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जिलाध्यक्षों की सहमति से तय होंगे कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष

कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति में तकरीबन हफ्तेभर विलंब होना तय है। ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति नवनियुक्त जिलाध्यक्षों के साथ राय-मशविरे और उनकी सिफारिश पर होगी।

By Edited By: Published: Tue, 07 Aug 2018 03:00 AM (IST)Updated: Tue, 07 Aug 2018 10:11 AM (IST)
जिलाध्यक्षों की सहमति से तय होंगे कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष
जिलाध्यक्षों की सहमति से तय होंगे कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: लंबे इंतजार के बाद प्रदेश में कांग्रेस के जिलाध्यक्षों की नियुक्ति तो हो गई, लेकिन ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति में तकरीबन हफ्तेभर विलंब होना तय है। 

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ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति नवनियुक्त जिलाध्यक्षों के साथ राय-मशविरे और उनकी सिफारिश पर पर होगी। इसे संगठन में ब्लॉक से लेकर जिले और फिर प्रदेश स्तर तक विभिन्न इकाइयों में तालमेल कायम रखने की प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। हालांकि प्रदेश कांग्रेस की नई कार्यकारिणी को लेकर अध्यक्ष पर दबाव बना हुआ है। अध्यक्ष के सामने गुटीय संतुलन के साथ ही सबको साथ लेकर चलने की चुनौती है। प्रदेश कांग्रेस में सांगठनिक स्तर पर फेरबदल की शुरुआत हो चुकी है। 

हालांकि इस सबके लिए प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने तकरीबन सवा साल का वक्फा लिया है। ब्लॉकों, जिलों से लेकर प्रदेश स्तर तक पुरानी कार्यकारिणी के साथ लंबा वक्त गुजार चुके प्रीतम अब अपनी नई टीम के साथ कमर कस रहे हैं। 

पार्टी हाईकमान उन्हें इस मामले में फ्रीहैंड दे चुका है। हालांकि, ये फ्रीहैंड सबको साथ लेकर चलने की नसीहत के साथ दिया गया है। जिलाध्यक्षों के बाद अब प्रदेश में कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्तियां की जाएंगी।

सूत्रों की मानें तो प्रीतम ने जिलाध्यक्षों के बाद ही ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति को तरजीह दी है। इसकी खास वजह ये बताई जा रही है कि ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्तियां जिलाध्यक्षों की सहमति से की जाएं। दरअसल, जिलाध्यक्षों को बेहतर परफॉरमेंस के लिए अपने ब्लॉक अध्यक्षों से काम लेना है। 

ऐसे में इस महत्वपूर्ण निचली इकाइयों के मुखियाओं को तय करने में उनकी भूमिका रखी गई है। यही नहीं, चूंकि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कार्यकारिणी को छोटा रखा जाना है, इससे पार्टी में असंतोष को भांपते हुए विभिन्न इकाइयों का गठन नई कार्यकारिणी से पहले करने की तैयारी है। प्रदेश कांग्रेस की अनुशासन समिति के साथ ही समन्वय समिति और संसदीय समिति का गठन जल्द होने जा रहा है। 

समन्वय समिति और संसदीय समिति में प्रदेश के दिग्गज नेता, सांसदों के साथ ही पूर्व मंत्रियों को जगह मिलना तकरीबन तय है। प्रदेश कांग्रेस की अन्य समितियों में सक्रिय कार्यकर्ताओं को जगह देकर गुटीय असंतोष पर किसी हद तक काबू पाया जा सकता है। 

वैसे भी कांग्रेस के सामने प्रदेश में दोबारा मजबूती से खड़ा होने और आगामी चुनावों में दमदार प्रदर्शन की चुनौती है। इस चुनौती को ध्यान में रखकर ही हाईकमान की ओर से भी सभी को एकजुट रखने पर जोर दिया जा चुका है। इस चुनौती के मद्देनजर प्रीतम सिंह सधे अंदाज में कदम बढ़ा रहे हैं। 

यह दीगर बात है कि उनका ये अंदाज भी पार्टी के भीतर अन्य गुटों में खलबली मचाए हुए है। इनसेट हरीश-किशोर में गुफ्तगू प्रदेश में बीते रोज कांग्रेस के नए जिलाध्यक्षों की घोषणा के साथ पार्टी दिग्गजों में आगामी रणनीति को लेकर सुगबुगाहट तेज होने लगी है। 

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के आवास पर उनके और पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के बीच बंद कमरे में आधा घंटे तक गुफ्तगू हुई। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह और नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के गाहे-बगाहे एकजुट होने के जवाब में दोनों नेताओं के बीच बीते दिनों नजदीकियां बढ़ी हैं। प्रदेश में कांग्रेस की सियासत में इसे एक नए कोण के तौर पर देखा जा रहा है।

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