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    झुग्गियों को नोटिस जारी, अट्टालिकाओं के आगे ठिठके कदम Dehradun News

    By BhanuEdited By:
    Updated: Sat, 23 Nov 2019 12:18 PM (IST)

    अब तो सरकार भी हाईकोर्ट में यह स्वीकार कर चुकी है कि नदी-नालों की 270 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण किया गया है। अतिक्रमण के मामले में निगम झुग्गियों तक ही सीमित है।

    झुग्गियों को नोटिस जारी, अट्टालिकाओं के आगे ठिठके कदम Dehradun News

    देहरादून, जेएनएन। अब तो सरकार भी हाईकोर्ट में यह स्वीकार कर चुकी है कि नदी-नालों की 270 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण किया गया है। इसी के साथ यह सवाल भी खड़ा हो जाता है कि जब यह अतिक्रमण किए जा रहे थे, तब अधिकारी क्यों खामोश रहे। बेशक सरकार ने कोर्ट में जवाब दाखिल कर रहा है कि अतिक्रमण को चिह्नित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। 

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    हालांकि, याचिकाकर्ता राजपुर वार्ड की पार्षद उर्मिला थापा का आरोप है कि उन्होंने जिन नाले-खालों के जिन अतिक्रमण पर याचिका दायर की थी, वह जस के तस खड़े हैं और अधिकारी कार्रवाई के नाम पर गरीब झुग्गी वालों को परेशान कर रहे हैं। प्रभावशाली लोगों के अतिक्रमण अभी भी महफूज हैं।

    यह तो रही ताजा याचिका की बात। इससे पहले मनमोहन लखेड़ा बनाम सरकार में भी सिंचाई नहरों पर कब्जा जमाए बैठे प्रभावशाली लोगों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। कुछ ऐसे ही नदी श्रेणी की भूमि का श्रेणी परिवर्तन करने और नदी श्रेणी की भूमि पर किए गए अतिक्रमणों पर भी अधिकारियों का टालू रवैया सामने आ चुका है।

    नदी श्रेणी की भूमि के मामले में प्रशासन दून में 1214 से अधिक लोगों को नोटिस जारी कर चुकी है। सभी उपजिलाधिकारी कार्यालयों में इन प्रकरणों की सुनवाई की जा रही है। यह बात और है कि जिन लोगों के नाम के नोटिस जारी किए गए हैं, उनमें से बड़ी संख्या में लोग भूमि बेच चुके हैं। बड़ी संख्या में नोटिस बैरंग लौट रहे हैं तो जहां नोटिस प्राप्त भी किए गए हैं, उनमें भी लोग सुनवाई में नहीं पहुंच रहे।

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    गोल्डन फॉरेस्ट की 500 हेक्टर भूमि भी लुटा चुके अधिकारी

    पूर्व में सरकार में निहित की जा चुकी गोल्डन फॉरेस्ट की करीब 500 हेक्टेयर भूमि का बड़े पैमाने पर रोक के बाद भी खरीद-फरोख्त की जाती रही। आज इन जमीनों पर कहीं शिक्षण संस्थान खड़े हैं, कहीं होटल व अन्य भवन। समय रहते सरकार इनकी बिक्री नहीं रोक पाई और अब सरकार ने यह भूमि विभिन्न विभागों को आवंटित कर दी है। लिहाजा, इन आवंटित जमीनों पर विभागों को कब्जा मिल जाएगा, इसको लेकर स्वयं जिम्मेदारी अधिकारी भी आश्वस्त नहीं हैं।

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