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Uttarakhand Politics: आगे कोई टूट-फूट न हो, इसे लेकर भाजपा सतर्क; पार्टी नेतृत्व जुट गया मंथन में

कांग्रेस में कैबिनेट मंत्री रहे यशपाल आर्य और उनके पुत्र संजीव के शामिल होने से भाजपा को झटका लगा है। इसके मद्देनजर भाजपा अधिक सतर्क हो गई है। पार्टी में आगे कोई टूट न हो इसको लेकर मंथन किया जा रहा है। सरकार से लेकर संगठन तक सक्रिय हुए हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Wed, 13 Oct 2021 10:16 AM (IST)Updated: Wed, 13 Oct 2021 10:16 AM (IST)
Uttarakhand Politics: आगे कोई टूट-फूट न हो, इसे लेकर भाजपा सतर्क; पार्टी नेतृत्व जुट गया मंथन में
कांग्रेस में कैबिनेट मंत्री रहे यशपाल आर्य और उनके पुत्र संजीव के शामिल होने से भाजपा को झटका लगा है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। कैबिनेट मंत्री रहे यशपाल आर्य और उनके पुत्र संजीव के कांग्रेस में शामिल होने से लगे सियासी झटके के मद्देनजर भाजपा अब अधिक सतर्क हो गई है। आगे और टूट-फूट न हो, इसे लेकर पार्टी नेतृत्व मंथन में जुट गया है। साथ ही विधायकों को सहेजने के लिए सरकार से लेकर संगठन तक सक्रिय हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक पार्टी अपने विधायकों के संबंध में उनके नजदीकी व्यक्तियों के साथ ही कार्यकर्त्‍ताओं से फीडबैक ले रही है। फीडबैक के आधार पर विधायकों से पार्टी के विभिन्न कार्यक्रमों के बहाने बड़े नेताओं द्वारा संपर्क भी साधा जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि गुरुवार को प्रांतीय पदाधिकारियों की बैठक बुलाई गई है, जिसमें ताजा घटनाक्रम पर विमर्श तो होगा ही, इस तरह की रणनीति बनाई जाएगी कि कोई पार्टी में सेंधमारी न कर सके।

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आगामी विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने ही पालाबदल की कवायद शुरू की। पार्टी ने कांग्रेस के एक व दो निर्दलीय विधायकों को अपने पाले में खींचा। लिहाजा, अब बारी कांग्रेस की थी और उसने पुराने कांग्रेसी और प्रदेश की मौजूदा भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य व उनके पुत्र विधायक संजीव आर्य की घर वापसी कराकर भाजपा को झटका दिया। आर्य वर्ष 2017 में भाजपा में शामिल हुए थे।

स्थिति यह रही कि सरकार से लेकर संगठन तक बड़ा नेटवर्क होने के बावजूद भाजपा को आर्य के इस कदम की भनक तक नहीं लग पाई। वह भी यह जानते हुए कि नौकरशाही के रवैये को लेकर यशपाल आर्य नाराजगी जता चुके हैं। ये बात अलग है कि आर्य ने सियासी मसलों पर कभी भी सार्वजनिक तौर पर अपनी नाराजगी जाहिर नहीं की। इस झटके के बाद भाजपा नेतृत्व का चौकन्ना होना स्वाभाविक है। पार्टी सूत्रों के अनुसार नाराज चल रहे विधायकों के साथ ही कांग्रेस पृष्ठभूमि के विधायकों को लेकर पार्टी अधिक सतर्क हुई है। प्रांत स्तर से इसकी मानीटरिंग शुरू कर दी गई है, जिसका जिम्मा खुद प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक संभाले हुए हैं।

सूत्रों ने बताया कि पार्टी सभी विधायकों के संबंध में उनके नजदीकी व्यक्तियों के साथ ही पार्टी कार्यकत्र्ताओं से निरंतर फीडबैक लिया जा रहा है। भाजपा सूत्रों के अनुसार वर्तमान में पार्टी के सभी प्रांतीय नेता प्रवास पर हैं। बुधवार शाम अथवा गुरुवार सुबह तक उनके देहरादून लौटने की संभावना है। इसके बाद गुरुवार को ताजा घटनाक्रम की समीक्षा के साथ ही आगे की रणनीति तय करने के लिए बैठक बुलाई गई है। उधर, भाजपा के प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने कहा कि पार्टी के प्रांतीय नेताओं की समय-समय पर बैठकें होती रहती हैं। मौका, विधानसभा चुनाव का है तो यह सामान्य बात है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग व्यक्तिगत स्वार्थों के मद्देनजर पार्टी छोड़कर गए हैं, उन्हें चुनाव में जनता सबक सिखाएगी।

प्रदेश अध्यक्ष भाजपा मदन कौशिक का कहना है कि भाजपा कार्यकर्त्‍ता आधारित पार्टी है। यशपाल आर्य जब भाजपा में आए तो पार्टी ने उन्हें पूरा सम्मान दिया। उन्हें व उनके पुत्र को विधानसभा का टिकट दिया गया तो आर्य को सरकार में मंत्री भी बनाया गया। आर्य किस बात से नाराज थे, यह तो वही बता सकते हैं। 

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