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नाराज निजी बस ऑपरेटरों ने सरेंडर की 250 बसें, जानिए वजह

सरकार की ओर से टैक्स में कोई छूट न मिलने से नाराज निजी बस ऑपरेटरों ने अपनी बसों को सरेंडर करना शुरू कर दिया है। सोमवार को दून के 250 ऑपरेटरों ने अपनी बसें आरटीओ में सरेंडर कीं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 30 Jun 2020 06:26 PM (IST)Updated: Tue, 30 Jun 2020 06:26 PM (IST)
नाराज निजी बस ऑपरेटरों ने सरेंडर की 250 बसें, जानिए वजह
नाराज निजी बस ऑपरेटरों ने सरेंडर की 250 बसें, जानिए वजह

देहरादून, जेएनएन। राज्य सरकार की ओर से टैक्स में कोई छूट न मिलने से नाराज निजी बस ऑपरेटरों ने अपनी बसों को सरेंडर करना शुरू कर दिया है। सोमवार को दून के 250 ऑपरेटरों ने अपनी बसें आरटीओ में सरेंडर कीं। मंगलवार को भी 50 बसें सरेंडर करने की अर्जी लगाई गई। दून स्टेज कैरियर ऑपरेटर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष रामकुमार सैनी ने बताया कि दो दिन पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को दिए ज्ञापन में दो साल तक टैक्स में छूट की मांग की गई थी, मगर इस पर शासन ने कोई निर्णय नहीं लिया।

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दूसरे राज्यों में सरकारों ने टैक्स की छूट भी तीस सितंबर तक बढ़ा दी है लेकिन उत्तराखंड में सरकार ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया है। ऐसे में अब ट्रांसपोर्टरों के पास बसों को सरेंडर करने के अलावा कोई चारा नहीं रह गया है। सोमवार को एसोसिएशन की ओर से देहरादून-विकासनगर-डाकपत्थर रूट समेत देहरादून-माजरा-धर्मावाला, सेट नंबर पांच की निजी बसों समेत प्रेमनगर-रायपुर और राजपुर-क्लेमेनटाउन रूट की सभी सिटी बसों को सरेंडर कर दिया गया। बताया गया कि मंगलवार सुबह दून-डोईवाला रूट की सभी सिटी बसें भी सरेंडर कर दी जाएंगी।

टैक्स को लेकर आ रही दिक्कत

आरटीओ अधिकारियों के अनुसार बसों को सरेंडर करने में टैक्स की दिक्कत आड़े आ रही है। सरकार ने अप्रैल, मई और जून का ही टैक्स माफ किया है। कईं ट्रांसपोर्टरों की बसें ऐसी हैं, जिनका टैक्स फरवरी और मार्च में खत्म हो चुका है। जब तब बस के मालिक टैक्स जमा नहीं करेंगे और फिटनेस आदि नहीं कराएंगे, तब तक बस सरेंडर की प्रक्रिया ऑनलाइन नहीं हो पाएगी। अगर वे टैक्स देते हैं तो उन पर भारी पेनाल्टी पड़ती है, जिसे चुकाने को ट्रांसपोर्टर राजी नहीं हैं। वह सरकार से पेनाल्टी माफ करने की मांग भी कर रहे हैं।

टैक्स में छह माह की छूट की तैयारी

ट्रांसपोर्टरों के आक्रोशित होकर बसें सरेंडर करने से सरकार की नींद टूट गई है। जिसके बाद अब प्रदेश में परिवहन व्यवसायियों को टैक्स में छह माह की छूट देने की तैयारी हो रही है। अभी केवल तीन माह के टैक्स की छूट मिली हुई है। इसकी अवधि आज यानी 30 जून में समाप्त हो रही है। अब इसे 30 सितंबर तक बढ़ाने की तैयारी है। इस संबंध में परिवहन मुख्यालय ने शासन को प्रस्ताव भी भेज दिया है। सोमवार को सचिवालय में सचिव परिवहन शैलेश बगोली के साथ परिवहन व्यवसायियों की समस्याओं और उनकी मांगों को लेकर बैठक हुई। 

बैठक में परिवहन व्यवसायियों ने दो साल का टैक्स माफ करने की मांग रखी। इस दौरान सचिव ने बताया कि छह माह तक टैक्स में छूट पर विचार चल रहा है। परिवहन व्यवसायियों ने बीमा की समय-सीमा भी एक वर्ष तक बढ़ाने का अनुरोध किया। जिस पर बताया गया कि इस संबंध में प्रस्ताव केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय को भेजा जाएगा। वहीं से कोई निर्णय लिया जा सकेगा। ट्रांसपोर्टरों ने वाहनों की आयु सीमा को दो वर्ष तक और बढ़ाने की भी मांग रखी। यह मामला कोर्ट में विचाराधीन भी है। यह निर्णय लिया गया कि मामले में विधिक स्थिति को देखते हुए निर्णय लिया जाएगा।

सरेंडर में कागज जमा कराने में राहत

व्यवसायिक वाहनों के सरेंडर होने की सूरत में ट्रांसपोर्टरों को उसके मूल कागजात जमा करने के लिए अब एक माह की राहत दी गई है। सचिव शैलेश बगोली की ओर से देर शाम जारी आदेश में बताया गया कि सरेंडर करने वालों की संख्या अधिक होने के कारण शारीरिक दूरी का पालन कर पाना मुनासिब नहीं हो रहा। ऐसे में ट्रांसपोर्टर को सरेंडर के आवेदन के दिन से एक माह तक कागज जमा कराने की छूट दी जाएगी। वह इसके लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे।

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आरटीओ में ऑनलाइन आवेदन शुरू

आरटीओ में सोमवार से निर्धारित कार्यों के लिए ऑनलाइन आवेदन शुरू हो गए। पहले लैंडलाइन नंबर पर पूर्व आवेदन लेने की प्रक्रिया चल रही थी, लेकिन शिकायत मिल रही थी नंबर उठता ही नहीं। जिस पर आरटीओ दिनेश चंद्र पठोई ने नई व्यवस्था के तहत ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया को शुरू कराया है। हालांकि, एक दिन में एक कार्य के लिए महज अभी भी 20 ही लोगों को कार्यालय आने की मंजूरी दी जा रही है। ज्यादा आवेदन मिलने पर आवेदक को अगली तारीखें दी जा रहीं। मौजूदा वक्त में आरटीओ में पुराने डीएल के नवीनीकरण और संशोधन समेत परमिट, फिटनेस, डुप्लीकेट आरसी, टैक्स आदि का ही कार्य किया जा रहा है। नए लर्निंग व परमानेंट डीएल बनाने का काम अभी ठप है। 

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