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Coronavirus: एम्स में कोरोना संक्रमितों की रिमोट पद्धति से मॉनिटरिंग शुरू

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में कोरोना मरीजों की देखभाल के लिए रिमोट मॉनिटरिंग पद्धति का इस्तेमाल शुरू कर दिया गया है।

By Edited By: Published: Wed, 27 May 2020 03:00 AM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 11:56 AM (IST)
Coronavirus: एम्स में कोरोना संक्रमितों की रिमोट पद्धति से मॉनिटरिंग शुरू
Coronavirus: एम्स में कोरोना संक्रमितों की रिमोट पद्धति से मॉनिटरिंग शुरू

ऋषिकेश, जेएनएन। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में कोरोना मरीजों की देखभाल के लिए रिमोट मॉनिटरिंग पद्धति का इस्तेमाल शुरू कर दिया गया है। इसके तहत कोविड अस्पताल के आइसोलेशन वार्डों को रिमोट मॉनिटरिंग के माध्यम से कंट्रोल किया जाएगा। इससे कोरोना मरीजों की देखभाल में जुटे चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ व अन्य कर्मचारी भी संक्रमण से सुरक्षित रह सकेंगे।

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एम्स निदेशक प्रो. रविकांत ने बताया कि संस्थान के कोविड वार्ड में इस सिस्टम के शुरू होने से मरीजों के उपचार में लगे फ्रंट लाइन वॉरियर्स को जोखिम कम होगा। दूर से ही रोगी की निगरानी और समाधान के लिए यह तकनीक कारगर साबित होगी। साथ ही हेल्थ केयर वर्कर्स की सुरक्षा बढ़ाने और पीपीई किट की आवश्यकता को कम करने में भी यह रिमोट सिस्टम सहायक सिद्ध होगा। 

उन्होंने बताया कि स्टाटिस एप का उपयोग करते हुए चिकित्सक को अपने स्मार्टफोन पर संबंधित मरीजों का डाटा जिनमें हृदय गति की स्थिति, ऑक्सीजन आपूर्ति, इलेक्ट्रोकॉर्डियोग्राम, श्वसन दर, रक्तचाप और त्वचा का तापमान आदि की संपूर्ण जानकारी तत्काल मिल जाएगी। 

मेक इन इंडिया के तहत तैयार है रिमोट प्रणाली 

एम्स निदेशक ने बताया कि यह रिमोट प्रणाली मेक इन इंडिया के तहत तैयार की गई है। इसे बेंगलुरु बेस कंपनी स्टासिस ने एम्स ऋषिकेश के साथ करार करके उपलब्ध कराई है। उन्होंने बताया कि  हमने इन उपकरणों का उपयोग कर प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना मेक इन इंडिया का समर्थन व स्वागत किया है। 

यह विशुद्ध रूप से भारत में ही निर्मित है और यूएसएफडीए द्वारा अनुमोदित भी है। इसके साथ ही एम्स, ऋषिकेश भारत का पहला ऐसा स्वायत्तशासी स्वास्थ्य संस्थान है, जिसने कोरोना संक्रमित मरीजों की देखभाल व फ्रंट लाइन वॉरियर्स की जीवन रक्षा के लिए इस तकनीक का प्रयोग शुरू किया है। 

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रोगियों की देखभाल होगी सुविधानजक 

सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. अभिषेक अग्रवाल का कहना है कि इस तकनीक से रोगी की देखभाल और अधिक सुविधाजनक हो जाएगी। इसके उपयोग से केंद्रीयकृत डैशबोर्ड के माध्यम से रोगियों की दूर से ही निगरानी करने में मदद मिलेगी और मोबाइल एप के माध्यम से हम बड़ी संख्या में रोगियों के बेहतर चिकित्सकीय प्रबंधन एवं उपचार करने में सक्षम हो सकेंगे।

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