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    पिछली कांग्रेस सरकार में स्कूल को भूमि आवंटन की होगी जांच

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    Updated: Fri, 31 Jan 2020 07:41 AM (IST)

    पिछली कांग्रेस सरकार में अल्मोड़ा जिले के नैनीसार गांव में अंतर्राष्ट्रीय आवासीय विद्यालय के लिए दी गई 7.06 हेक्टेयर भूमि पर पेच फंस गया है। इस प्रस्ताव का दोबारा परीक्षण करेगी।

    पिछली कांग्रेस सरकार में स्कूल को भूमि आवंटन की होगी जांच

    देहरादून, राज्य ब्यूरो। पिछली कांग्रेस सरकार में अल्मोड़ा जिले के नैनीसार गांव में अंतर्राष्ट्रीय आवासीय विद्यालय के लिए दी गई 7.06 हेक्टेयर भूमि पर पेच फंस गया है। मौजूदा भाजपा सरकार इस प्रस्ताव का दोबारा परीक्षण करेगी। यह भी देखा जाएगा कि भूमि का उपयोग हुआ या नहीं।

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    त्रिवेंद्र सिंह रावत कैबिनेट ने बुधवार को इस मामले पर मंथन किया। बैठक में बताया गया कि हिमांशु एजुकेशन सोसायटी, नई दिल्ली को अल्मोड़ा जिले के नैनीसार गांव में भूमि दी गई। उक्त भूमि आवंटन में अनियमितताओं को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। हाईकोर्ट ने उक्त सोसायटी को ग्राम नैनीसार में विद्यालय के लिए भूमि आवंटित किए जाने पर सरकार से जवाब मांगा है। उक्त सोसायटी नई दिल्ली की है। उसने 21 अप्रैल, 2015 को तत्कालीन मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर विद्यालय के लिए भूमि की मांग की थी। तत्कालीन मुख्य सचिव ने मेरा गांव, मेरा धन योजना के तहत सोसायटी को भूमि आवंटन का परीक्षण करने के निर्देश दिए थे। 

    जिलाधिकारी अल्मोड़ा ने उक्त 7.061 हेक्टेयर भूमि का नजराना चार करोड़ 16 लाख 59 हजार 900 रुपये तथा वार्षिक किराया 1196.80 रुपये आकलित किया। इस प्रस्ताव को कैबिनेट के समक्ष रखने को भेजा गया। तत्कालीन मुख्यमंत्री ने विचलन से पट्टा रेट धनराशि दो लाख वार्षिक किराया पर भूमि आवंटित किए जाने के निर्देश दिए। जिलाधिकारी अल्मोड़ा के बाद में 22 सितंबर, 2015 को अल्मोड़ा जिलाधिकारी की संस्तुति पर सोसायटी को सशुल्क भूमि आवंटित की गई। राजस्व महकमे ने जांच में पाया कि भूमि आवंटन में औपचारिकताएं पूरी नहीं की गईं। इनमें ग्राम सभा की भूमि आवंटित किए जाने का प्रस्ताव ग्राम सभा से पारित नहीं है। उक्त संस्था का नजराना शुल्क माफ किया गया। प्रस्ताव पर मंत्रिमंडल का अनुमोदन नहीं लिया गया। इसे मुख्यमंत्री ने विचलन से स्वीकृत किया। कैबिनेट ने उक्त भूमि आवंटन प्रस्ताव पर दोबारा विचार करने और पांच सालों में भूमि के उपयोग की जांच करने पर सहमति दी है।

    वर्कचार्ज कार्मिक मामले में देंगे कोर्ट में दस्तक 

    लोक निर्माण विभाग के करीब पांच हजार से ज्यादा सेवारत व सेवानिवृत्त वर्कचार्ज कर्मचारियों को पेंशन एरियर तीन माह के भीतर देने के सुप्रीम कोर्ट के फरमान पर राहत पाने को राज्य सरकार दोबारा कोर्ट में जाएगी। सरकार ने दो साल में चार किस्तों में एरियर देने का निर्णय लिया था। उक्त कर्मचारियों को वर्कचार्ज सेवा अवधि जोड़कर आदेश की तिथि से तीन साल पहले तक पेंशन एरियर का भुगतान किया जाना है। सभी कार्मिकों की पेंशन देयता पर प्रतिवर्ष 37.53 करोड़ का खर्च आना है। ग्रेच्युटी के रूप में कार्मिकों को 27.85 करोड़ का भुगतान करना है। 

    दो माह बढ़ाई वैट रिटर्न दाखिल करने की अवधि

    कैबिनेट ने कारोबारियों को राहत देते हुए वर्ष 2018-19 में वार्षिक रिटर्न दाखिल करने के लिए समय सीमा दो माह यानी 31 मार्च 2020 तक बढ़ाने का निर्णय लिया है। इस अवधि में रिटर्न दाखिल करने पर व्यापरियों से विलंब शुल्क नहीं लिया जाएगा। बताया गया कि सर्वर की शिफ्टिंग के कारण व्यापारियों को आज तक ऑनलाइन वार्षिक रिटर्न दाखिल करने की सुविधा नहीं मिल पाई है। कर महकमे के अधिकारियों पर जीएसटी के अनिस्तारित वाद बड़ी संख्या में लंबित हैं। इस वजह से कैबिनेट ने उक्त निर्णय लिया। 

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    कैबिनेट ने उत्तराखंड श्रम सेवा नियमावली 2020 को मंजूरी दी है। इससे श्रमायुक्त संगठन के विभागीय ढांचे में जोड़े गए संयुक्त श्रमायुक्त के एक पद पर भर्ती के बारे में नियम तय किए गए हैं। प्रदेश में सहायक श्रमायुक्त से उप श्रमायुक्त पद पर अर्हकारी सेवा पांच वर्ष के स्थान पर सात वर्ष प्रस्तावित की गई है। 

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