पवलगढ़ कंजर्वेशन रिजर्व में परिंदों के संसार से रूबरू होंगे पक्षी प्रेमी
परिंदों के साथ ही तितलियों व मॉथ के मोहक संसार वाले पवलगढ़ कंजर्वेशन रिजर्व में सात से नौ मार्च तक उत्तराखंड स्प्रिंग बर्ड फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड में कार्बेट टाइगर रिजर्व लैंडस्केप के अंतर्गत पवलगढ़ कंजर्वेशन रिजर्व एक बार फिर पक्षी प्रेमियों के स्वागत को तैयार है। परिंदों के साथ ही तितलियों व मॉथ के मोहक संसार वाले इस कंजर्वेशन रिजर्व में सात से नौ मार्च तक 'उत्तराखंड स्प्रिंग बर्ड फेस्टिवल' का आयोजन किया जा रहा है। इन दिनों इसकी तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं।
कार्बेट रिजर्व से लगे रामनगर वन प्रभाग में 5824 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला पवलगढ़ कंजर्वेशन रिजर्व वन्यजीव विविधता के लिए मशहूर है। नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण यह कंजर्वेशन रिजर्व रॉयल बंगाल टाइगर और एशियाई हाथियों समेत दूसरे वन्यजीवों के लिए तो प्रसिद्ध है ही, यहां परिंदों का मोहक संसार भी बसता है।
पक्षी प्रेमियों के लिए तो यह बेहतरीन गंतव्य स्थल है। अभी तक वहां परिंदों की 367 प्रजातियां चिह्नित की जा चुकी हैं। जैव विविधता के मामले में उसके धनी होने का प्रमाण ये है कि यहां तितलियों की करीब 85 प्रजातियां पाई जाती हैं तो मॉथ (रात में उड़ने वाले पतंगे) की 100 से ज्यादा प्रजातियां विद्यमान हैं। यहां का आकर्षण हर किसी को खींचता है और यह एक बड़े पक्षी अवलोकन केंद्र के रूप में उभरा है।
इस सबको देखते हुए वन महकमे ने एक बार फिर पवलगढ़ में उत्तराखंड स्प्रिंग बर्ड फेस्टिवल के आयोजन का निर्णय लिया है। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजीव भरतरी बताते हैं कि पवलगढ़ कंजर्वेशन रिजर्व में सात से नौ मार्च तक यह बर्ड फेस्टिवल होगा, जिसमें देशभर से पक्षी प्रेमी जुटेंगे। उन्होंने ये भी जानकारी दी कि सिक्योर हिमालय प्रोजेक्ट में शामिल गंगोत्री नेशनल पार्क और गोविंद वन्यजीव विहार से लगे गांवों के 35 लोगों को भी फेस्टिवल में आमंत्रित किया गया है।
पांच साल में दूसरा बर्ड फेस्टिवल
पवलगढ़ में पांच साल के वक्फे में बर्ड फेस्टिवल का आयोजन दूसरी बार हो रहा है। इससे पहले वर्ष 2015 में यहां बर्ड फेस्टिवल हुआ था, जिसमें बड़ी संख्या में पक्षी प्रेमी पहुंचे थे। इसके बाद वन विभाग ने वहां बर्ड ट्रेल समेत कई कदम उठाए हैं।
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यहां से संरक्षणवादी बने थे कार्बेट
मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक भरतरी बताते हैं कि शिकारी से संरक्षणवादी बने जेम्स एडवर्ड कार्बेट उर्फ जिम कार्बेट का ताल्लुक भी पवलगढ़ है। जिम कार्बेट ने आखिरी बाघ का शिकार यहीं किया था और इसके बाद वह पूरी तरह से बाघों के संरक्षण में जुट गए।
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