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केंद्र की घोषणाओं से उत्तराखंड में संवरेगी खेती, किसानों की उम्मीदों को लगेंगे पंख

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की कृषि एवं इससे जुडे क्षेत्र के लिए की गई घोषणाओं से उत्तराखंड में खेती-किसानी के दिन बहुरने की उम्मीद जगी है।

By Edited By: Published: Fri, 15 May 2020 09:35 PM (IST)Updated: Sat, 16 May 2020 08:28 AM (IST)
केंद्र की घोषणाओं से उत्तराखंड में संवरेगी खेती, किसानों की उम्मीदों को लगेंगे पंख
केंद्र की घोषणाओं से उत्तराखंड में संवरेगी खेती, किसानों की उम्मीदों को लगेंगे पंख

देहरादून, राज्य ब्यूरो केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की कृषि और इससे जुडे क्षेत्र के लिए की गई घोषणाओं से उत्तराखंड में खेती-किसानी के दिन बहुरने की उम्मीद जगी है। कृषि के लिए आधारभूत ढांचे की कमी झेल रहे इस राज्य में अब गोदाम, कोल्ड स्टोरेज, कलेक्शन सेंटर के साथ ही वेल्यू एडीशन को प्रोसेसिंग यूनिट, शर्टिग-ग्रेडिंग यूनिट लगने से किसानों को लाभ मिलेगा तो उन्हें कृषि उत्पादों के बेहतर दाम भी मिलेंगे। इसके साथ ही मंडुवा, झंगोरा, राजमा जैसे अन्य जैविक उत्पादों की ब्रांडिंग बड़े स्तर पर हो सकेगी तो हर्बल और संगध खेती को भी बढ़ावा मिलेगा। यही नहीं, गंगा के उद्गम स्थल गोमुख से लेकर हरिद्वार तक गंगा किनारे हर्बल कॉरीडोर विकसित होने से भी नए आयाम मिलने की उम्मीद परवान चढे़गी। 

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राज्य की अर्थव्यवस्था में कृषि एक मुख्य भूमिका निभाती है। करीब 70 फीसद ग्रामीण आबादी जीवन निर्वाह के लिए कृषि व्यवसाय से जुटी है। बावजूद इसके कृषि के सामने चुनौतियों की भरमार है। पलायन, मौसम की मार, वन्यजीव समेत अन्य कारणों के कारण यहां खेती के रकबे में पिछले 20 सालों में 98 हजार हेक्टेयर की कमी आई है। इसका असर अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र के योगदान पर भी पड़ा है। आर्थिक सर्वेक्षण पर ही गौर करें तो 2018-19 में कृषि और सहवर्गीय क्षेत्र का राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में योगदान 0.70 फीसद रहा। 
हालांकि, सरकार ने कृषि की दशा संवारने के साथ ही किसानों की आय दोगुना करने की दिशा में कई कदम उठाए हैं, लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। अब केंद्र सरकार की घोषणाओं से राज्य के 8.81 लाख किसानों में भी उम्मीद का संचरण हुआ है। असल में यहां खेती आधारभूत ढाचे का अभाव झेल रही है। फसल पैदा करने के बाद इसके भंडारण, कृषि उत्पादों में वेल्यू एडीशन आदि के लिए ढांचागत सुविधाएं नाममात्र की हैं। अब इस सेक्टर पर ध्यान केंद्रित किए जाने का फायदा राज्य को भी मिलेगा। खासकर सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों में भी ढांचा विकसित होने से वहां के कृषक लाभान्वित होंगे और उन्हें बेहतर दाम मिल सकेंगे। 
बढ़ेगा कृषि क्लस्टर का दायरा 
परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत राज्य में विभिन्न फसलों के 3900 क्लस्टर विकसित किए जा रहे हैं, जो 20-20 हेक्टेयर के हैं। इसके साथ ही नमामि गंगे परियोजना में 10-10 हेक्टेयर के 1000 क्लस्टर विकसित किए जा रहे हैं। अब क्लस्टर आधारित खेती को अधिक गति मिलेगी, जिससे किसानों के साथ ही कारोबारियों को भी लाभ मिलेगा। जैविक प्रदेश की दिशा में बढ़ेंगे कदम उत्तराखंड के जैविक कृषि उत्पादों की भी काफी मांग है। मंडुवा, झंगोरा, राजमा समेत अन्य जैविक उत्पाद इनमें मुख्य हैं। अभी तक राज्य में 10 विकासखंड जैविक घोषित हैं। जैविक उत्पादों को बढ़ावा देने की सरकार की मंशा के बाद राज्य को जैविक प्रदेश बनाने की दिशा में कदम तेजी से बढ़ेंगे। 
बढ़ेगा हर्बल-सगंध खेती का दायरा 
केंद्र सरकार ने हर्बल खेती पर भी फोकस किया है। गंगा किनारे हर्बल कॉरीडोर विकसित करने का इरादा है। राज्य के परिप्रेक्ष्य में देखें तो हर्बल और सगंध खेती करीब 15 हजार हेक्टेयर में हो रही है, जबकि ये फसलें कृषि से इतर काफी फायदेमंद हैं। केंद्र की पहल के बाद अब इस क्षेत्र में भी बूम की उम्मीद है।
वहीं, कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि केंद्र सरकार की घोषणाओं का लाभ राज्य को भी मिलेगा। कृषि अवस्थापना सुविधाएं विकसित होने से बड़ा फायदा मिलेगा। क्लस्टर आधार खेती को बढ़ावा मिलेगा तो हर्बल-सगंध खेती भी परवान चढ़ेगी।

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