उत्तराखंड में दिल के मरीजों के लिए वरदान बनी आयुष्मान योजना, पढ़िए पूरी खबर
आयुष्मान योजना दिल के मरीजों के लिए वरदान साबित हो रही है। उत्तराखंड में आयुष्मान योजना के अंतर्गत अब तक 8700 से अधिक दिल के मरीजों का फ्री में उपचार किया जा चुका है। इस पर सरकार ने 87 करोड़ से अधिक की धनराशि खर्च की है।

जागरण संवाददाता, देहरादून। आयुष्मान योजना मरीजों के लिए प्राणदायी साबित हो रही है। योजना से कई व्यक्तियों को जिंदगी मिल रही है। कई गंभीर रोगों से निजात पाकर मरीज फिर से स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। बात दिल के मामलों यानी हृदय रोग की करें तो आयुष्मान योजना के अंतर्गत अब तक 8700 से अधिक व्यक्तियों का निश्शुल्क उपचार किया जा चुका है। जिसमें सरकार ने 87 करोड़ से अधिक की धनराशि खर्च की है। दरअसल, उत्तराखंड में कुछ सालों से हृदय रोगियों की संख्या में पहले की अपेक्षा अधिक तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। दिल की बीमारियों को पहले से ही बड़े खर्चे वाली बीमारी माना जाता है।
ऐसे में आर्थिक तंगहाली के चलते अधिकांश लोग के सामने हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों की अनदेखी करने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं रहता। सामान्य आय वर्ग के लोग भी अपना उपचार कराने में ज्यादातर मौकों पर असमर्थ हो जाते थे। जिसका नतीजा बाद में बहुत घातक या जानलेवा ही साबित होता था। लेकिन आयुष्मान योजना ने आमजन को बड़ी राहत दी है। इससे हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों के बड़े खर्चे से भी मरीजों को निजात मिल गई है।
अब सुखद ये है कि मरीज मामूली लक्षण महसूस होने पर भी बेझिझक अस्पताल में जांच करवा रहे हैं। समय रहते उनका उपचार भी किया जा रहा है। देहरादून की शहानाबानो, टिहरी के अंशू व सचेंद्र प्रसाद, नैनीताल के उमेश सिंह, पौड़ी के अंकित कुमार, चमोली के मोहन सिंह और अल्मोड़ा की हेमा को आयुष्मान योजना की बदौलत नई जिंदगी मिली है।
खास बात ये कि उपचार में किसी भी मरीज का एक नया पैसा तक भी खर्च नहीं हुआ। इसके अलावा प्रदेश में हजारों की तादाद में दिल की बीमारियों से जूझ रहे लोगों का अब तक मुफ्त में उपचार हुआ है। इस उपचार में सामान्य जांच से लेकर गंभीर शल्य चिकित्सा और प्रत्यारोपण जैसी गंभीर मसले भी शामिल हैं। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के अध्यक्ष डीके कोटिया के अनुसार आयुष्मान योजना का मुख्य उद्देश्य भी बीमार जनों को हर हाल में रोगों से मुक्ति दिलाना है।
बात जब आम जन के जीवन बचाने की हो तो इन परिस्थितियों में खर्च हो रही धनराशि मायने नहीं रखती। मरीज बीमारी से मुक्त होकर जीवन जी रहे हैं। यही आयुष्मान योजना का उद्देश्य है और सफलता का पैमाना भी।
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