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    देहरादून के तीन गांव में बनी सहमति, अब महिलाएं वैवाहिक व अन्य सामाजिक समारोहों में नहीं पहनेंगी ज्यादा गहने

    Updated: Mon, 10 Nov 2025 11:44 PM (IST)

    देहरादून जिले के क्यारा, बागी और भल्डियाना गांव की महिलाओं का शादियों और सामाजिक समारोहों में भारी गहने न पहनने का फैसला किया है। यह निर्णय गहनों के प्रदर्शन की प्रतिस्पर्धा को कम करने और सादगी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया है। इस पहल से सामाजिक समारोहों में अनावश्यक खर्चों को कम करने में मदद मिलेगी और महिलाओं में एकता बढ़ेगी।

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    सांकेतिक तस्वीर।

    संवाद सूत्र, जागरण, चकराता (देहरादून) : शादी विवाह, सामाजिक समारोह तथा धार्मिक अनुष्ठानों में महिलाओं के सीमित आभूषण पहनने को लेकर चकराता तहसील के कंधाड गांव में लिए गए निर्णय के बाद अब जौनसार बावर के अन्य गांवों में भी इसे अपनाने की पहल की जा रही है।

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    बदलाव की सोच के तहत सोमवार को चकराता तहसील की ही ग्राम पंचायत खारसी, मानुवा व गहरी के ग्रामीणों ने भी खुली बैठक की। इसमें महिलाओं के ज्यादा गहने पहनने व किसी भी आयोजन में विदेशी मदिरा परोसने पर प्रतिबंध लगाने पर सहमति जताई गई।

    स्याणा शूरवीर सिंह की अध्यक्षता में हुई तीनों गांवों की बैठक में चर्चा के बाद सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि महिलाएं और लड़कियां सामाजिक, धार्मिक, वैवाहिक, पर्व या मेला आदि के अवसर पर अब सीमित गहने ही पहनेंगी।

    इसके अलावा मायके जाने पर महिलाएं अब सोने के केवल तीन ही आभूषण पहन सकेंगी। इसमें महिलाओं को कान में तुंगल, मुर्की, झुमकी या बाली पहनने की छूट होगी। इसके अलावा वह नाक में फुली और गले में मंगलसूत्र या फिर पेंडल पहन सकेंगी।

    वहीं हाथ में अंगूठी पहन सकेंगी। यह निर्णय भी लिया गया कि इन गांवों में किसी भी आयोजन में विदेशी मदिरा परोसने पर पूर्ण रूप से पाबंदी रहेगा। बैठक में शूरवीर सिंह, दिनेश पंवार, खजान सिंह राणा, मुन्ना सिंह पवार, ज्ञान सिंह, जयपाल सिंह, शरण सिंह, रतन सिंह, अमित, अमर सिंह चौहान, राजेंद्र सिंह, चतर सिंह, अतर सिंह, कुंदन सिंह, सरदार सिंह पंवार, धर्म सिंह, बबलू शाह आदि मौजूद रहे।

    निर्णय के उल्लंघन पर होगा सामाजिक बहिष्कार, आर्थिक दंड भी

    यदि इन निर्णय का उल्लंघन हुआ तो संबंधित लोगों का सामाजिक बहिष्कार होगा। साथ ही आर्थिक दंड भी लगाया जाएगा। सदर स्याणा शूरवीर सिंह ने बताया कि महंगा होने के बावजूद आज देखादेखी में लोग लाखों रुपये कर्ज लेकर सोने के आभूषण बनवा रहे हैं, जो लोग सक्षम हैं वह तो अपनी महिलाओं को कीमती आभूषण पहना सकते हैं, लेकिन गांव का किसान व मजदूर वर्ग आभूषण बनवाने के लिए अक्सर कर्ज का सहारा लेता है। समाज में समानता का भाव बना रहे, इसके लिए ऐसा निर्णय लेना उचित है। सामाजिक हित में समस्त ग्रामीण इस निर्णय से सहमत हुए हैं।

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