बॉलीवुड की मशहूर गायिका अनुराधा पौडवाल के गीत और भजनों पर झूमे साधक
अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव का समापन मशहूर गायिका अनुराधा पौडवाल की गीत संध्या के साथ संपन्न हो गया। पौडवाल के गीत व भजनों ने साधकों को झूमने को मजबूर कर दिया।
ऋषिकेश, जेएनएन। गढ़वाल मंडल विकास निगम व उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद की ओर से आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव का समापन बॉलीवुड की मशहूर गायिका अनुराधा पौडवाल की गीत संध्या के साथ संपन्न हो गया। पौडवाल के गीत व भजनों ने साधकों को झूमने को मजबूर कर दिया।
मुनिकीरेती गंगा रिजॉर्ट के समीप योग घाट पर शनिवार को आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत बॉलीवुड गायिका अनुराधा पौडवाल ने गायत्री मंत्र व गणेश वंदना के साथ की। जिसके बाद उन्होंने मन मेरा मंदिर, शिव मेरी पूजा... भजन को अपना स्वर दिया। पहले ही बोल पर पंडाल तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा। उन्होंने ङ्क्षजदगी के लिए, बस एक सनम चाहिए..., लाल दुपट्टा मलमल का..., क्या करते थे साजना तुम हमसे दूर रह के... सहित कई गीतों व भजनों की प्रस्तुति दी। इससे पूर्व कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि भारत की धरती पर उपजा योग आज पूरे विश्व को आरोग्य का संदेश दे रहा है।
उन्होंने प्राचीन ऋषि-मुनियों के साथ आयुर्वेद को विश्व फलक पर पहुंचाने वाले योगाचार्य के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव और भी विस्तृत रूप से आयोजित किया जाएगा। इस अवसर पर गढ़वाल मंडल विकास निगम की प्रबंध निदेशक ईवा आशीष श्रीवास्तव ने इस आयोजन के लिए सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम के समापन अवसर पर अंतराराष्ट्रीय योग महोत्सव- 2021 का लोगो भी लांच किया गया।
कार्यक्रम में गढ़वाल मंडल विकास निगम के उपाध्यक्ष कृष्ण कुमार सिंघल, मेसिडोनिया के राजदूत जोन जोश कॉर्टर, नगर पालिका मुनिकीरेती के अध्यक्ष रोशन रतूड़ी, महाप्रबंधक पर्यटन जितेंद्र कुमार, महाप्रबंधक प्रशासन अवधेश कुमार, उषा माता आदि उपस्थित थे।
भारतीय जीवन शैली में प्राचीन काल से समाहित है योग
अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के समापन अवसर पर पतंजलि योगपीठ के महासचिव आचार्य बालकृष्ण ने योग साधकों का मार्गदर्शन किया। उन्होंने कहा कि योग भारतीय जीवन पद्धति है, भारतीय जीवन शैली में योग प्राचीनकाल से समाहित है। हमारे व्यवहारिक जीवन में भी पुराने समय से बोल-चाल की भाषा में भी योग का महत्व परिलक्षित होता है। उन्होंने के कहा कि भगवान शिव के ध्यान से योग की उत्पति हुई है और महर्षि पतंजलि ने योग को आम जन के लिए सुग्राह्य बनाया। उन्होंने कहा कि जो यम (सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह यम कहलाते हैं) का पालन नहीं करते वो स्वयं की हानि तो करते ही हैं, समाज को भी नुकसान पहुंचाते हैं। यम, नियम, आसन, प्राणायाम का पालन करने से व्यक्ति शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ्य रह सकता है। उन्होंने संयम को जीवन का मूल मंत्र बताते हुए कहा कि संयम सबसे बड़ा रसायन है और सदाचार से बढ़कर सुख देने वाला और कोई मन्त्र नहीं है।
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