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उत्तराखंड में विकसित होंगी चार घाटियां, ये होगी इनकी खासियत

सुगंध देने वाले पौधे की अपार संभावनाओं को देखते हुए सरकार ने इसे बढ़ावा देकर संसाधन के रूप में उपयोग में लाने की ठानी है।

By Edited By: Published: Wed, 30 Jan 2019 03:00 AM (IST)Updated: Thu, 31 Jan 2019 08:12 AM (IST)
उत्तराखंड में विकसित होंगी चार घाटियां, ये होगी इनकी खासियत

देहरादून, केदार दत्त। उत्तराखंड में सगंध खेती (सुगंध देने वाले पौधे) की अपार संभावनाओं को देखते हुए सरकार ने इसे बढ़ावा देकर संसाधन के रूप में उपयोग में लाने की ठानी है। इस कड़ी में राज्य के चार जिलों पौड़ी, अल्मोड़ा, नैनीताल और हरिद्वार में एक-एक 'एरोमा वैली' विकसित करने का निश्चय किया गया है। 

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केंद्र से राज्य को मिले इंटीग्रेटेड को-ऑपरेटिव डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (आइसीडीपी) में इसे एक पार्ट के रूप में रखा गया है। इसका मसौदा तैयार कर लिया गया है। प्रत्येक वैली में पांच -पांच सौ हेक्टेयर क्षेत्र शामिल होगा। सगंध पौधों की नर्सरी से लेकर सगंध तेलों के उत्पादन के साथ ही बाइ-बैक की सुविधा भी वहां मिलेगी। 

इस पहल के परवान चढ़ने से जहां किसानों को सगंध उत्पादों के अच्छे दाम मिलेंगे, वहीं बंजर भूमि को आबाद करने में मदद मिलेगी। राज्य में कृषि के सामने उत्पन्न चुनौतियों से निबटने की दिशा में सगंध खेती एक बड़ी उम्मीद बनकर उभरी है। सगंध पौधा केंद्र, देहरादून द्वारा शुरू की गई इस पहल से अब तक प्रदेशभर में 109 क्लस्टरों में 18 हजार से ज्यादा किसान सगंध खेती से जुड़े हैं। 

कहीं लैमनग्रास की खेती हो रही तो कहीं डेमस्क रोज, कैमोमिल, गेंदा, तेजपात, मिंट समेत अन्य फसलों की। इनसे मिलने वाले तेल से अच्छी खासी आमदनी भी हो रही है। सगंध खेती का सालाना टर्न ओवर 70 करोड़ तक पहुंच गया है। इस सबके मद्देनजर मौजूदा सरकार ने सगंध खेती को बढ़ावा देने के साथ ही इसे बड़े संसाधन के रूप में उपयोग में लाने की ठानी है। 

केंद्र से राज्य को मिली आइसीडीपी की सौगात में सगंध खेती को भी एक पार्ट बनाया गया है। इसके लिए 137 करोड़ की राशि रखी गई है, जिससे चार जिलों में चार एरोमा वैली विकसित की जाएंगी। सूत्रों के मुताबिक एरोमा वैली के लिए मसौदा लगभग तैयार कर लिया गया है। प्रत्येक वैली में पांच-पांच सौ हेक्टेयर का क्लस्टर होगा। पौड़ी में लैमनग्रास, अल्मोड़ा में डेमस्क रोज, नैनीताल में तेजपात और हरिद्वार में मिंट वैली विकसित होगी। हर वैली में सगंध पौधों की नर्सरी की स्थापना कर वहीं से किसानों को सगंध पौधे दिए जाएंगे। साथ ही वहां प्रोसेसिंग यूनिटें लगेंगी, ताकि हर वैली में सगंध तेलों का उत्पादन होने के साथ ही इनमें वेल्यू एडीशन भी किया जा सके। प्रत्येक वैली का मॉडल सहकारिता पर आधारित होगा। उधर, संपर्क करने पर सगंध पौधा केंद्र के निदेशक डॉ. नृपेंद्र चौहान ने बताया कि एरोमा वैली के लिए मसौदा तैयार हो रहा है। 

कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि सगंध खेती के जरिए किसानों की आर्थिकी संवारने के उद्देश्य से ही 'एरोमा वैली' के कॉन्सेप्ट को लाया गया है। पहले चरण में चार जिलों में चार वैली विकसित होंगी और फिर इसे आगे बढ़ाया जाएगा। इस पहल से किसानों की आय दोगुना करने में तो मदद मिलेगी ही, बंजर खेतों में भी हरियाली लौटेगी।

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