Uttarakhand Disaster: मु्श्किल घड़ी में बेली ब्रिज ने बढ़ाया हाथ और चल पड़ी जिंदगी, आपदा में बना संकटमोचक
उत्तराखंड में आपदा के समय बेली ब्रिज एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। राज्य में 38 पुल टूटने से कई गाँव अलग-थलग पड़ गए हैं लेकिन लोनिवि और बीआरओ ने बेली ब्रिज लगाकर कनेक्टिविटी को बहाल किया है। ये पुल बच्चों को स्कूल जाने मरीजों को अस्पताल पहुँचने और किसानों को अपनी फसलें बाजार तक पहुंचाने में मदद कर रहे हैं।

अश्वनी त्रिपाठी, जागरण देहरादून। उत्तराखंड में आपदा ने जब-जब पहाड़ों की राहें रोकीं, जलप्रलय में पुल बहे और गांव-शहर का संपर्क कटा, तब-तब बेली ब्रिज उम्मीद बनकर आए गए। लोहे के इन अस्थायी पुलों ने न सिर्फ टूटी पगडंडियों को जोड़ा, बल्कि इंसानी जिंदगियों को आगे बढ़ने का हौसला भी दिया। इस समय राज्य में आई आपदा में 38 पुल टूट चुके हैं। सैकड़ों गांव सड़कों से कट गए।
कनेक्टिविटी स्थापित करना राहत बचाव दलों की सबसे बड़ी चुनौती है, ऐसे में लोनिवि व बीआरओ ने जगह-जगह बैली ब्रिज लगाकर आवाजाही को बहाल किया है। इन पुलों ने बच्चों को फिर स्कूल पहुंचने का रास्ता दिया, तो गर्भवती महिलाओं व मरीजों को अस्पताल जाने का सहारा। सीमांत गांवों में किसानों की सब्जियां व फसलें बेली पुल लगने से फिर बाज़ार पहुंचने लगी हैं। द्वितीय विश्व युद्ध में जंग जीतने को बने बेली ब्रिज आपदा से बिखर चुके उत्तराखंड को संभालने का सबसे बड़ा जरिया बने हुए हैं।
लोनिवि के पास कुल 31 बेली ब्रिज
लोनिवि. के विभागाध्यक्ष राजेश शर्मा के मुताबिक लोक निर्माण विभाग के पास कुल 31 बेली ब्रिज हैं, उत्तरकाशी में सबसे अधिक 9 ब्रिज उपलब्ध हैं। कुल उपलब्ध बेली ब्रिज में सबसे अधिक दस ब्रिज 24 मीटर साइज के हैं। अभी 20 नए बेली ब्रिज लेने की तैयारी चल रही है।
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हर आपदा में सहारा
- लिमचीगाड-धराली, उत्तरकाशी- बादल फटने के बाद बेली ब्रिज बनाकर संपर्क बहाल।
- गंगनानी-गंगोत्री मार्ग के पास मार्ग बाधित होने पर बेली ब्रिज बनाया गया।
- मसूरी देहरादून मार्ग पर बेली ब्रिज लगाकर वाहनों की आवाजाही शुरू।
- काठगोदाम-कलसिया नाला नैनीताल में बेली ब्रिज से यातायात संचालित।
- कलगड़ी-पौड़ी-बुआखाल-धुमाकोट-रामनगर मार्ग पर पाबौ के पास बेली ब्रिज से आवाजाही।
24 से 48 घंटे में तैयार करते बेली ब्रिज
बेली ब्रिज स्टील पैनल, चक्केदार रोलर, बीम और स्टील पट्टियों से बना होता है। पैनलों को जोड़कर स्ट्रक्चर तैयार किया जाता है। स्टील फ्रेम के ऊपर लकड़ी या स्टील प्लेट्स लगाई जाती हैं। यह पुल प्रशिक्षित टीम 24–48 घंटे में खड़ा कर देती है।
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1940 में पहली बार प्रयोग
बेली ब्रिज का अविष्कार ब्रिटिश इंजीनियर सर डोनाल्ड बैली ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान (1940 के दशक) किया था। युद्धकाल में सैनिकों और भारी वाहनों को तेज़ी से नदियों, नालों या खाइयों के पार पहुंचाने के लिए इसका प्रयोग किया गया था।
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