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मोदी सरकार के बजट से उत्तराखंड को भी हैं ये बड़ी उम्मीदें, जानिए

केंद्र की सत्ता पर दूसरी बार आसीन नरेंद्र मोदी सरकार के पहले बजट से उत्तराखंड को बड़ी उम्मीदें हैं। रेल लाइन का विस्तार नमामि गंगे आदि को लेकर इससे उम्मीद है।

By BhanuEdited By: Published: Fri, 21 Jun 2019 09:01 AM (IST)Updated: Fri, 21 Jun 2019 03:37 PM (IST)
मोदी सरकार के बजट से उत्तराखंड को भी हैं ये बड़ी उम्मीदें, जानिए
मोदी सरकार के बजट से उत्तराखंड को भी हैं ये बड़ी उम्मीदें, जानिए

देहरादून, राज्य ब्यूरो। केंद्र की सत्ता पर दूसरी बार आसीन नरेंद्र मोदी सरकार के पहले बजट से उत्तराखंड को बड़ी उम्मीदें हैं। खासतौर पर ऑलवेदर रोड के दायरे में प्रदेश की अन्य सड़कों को शामिल करने और ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन व टनकपुर-बागेश्वर रेलवे लाइन को तेजी से पूरा करने के लिए बजट में पिटारा खुलेगा। उम्मीद यह भी है कि देश को बेशकीमती पर्यावरणीय सेवाएं मुहैया कराने के एवज में ग्रीन बोनस अथवा नमामि गंगा समेत विभिन्न केंद्रपोषित योजनाओं में अधिक मदद मिल सकेगी। 

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उत्तराखंड राज्य बने हुए 18 साल गुजरने के बावजूद बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के विस्तार में अड़ंगा लगा हुआ है। विषम भौगोलिक परिस्थितियों में निर्माण कार्यों की ज्यादा लागत और राज्य के सीमित आर्थिक संसाधन आड़े आ रहे हैं। इस वजह से राज्य सरकार अवस्थापना सुविधाओं और सेवाओं के विकास और विकास के लिए केंद्र की ओर टकटकी बांधे हुए है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चार धाम ऑलवेदर रोड, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन, टनकपुर-बागेश्वर रेलवे लाइन के साथ ही भारतमाला परियोजनाओं के जरिये राज्य के सीमांत क्षेत्रों को सड़कों से जोड़ने और कनेक्टिविटी में सुधार को लेकर उत्तराखंड आस संजोए है। 

राज्य सरकार को उम्मीद है कि उक्त महत्वाकांक्षी परियोजनाओं के लिए केंद्रीय बजट में धनराशि बढ़ेगी, ताकि अगले पांच सालों में ढांचागत विकास तेज हो सके। सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा, उच्च शिक्षा, कृषि जैसे बुनियादी क्षेत्रों में ढांचागत सुविधाएं बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत समेत राज्य के तमाम मंत्रीगण मोदी सरकार के नए केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात कर चुके हैं। 

राज्य के तमाम शहर भी विकास के मामले में बेहद पिछड़े हुए हैं। दून को स्मार्ट सिटी बनाने की संकल्पना अभी आकार नहीं ले पाई है। वहीं शहरों में सीवरेज लाइन बिछाने और सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट निर्माण के साथ ही कूड़ा निस्तारण की समस्याएं मुंहबाए खड़ी हैं। 

राज्य सरकार के सामने बड़ी दिक्कत पर्यावरणीय सेवाओं के रूप में भी है। इस वजह से राज्य में विकास गतिविधियों पर असर पड़ रहा है, लेकिन इसके एवज में उत्तराखंड को न तो ग्रीन बोनस मिला है और न ही बजट में अतिरिक्त वित्तीय मदद। राज्य सरकार को उम्मीद है कि केंद्रीय बजट में उत्तराखंड की समस्याओं के समाधान के लिए केंद्रपोषित योजनाओं में अधिक धन का पिटारा खुल सकेगा। इस वजह से राज्य सरकार और जनता की नजरें मोदी सरकार के बजट पर टिकी हैं।

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