11 माह के अंदर Dehradun में आधा हो जाएगा यातायात का दबाव, 12 साल से हो रहा इस परियोजना का इंतजार
देहरादून के भंडारीबाग-चंदरनगर-रेसकोर्स आरओबी का निर्माण अगले 11 माह में पूरा होने की उम्मीद है। जिलाधिकारी ने ठेकेदार को निर्माण कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। आरओबी बनने से सहारनपुर रोड पर यातायात का दबाव कम होगा। परियोजना में देरी के लिए ठेकेदार को फटकार लगाई गई और निगरानी के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। आरओबी में रेसकोर्स के छोर पर अंडरपास भी बनेगा।

जागरण संवाददाता, देहरादून। दून के सबसे व्यस्ततम और यातायात दबाव के लिहाज से पूरे दिन जाम से पैक रहने वाले सहारनपुर रोड, मातावाला बाग और आढ़त बाजार में अगले एक साल के भीतर यातायात का दबाव आधा रह जाएगा।
खासकर, मातावाला बाग से सहानपुर चौक-आढ़त बाजार-रेलवे स्टेशन-प्रिंस चौक तक लगने वाले जाम से आमजन को निजात मिल जाएगी। इस मार्ग का यातायात दबाव कम करने के लिए केंद्र सरकार व राज्य सरकार के सहयोग से वर्ष -2021 में भंडारीबाग रेलवे ओवर ब्रिज (आरओबी) का निर्माण शुरू किया गया था, लेकिन चार साल की अवधि बीत जाने के बावजूद इसका कार्य लटका हुआ है। शुक्रवार सुबह जिलाधिकारी सविन बंसल ने निर्माणाधीन आरओबी का औचक निरीक्षण किया और ठेकेदार को अगस्त-2026 तक हर हाल में निर्माण कार्य पूरा करने के निर्देश दिए।
राज्य सरकार की इस अतिमहत्वकांक्षी परियोजना का काम पूरा होने के बाद हरिद्वार बाईपास, कारगी रोड और इससे जुड़े क्षेत्र के लोगों को प्रिंस चौक, हरिद्वार रोड या राजपुर रोड की तरफ जाने के लिए सहारनपुर रोड होते हुए नहीं जाना पड़ेगा। आरओबी के जरिये सीधे रेसकोर्स और फिर प्रिंस चौक या हरिद्वार रोड की तरफ निकला जा सकेगा।
ठेकेदारों की लापरवाही के कारण परियोजना का काम अब तक अधूरा चल रहा है। जिलाधिकारी सविन बंसल ने शुक्रवार को मौके पर पहुंचकर कार्यों का निरीक्षण किया और कार्यदायी संस्था/ठेकेदार की सुस्त चाल पर जमकर फटकार लगाई। डीएम ने साफ कह दिया कि यह परियोजना मुख्यमंत्री की प्राथमिकता में है, इसमें देरी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
निरीक्षण के दौरान डीएम ने चेतावनीभरे लहजे में कहा कि शहरवासियों को अधूरी परियोजना की वजह से लगातार जाम और परेशानी झेलनी पड़ रही है। यह लापरवाही और ढिलाई स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कार्यदायी संस्था को दो टूक शब्दों में निर्देश दिया कि निर्माण कार्य को हर हाल में तय समयसीमा में पूरा किया जाए, वरना जिम्मेदार अधिकारियों और संस्था को सीधे जवाबदेह ठहराया जाएगा।
एसडीएम व एक्सईएन नोडल अधिकारी
जिलाधिकारी ने परियोजना की निगरानी को और सख्त करते हुए एसडीएम सदर और लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता (एक्सईएन) को नोडल अधिकारी नामित कर दिया है। दोनों अधिकारी रेलवे से गार्डर ब्रिज प्लेसमेंट और अन्य कार्यों की बारीकी से निगरानी करेंगे।
जिलाधिकारी ने निर्माण कार्य की प्रगति की नियमित समीक्षा करने की बात कही। उन्होंने कहा कि शहर के बीचों-बीच वर्षों से अधर में लटकी यह परियोजना आम जन के साथ धोखा है। सहारनपुर रोड पर बढ़ते यातायात दबाव और जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए भंडारीबाग आरओबी की योजना बनाई गई थी। यह ओवरब्रिज भंडारीबाग को रेसकोर्स चौक से जोड़कर प्रिंस चौक और हरिद्वार रोड के बीच यातायात को सुगम बनाएगा।
12 साल से चल रहा इंतजार
भंडारीबाग रेलवे ओवर ब्रिज (आरओबी) के निर्माण का सपना वर्ष 2013 में देखा गया था, लेकिन शिलान्यास वर्ष 2021 में हुआ। धरातल पर काम में आगे बढ़ाने में आरंभ से ही लेटलतीफी देखने को मिली। निर्माण कार्य आठ माह के विलंब से किया जा सका। जिसके चलते इसकी दो डेडलाइन मार्च 2023 और मार्च 2024 में बीत चुकी थी। अभी तक सिर्फ भंडारी बाग के छोर पर आरोओबी आकार ले सका है। रेसकोर्स के छोर पर सिर्फ पिलर ही खड़े किए जा सके हैं।
