Uttarakhand Politics: दबाव समूह बन रहा भाजपा विधायकों की बेचैनी का सबब
Uttarakhand Politics उत्तराखंड में पिछले सात सालों में एक पूर्व सीएम एक पूर्व केंद्रीय मंत्री राज्य के दो मंत्री समेत 11 विधायक कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए। अब इनकी एकजुटता भाजपा के उन विधायकों के लिए बेचैनी का सबब बन रही है जो मूल रूप से भाजपा के हैं।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। Uttarakhand Politics: आखिरकार पांच साल बाद वह बात सच साबित होती नजर आ रही है, जिसका अंदेशा पहले जताया जा चुका था। कांग्रेस पृष्ठभूमि के भाजपा विधायक, जिनमें मंत्री भी शामिल हैं, की सियासी एकजुटता अब भाजपा के उन विधायकों के लिए बेचैनी का सबब बन रही है, जो भाजपा मूल के ही हैं। इस स्थिति में इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट कटने की आशंका आने वाले दिनों में भाजपा में कोई गुल खिला दे।
पिछले सात वर्षों के दौरान उत्तराखंड की सियासत में एकतरफा पलायन हुआ। इस अवधि में एक पूर्व मुख्यमंत्री, एक पूर्व केंद्रीय मंत्री, राज्य के दो मंत्री समेत 11 विधायक कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले हुए इस पालाबदल में तब हालांकि स्वाभाविक रूप से भाजपा फायदे में रही, मगर अब अगले विधानसभा चुनाव से पहले इसी वजह से पार्टी के समक्ष मुश्किल पेश आनी शुरू हो गई हैं। कांग्रेस पृष्ठभूमि के भाजपा विधायक उमेश शर्मा काऊ के पार्टी कार्यकर्त्ताओं के साथ विवाद के बाद जिस तरह उनके पुराने साथी सार्वजनिक तौर पर एकजुटता प्रदर्शित करने से गुरेज नहीं कर रहे हैं, उससे तो ऐसा ही लगता है।
पहले कैबिनेट मंत्री डा हरक सिंह रावत और फिर सतपाल महाराज विधायक उमेश शर्मा के साथ आ खड़े हुए। अब स्थिति यह है कि भाजपा के अंदर इन्होंने एक दबाव समूह का रूप ले लिया है। यही भाजपा मूल के विधायकों और विधानसभा चुनाव में टिकट के दावेदार नेताओं के लिए परेशानी का कारण बन रहा है। दरअसल, पिछले महीने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा तीन दिनी प्रवास पर उत्तराखंड आए थे। इस दौरान उन्होंने 10 से ज्यादा बैठकों व कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। इस दौरान भाजपा विधायकों की अब तक की परफार्मेंस का आकलन भी किया गया। तब कहा गया कि भाजपा लगभग डेढ़ दर्जन विधायकों के प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं है और इनका टिकट कट सकता है।
माना जा रहा है कि इसके बाद कांग्रेस पृष्ठभूमि के नेता आगामी चुनाव में अपनी सीट पक्की करने के लिए सुविचारित तरीके से दबाव समूह की भूमिका में सामने आए हैं। इससे भाजपा मूल के विधायक भी दबी जुबां से यह सवाल उठाने लगे हैं कि अगर कांग्रेस पृष्ठभूमि के सभी विधायकों को फिर टिकट दिया जाता है तो क्यों उनका ही परफार्मेंस के पैमाने पर आकलन किया जा रहा है। महत्वपूर्ण बात यह कि कांग्रेस पृष्ठभूमि के जिन नेताओं को पिछले चुनाव में कमिटमेंट के तहत प्रत्याशी बनाया गया था, उनके विधानसभा क्षेत्र के भाजपा नेताओं और पूर्व विधायकों में भी मायूसी है। उन्हें लगने लगा है कि इस बार भी वे टिकट से वंचित रह जाएंगे।
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यह सब पार्टी परिवार का मामला: आर्य
कांग्रेस पृष्ठभूमि के दो कैबिनेट मंत्रियों के विधायक उमेश शर्मा काऊ के पक्ष में उतर आने के बाद अब कांग्रेस पृष्ठभूमि के एक अन्य कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने पूरे प्रकरण पर संयमित टिप्पणी की है। मीडिया से बातचीत में आर्य ने कहा कि रायपुर प्रकरण को लेकर प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक जांच समिति गठित कर चुके हैं। जल्द इसकी रिपोर्ट आ जाएगी और तब पार्टी उचित निर्णय लेगी। उन्होंने कहा कि भाजपा एक परिवार है और यह सब परिवार के अंदर का मामला है। इसे अन्यथा नहीं लिया जाना चाहिए।
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