निष्कासन के विरोध में पेट्रोल की बोतल लेकर एम्स की छत पर चढ़ा आंदोलनकारी
एम्स ऋषिकेश के इमरजेंसी भवन की छत पर एक व्यक्ति के चढ़ने के बाद हड़कंप मच गया। वहीं हटाए गए कर्मचारियों को वापस लेने की मांग को लेकर एम्स में आंदोलन जारी है।
ऋषिकेश, जेएनएन। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के आपातकालीन चिकित्सा भवन की छत पर एक व्यक्ति पेट्रोल की बोतल लेकर चढ़ गया। वह कुछ दिन पूर्व निकाले गए आउटसोर्स कर्मचारियों को वापस नौकरी पर रखे जाने की मांग कर रहा था। इस दौरान वहां तमाशबीनों का जमावड़ा लग गया। सूचना पर पहुंचे एम्स प्रशासन और पुलिस ने नीचे उतरने की अपील की। लेकिन व्यक्ति ने मांग के संबंध में ठोस आश्वासन मिलने के बिना उतरने से मना कर दिया। छह घंटे बाद एम्स के सुरक्षाकर्मियों ने व्यक्ति को पकड़ लिया और नीचे उतार लिया। जिसके बाद पुलिस ने व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया।
एम्स में इमरजेंसी भवन कि छह मंजिला छत पर सोमवार की सुबह करीब साढ़े सात बजे एक व्यक्ति पेट्रोल की बोतल लेकर चढ़ गया। सूचना पाकर एम्स के सुरक्षा कर्मी और पुलिस भी पहुंच गई। करीब डेढ़ घंटा बाद रेखा आर्य वहां पहुंची। छत पर चढ़े व्यक्ति ने पहचान दाताराम ममगाईं बताई। कहा कि जब तक एम्स से निष्कासित सभी आउटसोर्स कर्मचारियों को वापस काम पर नहीं लिया जाता है वह नीचे नहीं उतरेगा। उनकी दो पुत्रियां भी निष्कासित कर्मचारियों में शामिल हैं।
वहीं निष्कासित कर्मचारी संघ का प्रतिनिधिमंडल उपनिदेशक अंशुमान गुप्ता से वार्ता के लिए पहुंचा। गन्ना एवं चीनी विकास बोर्ड के अध्यक्ष भगत राम कोठारी के साथ दीपक रयाल, अरङ्क्षवद हटवाल आदि ने उनसे बात की मगर वार्ता बेनतीजा रही। बाद में नगर निगम की महापौर अनीता ममगाईं आंदोलन का समर्थन कर रहे पार्षदों को लेकर उप निदेशक प्रशासन से मिली। इस दौरान हुई वार्ता का भी कोई सार्थक हल नहीं निकला। इस बीच आंदोलनकारी निष्कासित कर्मचारी इमरजेंसी प्रवेश द्वार के समीप धरना देकर बैठ गए। इन्होंने एम्स प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर हठधर्मिता का आरोप लगाया।
इस बीच तहसीलदार रेखा आर्य और कोतवाली प्रभारी निरीक्षक रितेश शाह की एम्स के अधिकारियों से वार्ता चलती रही। करीब छह घंटे बाद एम्स के सुरक्षाकर्मी चुपचाप छत पर पहुंचे। वहां दाताराम छाया में बैठे हुए थे। मौके का फायदा उठाकर सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें पकड़ा और नीचे उतार लाए। पुलिस ने दाताराम को गिरफ्तार कर लिया और शांति भंग में चालान कर उप जिलाधिकारी के यहां पेश किया।
जहां से उन्हें निजी मुचलके पर छोड़ दिया गया। दाताराम ममगाईं ने कहा कि वह एम्स व प्रशासन के अधिकारियों के आश्वासन से संतुष्ट हैं। उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों ने 35 निष्कासित कर्मचारियों को दोबारा आउटसोर्स से बहाल करने का आश्वासन दिया है। पूरे घटनाक्रम में स्थानीय प्रशासन की भूमिका चर्चा में रही। करीब छह घंटे तक यह मामला चलता रहा। तहसीलदार मौके पर पहुंची मगर अपने आप में गंभीर इस मामले में उप जिलाधिकारी यहां नहीं पहुंचे।
उप निदेशक प्रशासन अंशुमान गुप्ता ने बताया कि एम्स में स्थायी कर्मचारियों के पद परीक्षा के माध्यम से भरे जा रहे हैं। जिस कारण आउटसोर्स कर्मचारियों को हटाया गया है। आउटसोर्स कर्मचारियों को भी परीक्षा में बैठने की स्वतंत्रता है। कई लोग चयनित भी हुए हैं। अगर किसी पूर्व कर्मचारी की पारिवारिक स्थिति और आर्थिक हालात ठीक नहीं है तो उन्हें कुछ समय के लिए आउटसोर्स से रखे जाने पर विचार किया जा सकता है।
पत्नी धरने पर पति की सेवा समाप्त
आंदोलनकारी के छत पर चढ़ने के बाद निष्कासित कर्मचारियों ने जब इमरजेंसी भवन के समक्ष धरना शुरू किया तो धरने में कुछ निष्कासित महिला कर्मचारी भी शामिल थी। इत्तेफाक कहें या कुछ और एक महिला कर्मचारी जब धरने पर बैठी थी तो उनके पति लैब असिस्टेंट सतीश चंचल ड्यूटी पर थे। दोपहर करीब 12:00 बजे आउटसोर्स कंपनी ने उन्हें निष्कासन का नोटिस थमा दिया। आंदोलनकारियों ने इसे बदले की कार्रवाई बताया।
सीएम दरबार पहुंचा मामला
एम्स ऋषिकेश में उप निदेशक प्रशासन से वार्ता के बाद जब समस्या का कोई हल नहीं निकला तो नगर निगम की महापौर अनीता ममगाईं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मिलने पहुंच गई। उन्होंने मुख्यमंत्री से वार्ता कर पूरे मामले से उन्हें अवगत कराया। महापौर ने बताया कि मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि वहां पूरे मामले में एम्स के निदेशक से बात करेंगे। बेरोजगारों के पक्ष में उचित कदम उठाया जाएगा।
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