लेटलतीफी पर ईपीआइएल को किया बाहर
परियोजना में बजट की कमी नहीं रही और न ही अन्य संसाधनों की। कमी रही आपसी समन्वय की। क्योंकि, निर्माण का जिम्मा भारत सरकारी की जिस कंपनी इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स इंडिया लिमिटेड (ईपीआइएल) को दिया गया था, उसने अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय बनकर काम में तेजी लाने के लिए अपेक्षित प्रयास किए ही नहीं। क्योंकि, रेल लाइन के ऊपर के हिस्से पर पुल को जोड़ने का काम रेलवे को करवाना है।
इसके लिए रेलवे से अनुमति लेकर आपसी तालमेल से कार्य की गति बढ़ाने की जरूरत थी, लेकिन उसने यह काम भी नोडल एजेंसी लोनिवि के सिर मढ़ दिया। यही कारण रहा कि रेलवे से डिजाइन पास करवाने में भी दो साल का समय लग गया। रेलवे से करीब दो साल पहले ही अनुमति मांग ली थी और लाइनों की शिफ्टिंग आदि के लिए ढाई करोड़ रुपये भी जमा करा दिए थे।
हालांकि, जब अगस्त 2024 में डिजाइन को स्वीकृति मिली तो इसके बाद भी धरातल पर अपेक्षित तेजी नजर नहीं आई। परियोजना में लेटलतीफी को देखते हुए ईपीआइएल को जनवरी 2025 में बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। वहीं, मार्च में नई कंपनी का चयन किया गया। हालांकि, विलंब के कारण परियोजना की लागत 12.5 करोड़ रुपए बढ़ गई।
चरणवार प्रगति का दिया लक्ष्य
हालांकि, अब टेंडर के माध्यम से लीशा कंपनी के साथ अनुबंध करते हुए लोक निर्माण विभाग ने धरातल पर काम शुरू करा दिया है। साथ ही चरणवार लक्ष्य तय किए गए हैं। ताकि कार्य की प्रगति निरंतर जारी रहे।
खंड के अधिशासी अभियंता नीरज त्रिपाठी और संबंधित सहायक अभियंता विनेश कुमार के अनुसार कंपनी को अवशेष कार्य को पूरा करने की दिशा में तीन माह के भीतर 25 प्रतिशत प्रगति हासिल करनी होगी। छह माह में प्रगति 50 प्रतिशत, 09 माह में 75 प्रतिशत और 12 माह में काम पूरा करना होगा। प्रत्येक चरण की प्रगति की अलग अलग समीक्षा की जाएगी। अब जिलाधिकारी सविन बंसल की भी प्रोजेक्ट पर सीधी नजर रहेगी।
संशोधित डीपीआर में बनेगा अंडरपास
लोनिवि निर्माण खंड के अधिशासी अभियंता नीरज त्रिपाठी के अनुसार आरओबी में रेसकोर्स के छोर पर अंडरपास का निर्माण किया जाएगा। यह एप्रोच रोड के नीचे सुरंग के रूप में होगा। जिसकी कुल चौड़ाई 07 मीटर होगी। अंडरपास के प्राविधान किए जाने से आसपास के निवासियों को रेलवे लाइन के बंद छोर से पहले मुड़ने के लिए सर्विस रोड पर उल्टी दिशा में नहीं चलना पड़ेगा।
यह स्थिति पूर्व निर्मित मोहकमपुर आरओबी में नजर आती है। क्योंकि, वहां पर अंडरपास इंतजाम नहीं किया गया था। ऐसे में मोहकमपुर में तमाम वाहन चालक राष्ट्रीय राजमार्ग की तरफ भी उल्टी दिशा में चलकर यातायात के लिए चुनौती खड़ी करते हैं।
रेलवे लाइन के ऊपर बनेगा फुटपाथ
लोनिवि अधिकारियों के अनुसार आरओबी पिलर पर सीमेंट कंक्रीट के स्लैब डालकर बनाया जा रहा है। भंडारी बाग के छोर पर निर्माण लगभग पूरा है, जबकि रेसकोर्स की तरफ दो स्लैब डाले जाने शेष हैं। वहीं, रेलवे लाइन के ऊपर लोहे का स्ट्रिंग ब्रिज बनेगा। जिसकी लंबाई 76 मीटर होगी। इस पुल पर दोनों तरफ फुटपाथ बनेंगे और दोनों तरफ सीढ़ियां भी बनेंगी। ताकि एक तरफ से दूसरी तरफ पैदल चलने वाले व्यक्तियों को सुविधा दी जा सके।
परियोजना पर एक नजर
- लंबाई, करीब 578 मीटर
- लागत, 43 करोड़ रुपये (यूटिलिटी शफ्टिंग सहित)
- मूल लागत, 33.62 करोड़ रुपये
- यूटिलिटी शिफ्टिंग, 10 करोड़ रुपये
- अब तक खर्च, 17 करोड़ रुपए
- शेष बची राशि, 16 करोड़ रुपए
- बढ़ी लागत, 12.5 करोड़ रुपए
- कार्य की प्रगति, करीब 60 प्रतिशत
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