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Tungnath Temple: एक हजार साल पुराने तुंगनाथ मंदिर का संरक्षण करेगा एएसआइ

Tungnath Temple तुंगनाथ मंदिर को एएसआइ विभाग अपने संरक्षण में लेने की तैयारी कर रहा है। इसकी स्वीकृति मिलने के साथ ही मंदिर को राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा मिल जाएगा। मंदिर में उभरी दरारों को भरने के लिए भी एएसआइ का देहरादून स्थित क्षेत्रीय कार्यालय प्रस्ताव तैयार कर रहा है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 06 Nov 2020 09:29 AM (IST)Updated: Fri, 06 Nov 2020 09:29 AM (IST)
Tungnath Temple: एक हजार साल पुराने तुंगनाथ मंदिर का संरक्षण करेगा एएसआइ
करीब एक हजार साल पुराने तुंगनाथ मंदिर को एएसआइ विभाग अपने संरक्षण में लेने की तैयारी कर रहा है।

देहरादून, जेएनएन। Tungnath Temple करीब एक हजार साल पुराने तुंगनाथ मंदिर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) विभाग अपने संरक्षण में लेने की तैयारी कर रहा है। इसकी स्वीकृति मिलने के साथ ही मंदिर को राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा मिल जाएगा। वहीं, मंदिर की दीवारों पर उभरी दरारों को भरने के लिए भी एएसआइ का देहरादून स्थित क्षेत्रीय कार्यालय प्रस्ताव तैयार कर रहा है। इसके तहत साइट प्लान तैयार करने को एएसआइ की टीम शुक्रवार को तुंगनाथ रवाना होगी। टीम में एक पुरातत्वविद्, सर्वेयर व इंजीनियर शामिल हैं।

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एएसआइ के क्षेत्रीय कार्यालय के अधीक्षण पुरातत्वविद् डॉ. आरके पटेल के मुताबिक, मंदिर के मंडप की स्थिति खस्ताहाल है। यहां दरारों के साथ ही पत्थर भी अपनी जगह से हिल गए हैं। खासकर मंडप की नींव वक्त के साथ कमजोर पड़ गई है। पटेल के मुताबिक, एक माह के भीतर प्रस्ताव तैयार कर केंद्र सरकार को भेज दिया जाएगा। उम्मीद है कि अगले साल अप्रैल तक संरक्षण का कार्य शुरू कर दिया जाएगा।

वर्ष 2018 में एएसआइ ने किया था निरीक्षण

तुंगनाथ मंदिर को राष्ट्रीय धरोहर की सूची में शामिल करने के लिए राज्य सरकार लंबे समय से प्रयास कर रही है। ताकि राज्य धरोहर के बाद तुंगनाथ मंदिर को राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिल सके। वर्ष 2018 में राज्य सरकार ने एएसआइ को इस संबंध में प्रस्ताव भेजा था। यहां से प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया और केंद्र सरकार (संस्कृति मंत्रालय) के निर्देश पर अधीक्षण पुरातत्वविद् डॉ. पटेल ने वर्ष 2018 में ही मंदिर का निरीक्षण किया। उन्होंने मंदिर की स्थिति में सुधार की जरूरत बताई थी। 

पत्थरों की ड्राइंग होगी तैयार

प्रस्ताव तैयार करने के ही क्रम में एएसआइ की टीम को जल्द तुंगनाथ रवाना किया जाएगा। टीम करीब 10 दिन वहीं रहकर मंदिर का बारीकी से निरीक्षण करेगी। वहां के हर एक पत्थर की ड्राइंग तैयार की जाएगी, ताकि बाद में उन पत्थरों को मूल रूप में ही स्थापित किया जा सके। निर्माण में नए पत्थर का प्रयोग नहीं किया जाएगा।

पंच केदार में से एक है तुंगनाथ

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में समुद्रतल से 3460 मीटर की ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ मंदिर पंच केदार में से एक है। इसे तृतीय केदार माना गया है। पौराणिक मान्यता है कि पांडवों ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इस मंदिर का निर्माण किया था।  

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