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विधानसभा बजट सत्र: जहरीली शराब कांड की जांच करेगी विधानसभा की समिति

विधानसाभ में बजट सत्र के दूसरे दिन संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि हरिद्वार जिले में हुए जहरीली शराब प्रकरण की जांच विधानसभा की समिति भी करेगी।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 12 Feb 2019 12:46 PM (IST)Updated: Tue, 12 Feb 2019 08:59 PM (IST)
विधानसभा बजट सत्र: जहरीली शराब कांड की जांच करेगी विधानसभा की समिति
विधानसभा बजट सत्र: जहरीली शराब कांड की जांच करेगी विधानसभा की समिति

देहरादून, राज्य ब्यूरो। हरिद्वार जिले में हुए जहरीली शराब प्रकरण की जांच विधानसभा की समिति भी करेगी। यह समिति घटनास्थल का मौका मुआयना करने के साथ ही विभिन्न पहलुओं से प्रकरण की जांच कर सुझाव देगी। पीठ ने यह व्यवस्था इस कांड को लेकर नियम 310 (सभी कार्य रोककर विषय पर चर्चा) की ग्राह्यता पर हुई चर्चा के बाद दी। पीठ ने सरकार को यह भी निर्देश दिए कि वह अवैध शराब पर अंकुश लगाने के मद्देनजर एक बहुआयामी कार्ययोजना प्रस्तुत करे।

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इससे पहले चर्चा के दौरान विपक्ष ने इस कांड को लेकर सरकार को कठघरे में खड़ा करने का प्रयास करते हुए मुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री के इस्तीफे की मांग की। आबकारी मंत्री के जवाब व पीठ की व्यवस्था से नाखुश कांग्रेस विधायकों ने वेल में आकर नारेबाजी की और फिर सदन से वॉकआउट कर दिया। गौरतलब है कि यह दूसरा मौका है, जब 310 की ग्राह्यता पर सदन में चर्चा की गई हो। इससे पूर्व वर्ष 2013 में केदारनाथ त्रासदी के बाद सदन में ऐसा हुआ था।

जहरीली शराब प्रकरण पर सदन दूसरे दिन भी गर्माया रहा। कार्यवाही शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष डॉ.इंदिरा हृदयेश समेत विपक्ष ने इस प्रकरण पर नियम-310 के तहत चर्चा की मांग की। पीठ ने प्रश्नकाल के बाद इस विषय को उठाने की बात कही। संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत ने भी मामले में सरकार की ओर से वक्तव्य देकर स्थिति स्पष्ट करने की मंशा जताई, लेकिन कांग्रेस अपनी मांग पर अड़ी रही। इस पर पीठ ने विषय को 310 की ग्राह्यता पर सुनने के लिए चर्चा आरंभ कराई।

नेता प्रतिपक्ष डॉ.हृदयेश ने कहा कि इस प्रकरण पर सरकार संवेदनहीन बनी हुई है। मुख्यमंत्री, आबकारी मंत्री से लेकर सरकार को कोई नुमाइंदा पीड़ि‍तों का दुख-दर्द बांटने नहीं पहुंचा। उन्होंने कहा कि मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख के मुआवजे की बात कही गई है, यह भी नहीं मिल पाया है। उन्होंने कहा कि घटना के बाद कैसे पता चला कि क्षेत्र में शराब की भट्टियां हैं, अब तक आबकारी विभाग कहां था। उन्होंने कहा कि उच्च पदस्थ अफसरों ने उन्हें बताया कि पैसा ऊपर तक पहुंचता है। साफ है कि सरकार भ्रष्टाचार में डूबी हुई है। नौकरशाही पर उसका कोई नियंत्रण नहीं है।

विधायक प्रीतम सिंह ने कहा कि मौतों से सदन दुखी है, पर सरकार सोयी है। हरिद्वार व ऋषिकेश में सरकार मयखाने खोलने का काम कर रही है। खुद भाजपा विधायक ने हरिद्वार जिले में पूर्ण शराबबंदी की मांग को लेकर पत्र लिखा है। सरकार संवेदनहीन है। लिहाजा, मुख्यमंत्री, आबकारी मंत्री को त्यागपत्र दें।

भगवानपुर विधायक ममता राकेश ने इस घटना के बाद की मार्मिक तस्वीर से सदन को अवगत कराया। यह भी स्पष्ट किया कि जिस व्यक्ति के घर तेरहवीं थी, उसके यहां शराब नहीं परोसी गई। उपनेता प्रतिपक्ष करन माहरा ने कहा कि इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि अवैध शराब के धंधे को कौन संरक्षण दे रहा है। हरीश धामी ने कहा कि सफेदपोशों का भी अवैध शराब के कारोबारियों को संरक्षण है। कांग्रेस विधायकों ने कहा कि देवभूमि को शराबभूमि बनाया जा रहा है। क्षेत्र में यदि कानून का इकबाल होता तो यह घटना नहीं होती। चर्चा में विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल, फुरकान अहमद, राजकुमार व आदेश चौहान आदि ने भी भाग लिया।

संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि आठ फरवरी को घटना की सूचना मिलते ही तुरंत कार्रवाई की गई। पीड़ि‍तों को उपचार व जवाबदेह कार्मिकों को निलंबित किया गया। मुआवजे को लेकर कोई तकनीकी दिक्कत है तो उसे दूर करा दिया जाएगा। घटना की तह तक जाने को एसआइटी गठित की गई है। उन्होंने हरिद्वार जिले में की गई कार्रवाई भी सदन में रखी और कहा कि अवैध शराब पर लगाम को कड़े प्रतिबंध प्रस्तावित किए हैं। इस बुराई से लड़ने को संगठित प्रयासों की जरूरत है। विपक्ष के सुझावों को भी संज्ञान लिया गया है। विपक्ष उनके जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ और विपक्षी विधायक वेल में आकर नारेबाजी करने लगे। पीठ द्वारा व्यवस्था दिए जाने पर भी वे संतुष्ट नहीं हुए और फिर सदन से वॉकआउट कर गए। 

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