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दायित्वों की दूसरी किस्त में भी भाजपा विधायकों को मायूसी, अभी है इंतजार

मंत्रिमंडल में दो रिक्त पदों की ओर टकटकी लगाए भाजपा विधायकों को दायित्वों की दूसरी किस्त से भी मायूसी हाथ लगी है।

By Edited By: Published: Fri, 08 Mar 2019 03:01 AM (IST)Updated: Fri, 08 Mar 2019 08:23 PM (IST)
दायित्वों की दूसरी किस्त में भी भाजपा विधायकों को मायूसी, अभी है इंतजार
दायित्वों की दूसरी किस्त में भी भाजपा विधायकों को मायूसी, अभी है इंतजार

देहरादून, विकास धूलिया। मंत्रिमंडल में दो रिक्त पदों की ओर टकटकी लगाए भाजपा विधायकों को दायित्वों की दूसरी किस्त से भी मायूसी हाथ लगी है। गुरुवार को मुख्यमंत्री ने जिन पार्टी नेताओं को दायित्वों से नवाजा, उनमें एक भी विधायक शामिल नहीं है। अलबत्ता, इसमें ऐसे नाम जरूर शुमार हैं, जिन्हें विधानसभा चुनाव के समय मैदान में उतरने का मौका हासिल नहीं हो पाया था।

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मार्च 2017 में भाजपा उत्तराखंड में भारी भरकम बहुमत के साथ सत्ता में आई थी। 70 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 57 विधायक चुन कर पहुंचे। मंत्रिमंडल गठन के वक्त मुख्यमंत्री समेत केवल 10 ही विधायकों को मौका मिला, जबकि उत्तराखंड में संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक अधिकतम 12 सदस्यीय मंत्रिमंडल हो सकता है। 

यही वजह रही कि दायित्व पाने वालों की कतार में 40 से ज्यादा विधायक भी शामिल रहे। भाजपा के 57 विधायकों में से 10 मंत्रिमंडल का हिस्सा हैं, जबकि दो विधायक विधानसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का पद संभाल रहे हैं। हालांकि मंत्रिमंडल में अभी दो स्थान रिक्त हैं, लेकिन अधिकांश भाजपा विधायकों की नजरें मंत्री पद के समकक्ष दायित्वों पर ही टिकी थी। 

इनमें से कई तो पूर्व मंत्री हैं और दो या ज्यादा बार के विधायक भी खासी संख्या में हैं। शुरुआत से ही भाजपा विधायक सत्ता में हिस्सेदारी मिलने की उम्मीद पाले हुए थे, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने विधायकों की बजाए संगठन से जुड़े लोगों को तरजीह देने का फैसला किया। इससे विधायकों को फिर मायूस होना पड़ा है। 

कुछ महीने पहले जारी दायित्वों की सूची में भी किसी पार्टी विधायक को जगह नहीं मिली और गुरुवार को बांटे गए 19 दायित्वों में भी कोई विधायक शामिल नहीं है। दरअसल, उत्तराखंड में पहली निर्वाचित सरकार के समय से ही खासी बड़ी संख्या में सत्ताधारी पार्टी के नेताओं को लालबत्ती (दायित्व) से नवाजा जाता रहा है। 

कांग्रेस की तिवारी सरकार के समय इस तरह की लालबत्तियों का आंकड़ा सौ से ज्यादा पहुंच गया था। हालांकि इसके बाद आई सरकारों के समय भी किसी पार्टी ने अपने लोगों को सत्ता सुख देने के मामले में कटौती नहीं की। 

दायित्व का मतलब वे सरकारी पद हैं, जिन्हें कैबिनेट या राज्य मंत्री का दर्जा हासिल होता है। इनमें विभिन्न आयोग, बोर्ड और निगमों के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद शामिल हैं। हालांकि दायित्व वितरण से पहले ही इस तरह के संकेत मिल रहे थे कि विधायकों का इंतजार फिलहाल खत्म होने नहीं जा रहा है। 

तर्क यह दिया जा रहा था कि विधानसभा चुनाव में जिन वरिष्ठ नेताओं को टिकट नहीं मिल पाया था, उन्हें अब दायित्वों का लाभ दिया जाए और हुआ भी ऐसा ही। देश के प्रसिद्ध उद्योगपति मुकेश अंबानी के पुत्र अनंत अंबानी को श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति में बतौर सदस्य शामिल करना जरूर कुछ चौंकाने वाला कहा जा सकता है। 

दरअसल, मुकेश अंबानी की बदरीनाथ व केदारनाथ धाम के प्रति अगाध आस्था रही है और वे अकसर दर्शनों के लिए यहां आते हैं। समझा जा रहा है कि उनकी आस्था को सम्मान देने के लिए सरकार ने यह फैसला किया। 

भाजपा में हमेशा ही निष्ठावान कार्यकर्ताओं का सम्मान 

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं को सरकार में जिम्मेदारी दी गई है। इससे निगमों, आयोगों और समितियों में कार्यो में सुगमता होगी। भाजपा हमेशा ही अपने निष्ठावान कार्यकर्ताओं का सम्मान करती रही है। इस सूची में 19 कार्यकर्ताओं को दायित्व सौंपे गए हैं जबकि निदेशक मंडल व समितियों में सदस्यों की भी नियुक्तियां की गई हैं।

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