CAG Report: उत्तराखंड कर्मकार बोर्ड की रिपोर्ट आज सौंप सकता है कैग, 17 नवंबर से शुरू हुआ था ऑडिट
CAG Report भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) द्वारा उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की ऑडिट रिपोर्ट मंगलवार को शासन को ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, देहरादून। CAG Report भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) द्वारा उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की ऑडिट रिपोर्ट मंगलवार को शासन को सौंपी जा सकती है। कैग ने 17 नवंबर से बोर्ड के पिछले तीन साल के कार्यों का ऑडिट शुरू किया था, जो अब पूरा हो चुका है।
कर्मकार कल्याण बोर्ड अक्टूबर से सुर्खियों में है। नए बोर्ड का गठन होने के बाद नवंबर में हुई उसकी पहली बैठक में ये बात सामने आई कि वर्ष 2017 से बोर्ड के कार्यों का किसी प्रकार का कोई ऑडिट ही नहीं हुआ है। साथ ही विभिन्न कार्यों में नियमों का अनुपालन न होने और अनियमितता का मसला भी उठा। इस सबको देखते हुए तब बोर्ड ने इस अवधि का विशेष ऑडिट कराने का निर्णय लिया था। इस बीच कैग ने भी 17 नवंबर से बोर्ड का रुटीन ऑडिट शुरू कर दिया।
इस पर बोर्ड ने विशेष ऑडिट का इरादा टालते हुए तय किया कि कैग की रिपोर्ट मिलने के बाद ही इस संबंध में फैसला लिया जाएगा। अलबत्ता, साथ ही बोर्ड ने खरीदारी और पुराने बिलों के भुगतान पर रोक लगा दी थी।ऑडिट के दौरान कैग की ओर से बोर्ड के आय-व्यय के साथ ही विभिन्न योजनाओं के तहत हुई खरीद, आवंटित धनराशि, लाभार्थियों का पंजीकरण समेत अन्य बिंदुओं पर बोर्ड से जानकारियां मांगी। सूत्रों ने बताया कि सभी पहलुओं से पड़ताल करने के बाद कैग ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट को अंतिम रूप दे दिया है। यह रिपोर्ट मंगलवार को सचिव श्रम को सौंपी जा सकती है।
कैग की रिपोर्ट पर टिकी निगाहें
शासन के साथ ही कर्मकार कल्याण बोर्ड की नजरें भी कैग की रिपोर्ट पर टिकी हैं। बोर्ड के अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल के अनुसार कैग की रिपोर्ट में जो भी बातें निकलकर सामने आएंगी, उनका अध्ययन किया जाएगा। यदि लगा कि अभी भी विशेष ऑडिट की आवश्यकता है तो फिर इस बारे में फैसला लिया जाएगा।
बोर्ड की योजनाओं पर नहीं रोक
बोर्ड के अध्यक्ष सत्याल के अनुसार बोर्ड के माध्यम से श्रमिकों और उनके स्वजनों को मिलने वाली किसी भी योजना पर रोक नहीं है। श्रमिकों के हित में जो योजनाएं चल रही हैं, वह बदस्तूर जारी हैं। सिर्फ खरीदारी और पुराने बिलों के भुगतान पर ही रोक लगाई गई है।

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