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    चुनावी झटके से उत्तराखंड में भाजपा सतर्क, सामने है बड़ी चुनौती

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Wed, 12 Dec 2018 08:19 AM (IST)

    उत्तराखंड में एकछत्र राज कर रही भाजपा की चिंता चंद महीनों बाद होने वाले लोकसभा चुनाव हैं।

    चुनावी झटके से उत्तराखंड में भाजपा सतर्क, सामने है बड़ी चुनौती

    देहरादून, विकास धूलिया। छत्तीसगढ़, राजस्थान समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में लगे झटके के बाद उत्तराखंड में भी भाजपा सतर्क हो गई है। फिलहाल सूबे में एकछत्र राज कर रही भाजपा की चिंता चंद महीनों बाद होने वाले लोकसभा चुनाव हैं। पार्टी के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती यह है कि किस तरह पिछले लोकसभा व विधानसभा चुनाव के प्रदर्शन को बरकरार रखा जाए, क्योंकि इन दोनों चुनावों में उत्तराखंड में भाजपा ने एकतरफा जीत हासिल की थी। यानी, भाजपा के पास पाने को तो कुछ नहीं, मगर खोने को सब कुछ दांव पर लगा है। इसके विपरीत, उत्तराखंड में फिलहाल खाली हाथ कांग्रेस की उम्मीदें परवान चढऩे लगी हैं। 

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     मंगलवार को आए विधानसभा चुनाव के नतीजे अप्रत्याशित नहीं लेकिन भाजपा के लिए झटका देने वाले जरूर रहे। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की ही तरह उत्तराखंड भी भाजपा का एक मजबूत गढ़ माना जाता है। यूं तो उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के पहले से ही अविभाजित उत्तर प्रदेश के इस हिस्से में भाजपा की गहरी पकड़ रही है लेकिन पिछले पांच वर्षों के दौरान तो मामला बिल्कुल एकतरफा ही रहा है। इस दौरान उत्तराखंड में भाजपा बगैर किसी चुनौती के आगे बढ़ती रही है।

    वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में सूबे में भाजपा की सरकार होते हुए कांग्रेस पांचों सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल रही थी लेकिन वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में कहानी पूरी तरह पलट गई। तब उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार थी, लेकिन मोदी मैजिक के सामने कांग्रेस का किला पूरी तरह दरक गया और भाजपा पांचों सीटों पर काबिज हो गई। इसके बाद वर्ष 2017 की शुरुआत में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अब तक का सबसे ऐतिहासिक प्रदर्शन किया और 70 सदस्यीय विधानसभा में अस्सी फीसद से ज्यादा, 57 सीटों पर परचम फहराया।

    साफ है कि लोकसभा चुनाव हो फिर विधानसभा, भाजपा उत्तराखंड में अपने चरम पर है। इससे बेहतर चुनावी प्रदर्शन मुमकिन भी नहीं। यही वजह है कि विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद उत्तराखंड में भाजपा नेतृत्व के माथे पर चिंता की लकीरें नजर आ रही हैं क्योंकि पार्टी लोकसभा चुनाव में फिर से पांचों सीटें हासिल नहीं कर पाती तो इसकी तुलना उसके पिछले प्रदर्शन से की जाएगी। यानी, एक भी सीट कम आने पर माना जाएगा कि भाजपा अपने प्रदर्शन को बरकरार नहीं रख पाई।

    इसके ठीक उलट कांग्रेस के पास सब कुछ पाने के लिए ही है, खोने को कुछ नहीं। पिछले लोकसभा व विधानसभा चुनाव से बदतर प्रदर्शन कुछ हो नहीं सकता और कांग्रेस इससे गुजर चुकी है। कांग्रेस के लिए राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में मिली सफलता उसके नैतिक मनोबल को कहीं ज्यादा बढ़ाने वाली साबित होगी और पार्टी मनोवैज्ञानिक रूप से सकारात्मक परिस्थिति में लोकसभा चुनावों में उतरेगी। यही वजह है कि अन्य राज्यों के चुनावी नतीजों को लेकर उत्तराखंड में भी कांग्रेस खासी खुश दिखाई दे रही है।

    भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने कहा कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में आया जनता का फैसला भारतीय जनता पार्टी को स्वीकार्य है। जीतने वालों को हमारी ओर से शुभकामनाएं लेकिन चिंता यह कि इतने बड़े घपले-घोटालों के बाद भी कांग्रेस आगे बढ़ी है तो देश की जनता को ही इस पर गहन चिंतन मनन करना होगा। जहां तक भाजपा की बात है तो वह बिल्कुल सही मार्ग पर चल रही है और चलती रहेगी। भाजपा का लक्ष्य देश को परम वैभव की ओर ले जाना है और अपने उद्देश्य में वह अवश्य सफल होगी।

    प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने क हा कि विधानसभा चुनावों में मिली जीत कार्यकर्ताओं में जोश पैदा करेगी। भाजपा कुप्रचार कर रही थी, राहुल गांधी के नेतृत्व व क्षमता पर सवाल उठा रही थी, जनता ने उसका करारा जवाब दिया है। भाजपा यदि इस हार को राज्य के मुख्यमंत्रियों की हार बताती है, तो यह गलत है। पूरा चुनाव अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के नाम पर चलाया गया। यह केंद्र की योजनाओं की भी हार है क्योंकि केंद्र के बैनर तले ही चुनाव लड़ा गया। यह कांग्रेस के लिए 2019 का अच्छा संकेत है। कांग्रेस उत्तराखंड में भी पांचों सीटों पर जीत दर्ज करेगी।

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