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    Ankita Bhandari Murder Case: नहीं मिवा VIP का कनेक्शन, पता लगाने के लिए SIT 5000 लोगों तक पहुंची

    Updated: Mon, 02 Jun 2025 05:45 PM (IST)

    अंकिता भंडारी हत्याकांड (Ankita Bhandari Murder Case) की जांच में एसआईटी को कोई वीआईपी कनेक्शन नहीं मिला है। 5000 लोगों से पूछताछ और सैकड़ों सीसीटीवी फुटेज की जांच के बाद भी रिसॉर्ट में किसी वीआईपी के आने का कोई प्रमाण नहीं मिला। अंकिता की हत्या के बाद वीआईपी सेवा के दबाव का आरोप लगा था लेकिन जांच में यह साबित नहीं हो पाया।

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    Ankita Bhandari Murder Case: वीआइपी का पता लगाने को एसआइटी 5000 लोगों तक पहुंची

    जागरण संवाददाता, देहरादून। प्रदेश के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में कथित वीआइपी का पता लगाने के लिए एसआइटी लगभग 5000 लोगों तक पहुंची। इसके अलावा 500 से अधिक सीसीटीवी कैमरों की फुटेज चेक की गई, लेकिन जांच में वनंतरा रिसार्ट में कोई वीआइपी कनेक्शन सामने नहीं आया। एसआइटी को इस बात का प्रमाण भी नहीं मिला कि वनंतरा रिसार्ट में कोई वीआइपी आने वाला था।

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    पौड़ी जनपद के यमकेश्वर विकासखंड में गंगा भोगपुर तल्ला स्थित वनंतरा रिसार्ट में रिसेप्शनिस्ट डोभ-श्रीकोट गांव निवासी अंकिता भंडारी की 18 सितंबर 2022 को रिसार्ट के मालिक पुलकित आर्य, प्रबंधक सौरभ भास्कर व सहायक प्रबंधक अंकित गुप्ता ने हत्या कर दी थी।

    तीन दिन बाद राजस्व पुलिस से नियमित पुलिस को स्थानांतरित होने के बाद जब मामला खुला तो यह चर्चा सामने आई कि अंकिता पर रिसार्ट में आने वाले किसी वीआइपी को एक्सट्रा सर्विस देने के लिए दबाव बनाया जा रहा था।

    यह भी आरोप लगा कि इसके उसे 10 हजार रुपये देने की पेशकश भी की गई। अंकिता ने जब इससे इंकार कर दिया तो पुलकित, सौरभ और अंकित ने उसे ठिकाने लगाने का षड्यंत्र रच डाला।

    मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रदेश सरकार ने 24 सितंबर 2022 को चीला नहर से अंकिता का शव बरामद होने के बाद हत्याकांड की जांच के लिए डीआइजी पी. रेणुका देवी के नेतृत्व में एसआइटी गठित की गई थी, जिसमें सीओ शेखर सुयाल (अब एसपी हरिद्वार देहात) व निरीक्षक राजेंद्र खोलिया को भी शामिल किया गया।

    एसआइटी ने घटनाक्रम के साथ रिसार्ट में वीआइपी के आने की चर्चा की भी प्रमुखता से जांच की। इसके लिए दोषियों के संपर्क में रहे मोबाइल नंबरों की डिटेल खंगाली गई। इससे लगभग 5,000 लोगों को चिह्नित कर एसआइटी ने उनसे पूछताछ की। इसके अलावा 500 से अधिक सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली।

    एसआइटी जांच में शामिल रहे एसपी हरिद्वार देहात शेखर सुयाल के अनुसार, कथित वीआइपी को लेकर विस्तृत जांच की गई, लेकिन वनंतरा रिसार्ट से किसी वीआइपी का कनेक्शन सामने नहीं आया। इस बात के प्रमाण भी नहीं मिले कि वहां कोई वीआइपी आने वाला था।

    रिसार्ट में जितनी महिलाओं ने काम किया, सबसे हुई पूछताछ

    अंकिता से पूर्व रिसार्ट में 10 महिलाएं काम कर चुकी थीं। एसआइटी ने सभी का रिकार्ड खंगाला और एक-एक करके उनसे पूछताछ की। इसमें सामने आया कि किसी ने एक महीने तो किसी ने 20 दिन में ही काम छोड़ दिया। इसके पीछे पुलकित, सौरभ और अंकित का गलत व्यवहार सामने आया।

    खराब थे सीसीटीवी कैमरे, रजिस्टर में दर्ज होता था नाम

    एसआइटी ने जब वनंतरा रिसार्ट पहुंचकर जांच की तो पता चला कि वहां लगे सीसीटीवी कैमरे खराब हैं। रिसार्ट में आने वाले मेहमानों का नाम केवल रजिस्टर में दर्ज होता था। स्टाफ को भी एक-दूसरे से कम ही मिलने दिया जाता था। यही कारण है कि रिसार्ट के अंदर होने वाले कारनामों का काला चिट्ठा पूरी तरह नहीं खुल पाया।

    कोलकाता के मौसम विशेषज्ञों की भी मदद ली

    अंकिता हत्याकांड के मुख्य अभियुक्त पुलकित ने बयानों में कहा कि घटना वाली घटनास्थल पर रात नौ बजे चांद की रोशनी से काफी उजाला था। पहले अंकिता ने उसका मोबाइल लेकर पानी में फेंका और फिर खुद दुर्घटनावश नहर में जा गिरी।

    पुलकित के बयान की सत्यता जांचने को एसआइटी ने कोलकाता में मौसम विभाग के विशेषज्ञों से पत्राचार किया। मौसम विशेषज्ञों ने जवाब भेजा कि जिस जगह की बात की जा रही है, उस रात वहां चांद 11 बजे निकला था। इस तरह पुलकित का एक और झूठ सामने आया।

    शरीर पर बने चकत्तों की भी करवाई जांच

    अंकिता के शव पर कई दिन तक पानी में रहने के कारण चकत्ते बन गए थे। इससे सवाल उठे कि अंकिता को सिगरेट से दागा गया था। एसआइटी ने इसकी भी जांच करवाई, जिसमें पता चला कि कुछ दिन शव पानी के अंदर रहे तो उसे मछलियां खाना शुरू कर देती हैं। इससे शरीर पर चकत्ते जैसे निशान दिखते हैं।

    विपक्ष जोर-शोर से उठा रहा वीआइपी का मुद्दा

    अंकिता हत्याकांड में दो दिन पहले तीनों दोषियों को अदालत की ओर से आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद विपक्षी दलों के नेता जोर-शोर से वीआइपी का मुद्दा उठा रहे हैं। उनका कहना है कि वह सत्ता में आए तो वीआइपी का पता लगाने के लिए एसआइटी जांच कराएंगे और वीआइपी को पाताल से भी ढूंढ निकालेंगे।

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