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उत्तराखंड के वन मंत्री हरक सिंह रावत का बड़ा बयान, 2022 में नहीं लड़ेंगे विधानसभा चुनाव

वन पर्यावरण मंत्री हरक सिंह रावत का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने एलान किया है कि वे साल 2022 में होने वाला विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। रावत ने कहा कि पार्टी हाईकमान और भारतीय जनता पार्टी को इस फैसले से अवगत करा दिया गया है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 01:19 PM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 10:54 PM (IST)
उत्तराखंड के वन मंत्री हरक सिंह रावत का बड़ा बयान, 2022 में नहीं लड़ेंगे विधानसभा चुनाव
उत्तराखंड के वन मंत्री हरक सिंह रावत का बड़ा बयान।

देहरादून, राज्य ब्यूरो। त्रिवेंद्र कैबिनेट के वरिष्ठ सदस्य वन और पर्यावरण मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत ने एलान किया है कि वह वर्ष 2022 में होने वाला अगला विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। हालांकि, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वह राजनीति से संन्यास नहीं लेंगे। अलबत्ता, अंतिम सांस तक प्रदेश की जनता की सेवा करते रहेंगे। उधर, डॉ. रावत के इस एलान से सियासी गलियारों में तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार गरम है। 

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वर्ष 2016 में कांग्रेस की तत्कालीन हरीश रावत सरकार के खिलाफ बगावत कर नौ विधायकों के साथ भाजपा का दामन थामने वाले डॉ. हरक सिंह रावत ने तब सरकार पर संकट ला दिया था। इसके बाद वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में वह कोटद्वार सीट से भाजपा प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरे और जीत हासिल की। हरक की छवि तेजतर्रार मंत्री की रही है।कोरोना को मात देने के बाद एक रोज पहले गढ़वाल के दौरे से लौटे डॉ. रावत ने शुक्रवार को देहरादून स्थित आवास पर मीडिया से बातचीत में अचानक अगला विस चुनाव न लडऩे का एलान कर दिया। उन्होंने कहा, 'सचमुच काफी पहले से मन बना था कि अगला विधानसभा चुनाव नहीं लड़ूंगा। ये मेरा व्यक्तिगत निर्णय है और इस बारे में भाजपा के प्रांतीय महामंत्री संगठन अजेय कुमार समेत हाईकमान को भी अवगत करा चुका हूं।' साथ ही यह जोड़ा कि व्यक्तिगत रूप से कई बार कुछ चीजें आपके हाथ में नहीं होतीं। 

पार्टी के आदेश और प्रदेश हित में निर्णय बदलना भी पड़ता है। उन्होंने कहा कि वह राजनीति से संन्यास कतई नहीं लेंगे। राजनीति के लिए विधायक का चुनाव लड़ना जरूरी नहीं है और भी कई विकल्प हैं। उन्होंने कहा कि वह जीवन की अंतिम सांस तक प्रदेश और यहां की जनता की सेवा करते रहेंगे। आगे देखते हैं क्या परिस्थितियां बनती हैं।गौरतलब है कि डॉ.रावत पूर्व में भी विस चुनाव न लडऩे की इच्छा जता चुके हैं, लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में उनके एलान के कई निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। असल में, सरकार ने हाल में उन्हें भवन और अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाकर श्रम संविदा बोर्ड के अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल को यह जिम्मेदारी सौंप दी थी। 

डॉ. रावत के पास श्रम एवं सेवायोजन मंत्रालय भी है। बोर्ड के अध्यक्ष पद पर अब तक वह ही काबिज थे। डॉ. रावत के चुनाव न लड़ने के एलान को इस घटनाक्रम से जोड़कर भी देखा जा रहा है। हालांकि चर्चा यह भी है कि वह विधानसभा चुनाव में अपनी बहू अनुकृति गुसाईं को टिकट दिलाने की पैरवी कर सकते हैं। अब बात चाहे जो हो, लेकिन हरक फिर से सुर्खियों में हैं।

पहले सीएम से बात करूंगा, तभी दूंगा प्रतिक्रिया

उत्तराखंड में अंगीकृत किए गए केंद्र के भवन एवं अन्य सन्निर्माण कामगार (रोजगार का विनियमन और सेवा शर्तें) अधिनियम के तहत राज्य में गठित भवन एवं अन्य सन्निर्माण बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाए जाने से कैबिनेट मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत खफा हैं। शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि इस बारे में वह पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से बात करेंगे। इसके बाद ही कोई प्रतिक्रिया देंगे।वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत के पास श्रम एवं सेवायोजन मंत्रालय का जिम्मा भी है। श्रम विभाग के अंतर्गत आने वाले भवन एवं अन्य सन्निर्माण बोर्ड के अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी डॉ. रावत ही देख रहे थे। इस बीच शासन ने 20 अक्टूबर को अचानक अधिसूचना जारी डॉ.रावत की जगह अध्यक्ष पद पर श्रम संविदा बोर्ड के अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल को नियुक्त कर दिया। 

तर्क दिया गया कि बोर्ड का कार्यकाल नौ सितंबर को पूरा हो गया था। सरकार के फैसले के अनुरूप बोर्ड का पुनर्गठन किया गया है। इसी के तहत सत्याल को अगले तीन साल के लिए बोर्ड के अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है।बोर्ड के अध्यक्ष पद पर अचानक किए गए इस बदलाव से कैबिनेट मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत भी हैरत में हैं। हालांकि, वह अभी इस मसले पर चुप्पी साधे हैं। शुक्रवार को इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि इस मामले में वह मुख्यमंत्री से बात करेंगे, लेकिन अभी उनकी मुलाकात नहीं हो पाई है। मुख्यमंत्री गुरुवार शाम को दिल्ली से लौटे और शुक्रवार सुबह कुमाऊं के दौरे पर रवाना हो गए। डॉ. रावत ने कहा कि मुख्यमंत्री से बातचीत के बाद ही इस मामले में वह कुछ कहेंगे। संभव है कि शनिवार शाम अथवा रविवार को वह मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे।

पहले भी जाहिर कर चुके थे चुनाव न लड़ने की इच्छा 

साल 2019 में नवंबर में रुद्रप्रयाग में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा था कि अब वे चुनाव नहीं लड़ना चाहते। उनकी इच्छा है कि गांव में बसकर स्वरोजगार करें। इस दौरान उन्होंने कहा था कि 'मैं अस्सी के दशक से चुनाव लड़ रहा हूं, अब लड़ने का मूड नहीं है। बार-बार विधायक और मंत्री बनने से अब इच्छा मर चुकी है। अभी तक मुख्यमंत्री न बनने के सवाल पर हरक ने कहा था कि यह तो किस्मत की बात हैं, यह मेरे हाथ में नहीं है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि उत्तराखंड सरकार की असली परीक्षा विधानसभा चुनाव 2022 में होगी।

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