खनन कारोबारियों को उत्तराखंड सरकार ने दी राहत, नीति में किया संशोधन
उत्तराखंड सरकार ने खनन से राजस्व बढ़ाने और निर्माण सामग्री की किल्लत को दूर करने के लिए उत्तराखंड खनिज नीति में संशोधन किया है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश सरकार ने खनन से राजस्व बढ़ाने और निर्माण सामग्री की किल्लत को दूर करने के लिए उत्तराखंड खनिज नीति में संशोधन किया है। इससे खनन कारोबारियों को भी खासी राहत मिली है। संशोधित नीति में खनन करने की अधिकतम सीमा अब डेढ़ से बढ़ाकर तीन मीटर अथवा भूजल स्तर तक कर दी गई है। इसके अलावा अवैध खनन को लेकर बनाई गई नीति में संशोधन करते हुए में कैबिनेट ने जिलाधिकारी के साथ ही अपर जिलाधिकारी को भी अवैध खनन पर नोटिस देने और विधिक कार्रवाई करने को अधिकृत किया है। इस व्यवस्था को अप्रैल 2017 से लागू माना जाएगा।
प्रदेश में खनन की निकासी व परिवहन व चुगान के लिए उत्तराखंड उपखनिज चुगान नीति बनाई हुई है। इस नीति को वर्ष 2016 में बनाया गया था। इस नीति में खनन करने की सीमा केवल डेढ़ मीटर गहराई तक रखी हुई है। इससे पूर्व वर्ष 2013 में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय तीन मीटर गहराई तक खनन करने को मूंजरी प्रदान कर चुका था। खनन कारोबारियों द्वारा इस ओर ध्यान दिलाए जाने पर अब कैबिनेट ने तीन मीटर तक खनन करने और खनन निकासी के लिए मंजूरी प्रदान कर दी है। इससे ज्यादा खनन सामग्री मिलने के साथ ही राजस्व बढ़ने की उम्मीद भी बंधी है।
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प्रदेश के विभिन्न जिलों में जिलाधिकारियों ने अपर जिलाधिकारियों को अवैध खनन पर कार्रवाई करने के लिए अधिकृत किया हुआ है। अभी तक प्रचलित नियमावली में जिलाधिकारी अथवा राज्य सरकार द्वारा नामित अधिकारी को ही अवैध खनन पर लाइसेंस धारकों को नोटिस देने और कार्रवाई करने का अधिकार है। ऐसे में अपर जिलाधिकारी द्वारा की जा रही कार्रवाई को कई जिलों में कोर्ट में चुनौती दी गई। ऐसे कई मामले लंबित भी चल रहे हैं। इसे देखते हुए अब कैबिनेट ने नियमावली में आंशिक संसोधन करते हुए इसमें अपर जिलाधिकारी को भी अवैध खनन अथवा निकासी पर लाइसेंसधारकों को नोटिस जारी और कार्रवाई करने के लिए अधिकृत कर दिया है।
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