागेश्वर, 04
पौड़ी, 03
चम्पावत, 03
नंबर गेम
-12324.65 किमी है नहरों की लंबाई
-486.38 किमी लंबी हैं लघु डाल नहरें
-1640 नलकूपों से होती है सिंचाई
-56217 निश्शुल्क बोरिंग व इन पर लगे पंपसेट की संख्या
-40003 हौज हैं प्रदेशभर में
-31212 किलोमीटर लंबी हैं राज्य में गूल
-1433 हाईड्रम योजनाएं हैं राज्य में
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