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परिवहन विभाग ने उठाया बड़ा कदम, कैफे की लूट बंद; तीस रुपये में करें आवेदन

वाहन का ऑनलाइन पंजीकरण फिटनेस आदि में अब महज तीस रुपये शुल्क देकर आवेदक सीएससी से आवेदक कर इस सेवा का लाभ ले सकता है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 21 May 2019 01:09 PM (IST)Updated: Tue, 21 May 2019 08:34 PM (IST)
परिवहन विभाग ने उठाया बड़ा कदम, कैफे की लूट बंद; तीस रुपये में करें आवेदन
परिवहन विभाग ने उठाया बड़ा कदम, कैफे की लूट बंद; तीस रुपये में करें आवेदन

देहरादून, जेएनएन। वाहन का ऑनलाइन पंजीकरण, फिटनेस आदि में साइबर कैफों की 'लूट' रोकने को परिवहन विभाग ने बड़ा कदम उठाया है। अब महज तीस रुपये शुल्क देकर आवेदक सीएससी (कॉमन सर्विस सेंटर) से आवेदक कर इस सेवा का लाभ ले सकता है। बीते दो साल से परिवहन विभाग ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया को जिलों में संचालित सीएससी से जोड़ने की तैयारी कर रहा था। इस प्रस्ताव को सचिव परिवहन ने मंजूरी दे दी है। अब परिवहन विभाग से जुड़े किसी भी कार्य के लिए सीएससी के तहत तीस रुपये शुल्क में अनुबंध हो गया है। विभाग यह भी प्रयास कर रहा है कि परिवहन दफ्तरों में सीएससी का एक केंद्र खोला जा सके। 

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मौजूदा समय में ज्यादातर आवेदकों को सायबर कैफे से ऑनलाइन आवेदन करना पड़ता था। प्रदेश में आरटीओ-एआरटीओ दफ्तरों के बाहर कुकुरमुत्तों की तरह सायबर कैफे खुले हुए हैं और यहां मनमानी रकम लेकर आवेदकों को लूटा जा रहा था। कैफे संचालक एक काम के लिए दो सौ से तीन सौ रुपये शुल्क वसूल रहे थे। लगातार इस तरह की शिकायतें मिलने के बाद विभाग ने सीएससी से अपने सॉफ्टवेयर को जोड़ने के प्रयास शुरू किए।

बता दें कि, साल 2015 में ट्रांसपोर्ट पॉयलेट प्रोजेक्ट के तहत राज्य में परिवहन विभाग ने देहरादून के आरटीओ कार्यालय में ड्राइविंग लाइसेंस, फिटनेस एवं टैक्स आदि कार्य में ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू की थी। दिसंबर-16 में वाहन पंजीकरण प्रक्रिया भी ऑनलाइन सुविधा से जोड़ दिया गया। वर्तमान में प्रदेश के सभी बीस कार्यालयों में ड्राइविंग लाइसेंस बनाने एवं टैक्स जमा करने की प्रक्रिया ऑनलाइन है। इसमें दिक्कत यह आ रही कि ज्यादातर आवेदक को आवेदन करने के लिए साइबर कैफे की मदद लेनी पड़ रही है। वहीं फार्म भरा जाता है एवं फीस जमा होती है।

इसके लिए कैफे संचालक मनमानी रकम वसूलते हैं। लर्निंग और परमानेंट लाइसेंस बनाने के लिए दो-दो बार कैफे संचालकों की 'लूट' का शिकार होना पड़ता है। स्थिति ये है कि कैफे संचालक डीएल आवेदन के 300 से 500 रुपये तक जबकि टैक्स आदि के लिए 200 से 300 रुपये तक अवैध वसूली कर रहे थे। यह शिकायत परिवहन आयुक्त तक भी पहुंची थी। परिवहन आयुक्त ने परिवहन मुख्यालय में अधिकारियों की बैठक लेकर कैफे संचालकों की 'लूट' पर अंकुश लगाने के आदेश दिए थे। 

अभी यह सुविधा मिलेगी 

वाहन ट्रांसफर, डुप्लीकेट आरसी, आरसी में पता बदलना, लोन चढ़ाना, लोन उतारना, लोन जारी रखना, एनओसी लेना, फिटनेस आवेदन, डुप्लीकेट फिटनेस आवेदन, वाहन का पंजीकरण नवीनीकरण, वाहन के प्रकार में बदलाव, भार वाहनों के लिए नए परमिट आवेदन।  

