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दस साल से बारिश की बूंदे सहेज रहे हैं यह भूवैज्ञानिक

दून निवासी ओएनजीसी के भू वैज्ञानिक 59 वर्षीय अनिल नेगी दस वर्षों जल संचय की मुहिम चला रहे हैं।

By BhanuEdited By: Published: Thu, 05 Jul 2018 09:10 AM (IST)Updated: Wed, 11 Jul 2018 05:12 PM (IST)
दस साल से बारिश की बूंदे सहेज रहे हैं यह भूवैज्ञानिक

देहरादून, [जेएनएन]: जल ही जीवन है इसे अगर आज नहीं बचाया तो कल 'जीवन' संकट में होगा। अगर हम आज नहीं जागे तो भविष्य की पीढ़ी को इससे जूझना होगा। भविष्य में ऐसी गंभीर स्थिति न बने इसके लिए दून निवासी ओएनजीसी के भू वैज्ञानिक 59 वर्षीय अनिल नेगी दस वर्षों जल संचय की मुहिम चला रहे हैं। जल की बूंद-बूंद सहेजने के संकल्प को लेकर वह लोगों को जल बचाने और इसके संरक्षण के तरीके बता रहे हैं। 

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उन्होंने जलसंरक्षण की मुहिम अपने घर पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग से की है। उनका कहना है कि अगर उनका छोटा सा प्रयास लोगों को जल संचय के लिए जागरूक कर सका तो उनकी मुहिम सार्थक सिद्ध होगी। 

शहर में सरकारी भवनों में तो वर्षा जल संचय को लेकर रेन वाटर हार्वेस्टिंग बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन आम लोग इस ओर अभी भी जागरूक नहीं हैं। 

नेशविला रोड निवासी अनिल नेगी पिछले 10 सालों से जल संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं। उनकी जल संरक्षण की मुहिम से जुड़कर कई लोग अपने घरों में वर्षा जल संचय कर रहे हैं। अनिल बताते हैं कि वर्ष 2008 में असम से तबादला होकर वह दून आए थे। तब उन्होंने वर्षा जल संचय के लिए अपने घर पर स्टोरेज टैंक बनवाया था। 

इसी के साथ दो साल पहले दो टैंक और बनवाए। इस मुहिम में उनकी पत्नी अल्का नेगी जो विवर्ली स्कूल की प्रधानाचार्य भी हैं और उनके पुत्र अभिजय नेगी भी सहयोग करते हैं। अभिजय मैड संस्था के अध्यक्ष हैं। 

इस तरह सहेजा जाता है वर्षा-जल

अनिल के घर पर 4500 लीटर का एक अंडर ग्राउंड स्टोरेज टैंक बनाया गया है। इसके अलावा आंगन में दो हजार लीटर के दो टैंक भी हैं। जिसमें टीन शेड के पानी को पाइप के जरिए एकत्रित किया जाता है। साथ ही दो हजार वर्ग फीट की छत से वर्षा के पानी को पाइप के जरिए स्टोर किया जाता है। इस पानी का उपयोग गार्डनिंग, टॉयलेट, फर्श की सफाई आदि कार्यों के लिए किया जाता है।

आरो के वेस्ट पानी का भी करते हैं इस्तेमाल 

आरो के वेस्ट पानी को एक ड्रम में एकत्रित कर अनिल नेगी गार्डनिंग और अन्य कार्यों के लिए इस्तेमाल करते हैं। जिससे एक दिन में करीब 750 मिली पानी की बचत होती है। 

इसके अलावा उनके घर में नहाने के लिए शावर की जगह बाल्टी का प्रयोग किया जाता है। उनका कहना है कि शावर से नहाने के दौरान तीन गुना अधिक पानी खर्च होता है। 

पानी के संरक्षण को लेकर लोगों से करेंगे अपील

अनिल घर पर ही छोटी-छोटी आदतों के जरिए पानी बचाने को लेकर एक वीडियो बना रहे हैं। जिसे वह जल्द ही यूट्यूब पर जारी कर लोगों को जल का व्यर्थ इस्तेमाल न करने और इसके संरक्षण के लिए जागरूक करेंगे।

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