बॉयो फैंसिंग थामेगी वन्यजीवों के कदम, रोपे जाएंगे रामबांस, लैमनग्रास जैसी वनस्पतियां
मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने को वन सीमा पर रामबांस लैमनग्रास जैसी वनस्पतियों के पौध रोपकर इनकी बाड़ लगाई जाएगी। वन महकमा यह प्रस्ताव तैयार करने में जुटा है।
देहरादून, केदार दत्त। मानव-वन्यजीव संघर्ष से जूझ रहे उत्तराखंड में निकट भविष्य में वन्यजीव जंगल की देहरी पार नहीं करेंगे। उन्हें प्राकृतिक तौर-तरीकों से ही जंगलों में रोके रखने के मद्देनजर बॉयो फैंसिंग की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं। इसके तहत वन सीमा पर रामबांस, लैमनग्रास जैसी वनस्पतियों के पौध रोपकर इनकी बाड़ लगाई जाएगी। वन महकमा यह प्रस्ताव तैयार करने में जुटा है। शासन स्तर पर भी इसके प्रस्तुतीकरण की तैयारी है।
वर्तमान में उत्तराखंड का शायद ही कोई क्षेत्र ऐसा होगा, जहां वन्यजीवों ने नींद न उड़ाई हुई हो। हाथी, गुलदार, बाघ, भालू जान के खतरे का सबब बने हैं तो बंदर, लंगूर, वनरोज, सूअर जैसे वन्यजीव फसलों को चौपट कर रहे। आंकड़े बताते हैं कि दो दशक में वन्यजीव यहां 730 लोगों की जान ले चुके हैं, जबकि 3905 घायल हुए। हालांकि, संघर्ष थामने के मद्देनजर वन सीमा पर सोलर पावर फैंसिंग, खाई खुदान जैसे कार्य हो रहे, मगर ये काफी खर्चीले हैं। यही नहीं, सोलर फैंसिंग को वन्यजीव ही तोड़ दे रहे तो बारिश में खाइयां मलबे से भर जा रहीं।
इस सबको देखते हुए महकमे ने जैव संसाधनों को ढाल बनाकर वन्यजीवों को जंगल में रोकने की ठानी। ये उपाय भी ऐेसे आवश्यक हैं, जिनसे वन्यजीवों की आबादी वाले क्षेत्रों में धमक रुके और वे एक से दूसरे जंगल में आसानी से आ-जा सकें। इसका हल बॉयो फैंसिंग के रूप में सामने आया। इसके तहत रामबांस, लैमनग्रास जैसी वनस्पतियों का चयन कर वन सीमा पर बाड़ के लिए इनका रोपण होगा। इन वनस्पतियों को वन्यजीव नहीं खाते। रामबांस पर कांटे होते हैं, जबकि लैमनग्रास की पत्तियां धारदार। ऐसे में वन्यजीव इनके पास नहीं फटकते।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में छह माह के भीतर आएंगे असम से गैंडे, पढ़िए पूरी खबर
बोले अधिकारी
जय राज (प्रमुख मुख्य वन संरक्षक उत्तराखंड) का कहना है कि हमने गहन मंथन के बाद बायो फैंसिंग का निश्चय किया है। इससे जहां वन्यजीव आबादी की तरफ नहीं आएंगे, वहीं वन सीमा पर रामबांस, लैमनग्रास जैसी वनस्पतियों की बाड़ से हरियाली भी बरकरार रहेगी। बॉयो फैंसिंग का प्रस्ताव तैयार हो रहा है। जल्द ही इसे प्रदेशभर में लागू किया जाएगा।
यह भी पढ़ें: गंगोत्री में बनेगा देश का पहला स्नो लेपर्ड कंजर्वेशन सेंटर, पढ़िए खबर