ड्राइविंग लाइसेंस के लिए इंतजार

सीएससी में वाहन के टैक्स से जुड़े सभी आवेदन हो सकेंगे, मगर ड्राइविंग लाइसेंस आवेदन के लिए अभी इंतजार करना होगा। दरअसल, परिवहन विभाग ने पहले चरण में वाहन-4 सॉफ्टवेयर को ही सीएससी से जोड़ा है। लाइसेंस के सारथी सॉफ्टवेयर में लोड ज्यादा होने से इसमें तकनीकी दिक्कत आ रही है। एनआइसी इस दिक्कत को दूर करने में लगा हुआ है। परिवहन अफसरों ने बताया कि अगले माह तक डीएल सुविधा को भी सीएससी से जोड़ दिया जाएगा। 

6400 सीएससी से अनुबंध

परिवहन विभाग ने प्रदेशभर के 6400 सीएससी से पहले चरण में अनुबंध किया है। इन सभी में वाहन-4 सॉफ्टवेयर लोड कर दिया गया है। चेतावनी दी गई है कि अगर किसी ने अवैध वसूली की तो उसका अनुबंध निरस्त कर दिया जाएगा। 

अरविंद पांडे (एआरटीओ प्रशासन) का कहना है कि शिकायतें मिल रही थी कि सायबर कैफे के संचालक ऑनलाइन टैक्स जमा करने के बदले मोटी रकम आवेदक से वसूल रहे हैं। अवैध वसूली रोकने के लिए विभाग पिछले कुछ समय से सीएससी से अनुबंध में लगा हुआ था। परिवहन सचिव से इसकी मंजूरी मिल गई है। अब एक कार्य के लिए महज 30 रुपये निर्धारित शुल्क देना होगा। वाहन से जुड़े कार्य का आवेदन सीएससी से जोड़ दिया गया है जबकि लाइसेंस के लिए अभी थोड़ा वक्त लगेगा।

ऑनलाइन मिलेंगे वाहनों के प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र

प्रदेश में अब वाहनों के प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र ऑनलाइन दिए जाएंगे। इसके लिए प्रदूषण नियंत्रण केंद्रों को वाहन सॉफ्टवेयर से जोड़ने की तैयारी चल रही है। इससे प्रदूषण नियंत्रण केंद्रों पर बनने वाले प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्रों की सटीक जानकारी मिल सकेगी। इसके लिए नियमों में बदलाव की भी तैयारी चल रही है। वाहनों की बढ़ती संख्या के साथ ही वायु प्रदूषण की समस्या भी बढ़ने लगी है। वहीं, वाहनों के प्रदूषण को जांचने के लिए बनाए गए प्रदूषण नियंत्रण केंद्रों के जरिये दिए जा रहे प्रमाण पत्रों पर सवाल उठते रहे हैं। दरअसल, पूर्व में इस प्रकार के मामले सामने आ चुके हैं कि ये केंद्र बिना जांच के ही प्रमाणपत्र दे देते हैं। 

कई बार एक ही प्रदूषण नियंत्रण केंद्र एक दिन में सौ से अधिक प्रमाणपत्र भी जारी कर देते हैं। सवाल यह उठे कि 10 घंटे में कोई केंद्र इतने प्रमाणपत्र कैसे जारी कर सकता है। इसके अलावा जांच में कई बार मशीन खराब होने के बावजूद प्रमाणपत्र जारी करने के मामलों के खुलासे हुए हैं। इन शिकायतों को देखते हुए अब इन पर नकेल कसने की तैयारी चल रही है। इसके लिए अब सभी प्रदूषण नियंत्रण केंद्रों को वाहन सॉफ्टवेयर से जोड़ने की तैयारी चल रही है। 

इससे आवेदक के वाहन की प्रदूषण के बाद ऑनलाइन ही प्रमाणपत्र मिल सकेगा। इससे एक फायदा यह भी होगा कि किसी मशीन के खराब होने की सूरत में ऑनलाइन प्रमाणपत्र नहीं निकल पाएंगे। इससे प्रमाणपत्र जारी करने के कार्य में पारदर्शिता की भी उम्मीद जताई जा रही है। इतना ही नहीं ऑनलाइन प्रमाणपत्र जारी करने से वाहनों के संबंध में पूरी जानकारी ऑनलाइन रहेगी। इससे समय-समय पर ग्राहकों को प्रमाणपत्र की अवधि समाप्त होने के विषय में भी जानकारी मिल सकेगी।

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