Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उत्‍तराखंड में 105 साल से स्‍टोर रूम में ‘कैद’ भगवान, लोगों को 65 से अधिक मूर्तियों व शिवलिंग के दर्शन का इंतजार

    Lakhamandal Chakrata उत्तराखंड के देहरादून जिले में स्थित लाखामंडल चकराता के एएसआई भंडारगृह में 105 सालों से 65 से अधिक देवी-देवताओं की मूर्तियां और शिवलिंग कैद हैं। पांचवीं से 12वीं सदी की बताई जाने वाली इन दुर्लभ मूर्तियों को देखने की किसी को अनुमति नहीं है। स्थानीय लोग वर्षों से इन मूर्तियों को सार्वजनिक किए जाने की मांग कर रहे हैं।

    By chandram rajguru Edited By: Nirmala Bohra Updated: Wed, 08 Jan 2025 06:04 PM (IST)
    Hero Image
    Lakhamandal Chakrata: मूर्तियां व शिवलिंग एएसआइ के लाखामंडल व हनोल स्थित भंडारगृह में ‘कैद’. Jagran

    चंदराम राजगुरु, जागरण त्यूणी (देहरादून): Lakhamandal Chakrata: उत्तराखंड के देहरादून जिले में स्थित जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हनोल व लाखामंडल में खोदाई के दौरान मिली देवी-देवताओं की 65 से अधिक मूर्तियां व शिवलिंग 105 साल से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के लाखामंडल व हनोल स्थित भंडारगृह में ‘कैद’ हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जबकि, पांचवीं से 12वीं सदी के बीच की बताई जा रही इन मूर्तियों को रखने के लिए एएसआई ने डेढ़ वर्ष पूर्व लाखामंडल में जो इंटरप्रिटेशन सेंटर बनाया था, वह वीरान पड़ा है। हैरत देखिए कि इन दुर्लभ मूर्तियों को देखने की किसी को अनुमति भी नहीं है। जबकि, स्थानीय लोग वर्षों से इन्हें सार्वजनिक किए जाने की मांग कर रहे हैं।

    ट्रैकरों के लिए उत्‍तराखंड में खास सौगात, केदारकांठा के बर्फ से ढके पहाड़ और बांसुरी वाले बाबा देते हैं अनूठा एहसास

    पांडवकालीन लाखामंडल शिव मंदिर

    प्रदेश के 13 चयनित टूरिस्ट डेस्टिनेशन में शामिल पांडवकालीन लाखामंडल शिव मंदिर में पर्यटन विकास की योजना के परवान चढ़ने का लोगों को बेसब्री से इंतजार है। वहीं, हनोल के प्रसिद्ध महासू देवता मंदिर में मास्टर प्लान के तहत तीर्थाटन विकास योजना को धरातल पर उतारने की तैयारी चल रही है। क्षेत्र के इन दो प्रमुख पर्यटन स्थलों में मंदिर के संरक्षण का जिम्मा एएसआइ देहरादून परिमंडल के पास है।

    एएसआइ ने वर्ष 1920 में महासू देवता मंदिर हनोल और शिव मंदिर लाखामंडल को अपने संरक्षण में लिया था। तब एएसआइ को हनोल मंदिर परिसर की खोदाई में देवी-देवताओं की करीब 30 मूर्तियां व प्राचीन अवशेष मिले थे।

    इसी तरह लाखामंडल की खोदाई में भी एएसआइ को देवी-देवताओं की 35 से अधिक मूर्तियां, कई शिवलिंग व प्राचीन अवशेष मिले। इनमें भगवान शिव, शक्ति, पार्वती, गणेश, विष्णु, लक्ष्मी, कुबेर, सूर्य, दुर्गा व महिषासुर मर्दिनी की मूर्तियां, पंचमुखी शिवलिंग व ऐतिहासिक महत्व के अवशेष प्रमुख हैं, जिन्हें एएसआइ ने भंडारगृहों में रखा हुआ है।

    कब से शुरू होंगी उत्तराखंड बोर्ड की परीक्षाएं? आ गई डेट, Students के पास है केवल डेढ़ महीने का टाइम

    एएसआइ मुख्यालय में रखी हैं आठ मूर्तियां

    शिव मंदिर समिति लाखामंडल के अध्यक्ष सुशील गौड़, कोषाध्यक्ष बाबूराम शर्मा, महासू देवता मंदिर प्रबंधन समिति के सचिव मोहनलाल सेमवाल, वरिष्ठ सदस्य राजाराम शर्मा, जितेंद्र चौहान, प्रह्लाद जोशी, दलीप तोमर, हरीश राजगुरु आदि का कहना है कि हनोल व लाखामंडल स्थित भंडारगृहों में रखी मूर्तियों और ऐतिहासिक महत्च के अवशेषों को श्रद्धालुओं के साथ आमजन, पर्यटक व शोधार्थियों के लिए खोला जाना चाहिए।

    उन्होंने बताया कि पूर्व में लाखामंडल स्थित भंडारगृह से आठ मूर्तियां चोरी चली गई थीं, जिन्हें पुलिस की मदद से बरामद कर देहरादून स्थित एएसआइ मुख्यालय में रखा गया है। इन मूर्तियों को भी वापस लाखामंडल लाया जाना चाहिए।

    लाखामंडल में एएसआइ के नवनिर्मित इंटरप्रिटेशन सेंटर में डिस्प्ले का कार्य चल रहा है। एक-डेढ़ माह में सभी मूर्तियां व प्राचीन अवशेष भंडारगृह से लाकर इंटरप्रिटेशन सेंटर में सजा दिए जाएंगे। सेंटर को पर्यटक व आमजन के लिए खोलने की तैयारी चल रही है। इसी तरह हनोल स्थित भंडारगृह को इंटरप्रिटेशन सेंटर के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव भी दिल्ली मुख्यालय भेजा गया है। - डा. मनोज सक्सेना, अधीक्षण पुरातत्वविद, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, देहरादून परिमंडल