साइबर ठगों का मायाजाल, आपकी एक गलती से मेहनत की कमाई हो सकती है साफ
बीते वर्ष दून में साइबर जालसाजों ने करीब चार सौ लोगों को शिकार बनाया। इनपर शिकंजा कसने को पुलिस से लेकर बैंक और सरकार तक सभी खूब हाथ-पैर मार रहे हैं। पर ये गिरफ्त से बाहर हैं।
देहरादून, सोबन सिंह गुसांई। आजकल साइबर क्रिमिनल जितनी तेजी से लोगों के खाते से रकम गायब करते हैं, उतनी तेजी से तो कई बार व्हॉट्सऐप संदेश का आदान-प्रदान भी नहीं कर पाता। बीते वर्ष दून में इन जालसाजों ने करीब चार सौ लोगों को शिकार बनाया। इनपर शिकंजा कसने को पुलिस से लेकर बैंक और सरकार तक, सभी खूब हाथ-पैर मार रहे हैं। मगर ये जालसाज न जाने कौन-सी यूनिवर्सिटी से निकलते हैं कि स्पीड ही नहीं तकनीक के मामले में भी सबसे दो कदम आगे रहते हैं। अच्छे-खासे पढ़े-लिखे भी इनके ऑफर्स के आगे पानी मांग जाते हैं। कुछ दिन पहले ही साइबर क्राइम थाने में एक मामला आया कि एक अधिकारी ने 15 लाख के तोहफे के लिए एक करोड़ 12 लाख रुपये लुटा दिए। इसी तरह एक व्यक्ति ने 35 हजार रुपये की स्कूटी के लिए एक लाख पांच हजार रुपये दे डाले। इसलिए अगर अपनी गाढ़ी कमाई सलामत रखनी है तो होशियार रहें।
फेसबुक-व्हाट्सएप भी अब नहीं रहे सुरक्षित
अगर आप भी फेसबुक जैसी सोशल साइट्स पर ज्यादा सोशल रहते हैं तो सावधान हो जाइये। पता नहीं किस गली में पीड़ित के भेष में साइबर ठगों से मुलाकात हो जाए। साइबर ठगों ने फेसबुक और व्हाट्सऐप को ठगी का नया अड्डा जो बना लिया है। फर्जी आइडी बनाकर लोगों से रुपये मांगे जा रहे हैं। ठगों को पकड़ने में नाकाम साइबर क्राइम पुलिस भी मजबूर है। वजह यह कि छोटी-मोटी ठगी के लिए लोग थानों और कोर्ट के चक्कर नहीं काटना चाहते। ऐसे में वह पुलिस को सिर्फ एक शिकायती पत्र देकर ही खानापूर्ति कर लेते हैं। ये शिकायतें थानों में धूल फांकती रहती हैं। हालांकि, साइबर ठगी के जिन बड़े मामलों में एफआइआर दर्ज होती है, उनमें भी पूरी रिकवरी के मौके कम ही होते हैं। ऐसे में पुलिस भी लोगों को साइबर ठगी से बचने के तरीके बताकर इतिश्री कर रही है। ऐसे कई केस लंबित पड़े हैं।
रातों-रात अमीर होने के लिए शॉर्टकट
अगर घर पहुंचने के लिए शॉर्टकट लिया जाए तो यह फायदे का सौदा हो सकता है, लेकिन सफलता के लिए शॉर्टकट हमेशा ही नुकसानदायक साबित हुआ है। दून के थानों में इन दिनों ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं। जिन्होंने रातों-रात अमीर बनने की चाहत में नशीले पदार्थों की तस्करी का शॉर्टकट लिया और मंजिल के रूप में मिली जेल की चहारदीवारी। इनमें वो भी हैं, जिन्होंने वर्षों मेहनत करके इंजीनियरिंग जैसी परीक्षा पास की, मगर रोजगार के संघर्ष की परीक्षा में फेल हो गए।
कुछ दिन पहले ही राजपुर थाने में ऐसा एक मामला सामने आया, जब बीटेक पास युवक चरस तस्करी में पकड़ा गया। ज्यादा रुपयों के लालच में उसने अपने साथियों के साथ मिलकर यह काम शुरू किया। इसी तरह कई युवा अपना जीवन तबाह कर रहे हैं। इसीलिए युवा पीढ़ी को किताबी ज्ञान के साथ जीवन के मूल्यों की शिक्षा देना भी जरूरी है।
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अब झूठे इकरार पर क्या करें सरकार
दून में धोखाधड़ी के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं, खासकर जमीन के। आए दिन लोग पुलिस के पास शिकायत लेकर पहुंचते हैं कि साहब, फलां ने झूठा इकरानामा बनाकर मेरी या मुझे जमीन बेच दी। लेकिन, अधिकतर मामलों में पुलिस के पास लोग पहुंचते तब है, जब जमीन वापस लेने के लिए अपनाया गया उनका हर हथकंडा फेल हो जाता है। थाने-चौकियों में ऐसे सैकड़ों मामले कार्रवाई का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन, पुलिस भी आखिर करे तो क्या? इसके अलावा भी पुलिस के कंधों पर तमाम जिम्मेदारियां हैं।
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गौर करें तो जमीन की धोखाधड़ी बढ़ने की वजह इन मामलों में लंबी सजा का प्रावधान न होना भी है। ठगी करने वाला पहले से आश्वस्त रहता है कि कुछ समय में ही जेल से बाहर आ जाएगा। कार्रवाई के बाद फिर वह बेखौफ होकर धोखाधड़ी को अंजाम देने लगते हैं। इसलिए जमीन लेने से पहले जांच-पड़ताल जरूर कर लें।
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