विधानसभा का बजट सत्र: गन्ना किसानों को लेकर कांग्रेस का हंगामा, बहिष्कार
उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र में कांग्रेस विधायकों ने बुधवार को तीसरे दिन गन्ना किसानों के बकाया भुगतान के मसले पर सदन में हंगामा किया।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। विधानसभा के बजट सत्र में पहले दो दिन जहरीली शराब प्रकरण को लेकर मुखर कांग्रेस विधायकों ने बुधवार को तीसरे दिन गन्ना किसानों के बकाया भुगतान के मसले पर सदन में हंगामा किया। उन्होंने सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाया और वेल में आकर नारेबाजी की। इस दौरान कुछ विधायक धरने पर भी बैठे। उनकी मार्शल के साथ धक्कामुक्की भी हुई। हंगामे के चलते चार बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। परिणामस्वरूप प्रश्नकाल नहीं हो पाया। इसके बाद कांग्रेस विधायकों ने दिनभर के लिए सदन का बहिष्कार कर दिया।
बुधवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश समेत कांग्रेस विधायकों ने गन्ना किसानों के बकाया भुगतान का मसला उठाते हुए इस पर नियम-310 (सभी कार्य रोककर विषय पर चर्चा) के तहत चर्चा की मांग की। उन्होंने कहा कि भुगतान न होने के कारण गन्ना किसान खासे परेशान हैं। संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि इस विषय पर प्रश्न लगे हैं और सरकार इनका उत्तर देगी। सरकार गन्ना किसानों के भुगतान को लेकर गंभीर है। पीठ की ओर से भी कहा गया कि गन्ना किसानों से संबंधित दो अल्पसूचित प्रश्न हैं। अन्य प्रश्न भी महत्वपूर्ण हैं। पीठ ने इस विषय को नियम 58 की ग्राह्यता में सुनने की बात कही।
बावजूद इसके कांग्रेस विधायक नहीं माने और वेल में आकर नारेबाजी करने लगे। परिणामस्वरूप विधानसभा अध्यक्ष ने कार्यवाही आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी। इसके बाद 11:45 बजे स्थगन की अवधि 10 मिनट और फिर 12:10 बजे तक कार्यवाही स्थगित कर दी गई। इसके बाद कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने हंगामा प्रारंभ कर दिया। कांग्रेस विधायक हाथों में गन्ने के टुकड़े लेकर वेल में आए और नारेबाजी करने लगे। वे पीठ से विनिश्चय की मांग भी करने लगे।
पीठ से कहा गया कि विनिश्चय पहले दिया जा चुका है कि इस विषय को नियम 58 की ग्राह्यता पर सुन लिया जाएगा। कांग्रेस विधायक नहीं माने और हंगामा जारी रखा। इसी बीच आगे बढऩे को लेकर उनमें और मार्शल के बीच धक्कामुक्की भी हुई। हंगामे के मद्देनजर कार्यवाही 12:20 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। इसके साथ ही कांग्रेस विधायक भी सदन से उठकर चले गए और दिनभर सदन में नहीं आए। उन्होंने विस परिसर में हाथों में गन्ने लेकर प्रदर्शन भी किया। इसके पश्चात सदन की कार्यवाही विपक्ष की गैरमौजूदगी में ही चली।
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