अब पहाड़ की लाइफ लाइन बनेगी ऑल वेदर रोड
चारधाम को जोड़ने वाली ऑल वेदर रोड परियोजना से प्रदेश को खासी उम्मीदें हैं।इससे संबंधित जिलों पर यातायात भार कम होने के साथ ही संपर्क मार्गों को पक्का करने में मदद मिलेगी।
देहरादून, [विकास गुसाईं]: सड़कें किसी भी प्रदेश के विकास का मानक होती हैं। सड़कों से ही प्रदेश की खुशहाली और संपन्नता की नींव पड़ती है। सड़क निर्माण के साथ ही तमाम अवस्थापना सुविधाओं को भी जुड़ने में समय नहीं लगता। यही कारण है कि सड़कों को प्रदेश की लाइफ लाइन माना जाता है। उत्तराखंड में भी सड़कें यहां के लोगों के जीवन से जुड़ी हुई हैं। बीते कुछ वर्षों में प्रदेश में सड़कों को दुरुस्त करने की दिशा में काम हुआ है। इनमें सबसे अहम चार धाम को जोड़ने वाली ऑल वेदर रोड परियोजना शामिल है। केंद्र सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना से प्रदेश को भी खासी उम्मीदें हैं। तकरीबन 11 हजार करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली इस परियोजना के लिए अभी तक चार हजार करोड़ से अधिक के कार्य स्वीकृत हो चुके हैं। अब नजरें केंद्र सरकार की लगातार निगरानी व शेष बजट जारी करने पर लगी हैं ताकि उम्मीदों के मुताबिक वर्ष 2019 तक यह परियोजना मूर्त रूप ले ले।
उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थिति के हिसाब से यहां सड़कों की बेहद ही अहम भूमिका है। प्रदेश सरकार, केंद्रीय एजेंसियों व स्वयं सेवी संगठनों के उत्तराखंड में किए गए सर्वे में सड़कों को दुरुस्त करने की बातें आ चुकी हैं। प्रदेश सरकार के साथ ही समय समय पर केंद्रीय सड़क निधि योजना व प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत सड़कों के निर्माण कार्य चल रहे हैं और कई अन्य प्रस्ताव केंद्र स्तर पर विचाराधीन हैं। इसमें सबसे अहम चारधाम ऑल वेदर रोड है। इस परियोजना के तहत राज्य के चारों धाम यानी बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री एक-दूसरे से जुड़ जाएंगे।
यह परियोजना उत्तराखंड के लिए तो महत्वपूर्ण है ही, इसका राष्ट्रीय और सामरिक महत्व भी है। राज्य के तीन जिले उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ चीन सीमा से सटे हैं। इस लिहाज से उत्तरकाशी व चमोली जिलों तक ऑल वेदर रोड बनने से बड़े वाहनों की आवाजाही का रास्ता भी साफ होगा। प्रदेश के लिहाज से बात करें तो प्रदेश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा चार धाम मार्ग से जुड़ा है।
चारधाम यात्रा ही इनकी आर्थिकी का मजबूत सहारा है। चार धाम यात्रा के दौरान सड़कें खराब होने से कई बार यात्रा बाधित होती है। कई बार तो दो से तीन दिन तक यात्रियों को एक ही स्थान पर सड़क खुलने का इंतजार करना पड़ता है। ऑल वेदर रोड बनने से यह परेशानी दूर हो जाएगी। यहां तक कि यह यात्रा वर्ष भर संचालित हो सकेगी। इसके साथ ही स्थानीय निवासियों को भी बारह महीने रोजगार के अवसर भी बने रहेंगे। इतना ही नहीं, इससे न केवल चारधाम यात्रा मार्ग के अंतर्गत आने वाले जिलों के भीतर यातायात का भार कम होगा, बल्कि संपर्क मार्गों को पक्का करने में भी मदद मिलेगी।
परियोजना पर एक नजर
योजना की लागत- तकरीबन 11700 करोड़ रुपये।
-बनेंगे 25 पुल, 13 बाइपास, तीन फ्लाई ओवर, दो सुरंग।
-तीर्थ यात्रियों के लिए बनेंगे 28 सुविधा केंद्र।
-राजमार्ग पर बनेंगे 154 बस बे व ट्रक बे।
-38 स्थानों पर बनेंगे लैंड स्लाइड जोन।
कहां से कहां तक कितनी सड़क
- ऋषिकेश से रुद्रप्रयाग - 140 किमी - 1824 करोड़ रुपये।
-रुद्रप्रयाग से माणा गांव - 160 किमी - 1498.05 करोड़ रुपये।
-ऋषिकेश से धरासू - 144 किमी - 1687.70 करोड़ रुपये।
-धरासू से गंगोत्री - 124 किमी - 2183.85 करोड़ रुपये।
-धरासू से यमुनोत्री - 95 किमी - 1368.17 करोड़ रुपये।
-रुद्रप्रयाग से गौरीकुंड - 76 किमी - 1040.56 करोड़ रुपये।
-टनकपुर से पिथौरागढ़ - 150 किमी - 1716.84 करोड़ रुपये।
कितने पुल और बस स्टैंड व सुरंग
-ऋषिकेश से यमुनोत्री- दो बाइपास, एक पुल, तीन बड़े पुल, 27 छोटे पुल, दो सुरंग, 73 बस बे, चार ट्रक बे ।
-धरासू से गंगोत्री - दो बाइपास, एक पुल, चार बड़े पुल।
-रुद्रप्रयाग से गौरीकुंड - तीन बाइपास, तीन बड़े पुल, 23 छोटे पुल।
-ऋषिकेश से बद्रीनाथ - तीन बाइपास, एक पुलि, 11 बड़े पुल, 38 छोटे पुल, 59 बस स्टेंड, दो ट्रक स्टैंड।
-टनकपुर से पिथौरागढ़ - तीन बाइपास, चार बड़े पुल, 19 छोटे पुल, 13 बस बे व तीन ट्रक बे।
उत्तराखंड में पक्की सड़कों की लंबाई (किमी में)
- राष्ट्रीय राजमार्ग - 2471.30
- प्रादेशिक राजमार्ग - 4521.07
- मुख्य जिला सड़कें - 2151.81
- अन्य जिला सड़कें - 2651.1
- ग्रामीण सड़कें - 19537.38
- हल्का वाहन मार्ग- 732.21
- पंचायत मोटर मार्ग - 992.95
- निकाय मोटर मार्ग - 2428.27
- वन क्षेत्र में - 3359.53
- बार्डर रोड टास्क फोर्स - 1281.32
- अन्य - 2574.98
कुल योग - 42702.32 किमी
केंद्र पर इनके लिए भी नजर
प्रदेश सरकार को केंद्रीय सड़क निधि (सीआरएफ) से प्रतिवर्ष 500-600 करोड़ रुपये मिलते हैं। इस बार इनके अलावा सरकार की नजरें इन अहम तीन प्रस्तावों की स्वीकृति पर भी लगी है। ये तीन प्रस्ताव हैं हरिद्वार रिंग रोड, देहरादून रिंग रोड व हल्द्वानी रिंग रोड। इन तीनों प्रस्तावों के स्वीकृत होने से इन शहरों के भीतर यातायात का भार घटेगा बल्कि दुर्घटनाओं पर भी अंकुश लग सकेगा।
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