By Jagran NewsEdited By: Nirmala Bohra Updated: Thu, 03 Jul 2025 07:45 PM (IST)
ऋषिकेश में बजरंग सेतु का निर्माण कार्य दूसरी समय सीमा में भी अधूरा है। लक्ष्मणझूला पुल के बंद होने के बाद से निर्माणाधीन इस पुल का लक्ष्य पहले दिसंबर 2024 और फिर 30 जून 2025 तक रखा गया था। अब 15 जुलाई तक काम पूरा करने का दावा किया जा रहा है। कांवड़ यात्रा के दौरान पैदल यात्रियों के लिए खोलने पर विचार किया जा रहा है।
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश । बजरंग सेतु का निर्माण कार्य दूसरी समय सीमा बीत जाने के बाद भी पूरा नहीं हो पाया। पहले पुल का निर्माण कार्य दिसंबर 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। उसके बाद 30 जून को काम पूरा करने का दावा था। अब 15 जुलाई तक काम पूरा करने का दावा अधिकारी कर रहे हैं।
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इस दौरान कांवड़ यात्रा भी शुरू हो जाएगी। लोनिवि के अधिकारियों का कहना है कि प्रशासन से वार्ता के बाद पुल को पैदल कांवड़ यात्रियों के लिए खोलने पर चर्चा की जाएगी। टिहरी जिले के तपोवन और पौड़ी जिले के लक्ष्मणझूला को जोड़ने वाला करीब 92 वर्ष पुराना लक्ष्मणझूला पुल पर सुरक्षा की दृष्टि से 13 जुलाई 2019 को आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया था। इस पुल के समीप बजरंग सेतु का निर्माण कार्य शुरू हुआ।
लोक निर्माण विभाग नरेंद्रनगर ने वर्ष 2022 में पुल का निर्माण कार्य शुरू किया था। इसे दिसंबर 2024 में पूरा करने का लक्ष्य था। 132.30 मीटर स्पान पुल को करीब 68.86 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया जा रहा है। पुल के निर्माण की रफ्तार शुरू से ही धीमी रही। बार-बार पुल निर्माण की समय सीमा बढ़ाई गई।
अप्रैल आखिरी सप्ताह में लोक निर्माण विभाग की टीम ने पुल का निरीक्षण किया था। इसके बाद 30 जून काम पूरा करने की समय सीमा रखी गई थी। अब तक पुल का काम पूरा नहीं हो पाया है। एप्रोच रोड आदि इसमें बननी है।
अब लोनिवि 15 जुलाई तक काम पूरा करने की बात कह रहा है। 11 जुलाई से कांवड़ यात्रा भी शुरू हो जाएगी। 20 जुलाई के बाद भीड़ बढ़ने का अनुमान है। लोनिवि अधिकारियों का कहना है कि पुल को पैदल कांवड़ यात्रियों के लिए खोलने के लिए प्रशासन से वार्ता होगी। पैदल आवागामन के लिए पुल बन जाएगा।
यह है पुल की खासियत
मुख्यमंत्री की घोषणा के क्रम में केंद्रीय सड़क अवसंरचना निधि के तहत बजरंग सेतु का निर्माण कार्य चल रहा है। इस झूला पुल की चौड़ाई आठ मीटर है। साल भर श्रद्धालुओं, पर्यटकों के आवागमन को ध्यान में रखते हुए सेतु का डिजाइन किया गया है। इसमें केदारनाथ मंदिर की आकृति।
पैदल यात्रियों के लिए ग्लास डेक का प्राविधान किया गया है। पुल के बीच में हल्के चौपहिया वाहनों का आवागमन प्रस्तावित है। श्रद्धालुओं, पर्यटकों के साथ ही स्थानीय लोगों, कारोबारियों के लिए भी पुल महत्वपूर्ण है।
कांवड़ यात्रा के लिए भी जरूरी है पुल
- लक्ष्मणझूला पुल बंद होने से स्थानीय लोगों और पर्यटकों को रामझूला पुल और जानकी सेतु से आवाजाही करनी पड़ रही है।
- वर्ष 2023 में टिहरी प्रशासन ने रामझूला पुल पर भी दोपहिया वाहनों की आवाजाही बंद कर दी।
- पुल पर केवल पैदल यात्री ही आवागमन कर रहे हैं। जुलाई से कांवड़ यात्रा शुरू होनी है।
- कांवड़ यात्रा में उमड़ने वाली भीड़ जानकी सेतु से गुजरेगी। इससे स्थानीय लोगों और व्यापारियों की परेशानी बढ़ेगी।
- जानकी सेतु पर दोपहिया वाहनों के संचालन की अनुमति है।
- बजरंग सेतु बनने से तपोवन से स्थानीय लोगों, श्रद्धालुओं और पर्यटकों को सीधे लक्ष्मणझूला जाने की सुविधा मिलती।
- अभी उन्हें रामझूला पुल और जानकी सेतु आना पड़ता है।
- नीलकंठ मार्ग जाने वाले लोग ब्रह्मपुरी से गरुड़चट्टी पुल से होकर जाते हैं।
बजरंग सेतु पर काम तेजी से हो रहा है। एप्रोच रोड बननी है। 15 जुलाई तक काम पूरा करने को कहा गया है। पुल को कांवड़ यात्रियों के लिए खोला जाएगा या नहीं यह अभी तय नहीं हुआ है। इसके लिए प्रशासन से वार्ता के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा। - विजय मोघा, अधिशासी अभियंता, लोनिवि, नरेंद्रनगर
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